हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मेडिकल कालेजों में बिना सहमति के चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति पर लगाई रोक
- By Arun --
- Wednesday, 12 Jul, 2023
Himachal Pradesh High Court bans deputation of doctors in medical colleges without consent
शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मेडिकल कालेजों में बिना सहमति के चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रतिनियुक्ति योजना को चुनौती देने वाली याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात 4 आवदेकों को डेप्यूटेशन पर भेजने पर यह रोक लगाई है। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव सहित चिकित्सा शिक्षा के निदेशक और टांडा मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 24 अगस्त को होगी।
डॉक्टर अमित गुप्ता और अन्यों ने सरकार की प्रतिनियुक्ति योजना को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि प्रार्थी कमल सिंह, ममता महाजन, मीनाक्षी वर्मा और विक्रांत चौहान की प्रतिनियुक्ति उनकी सहमति के बगैर की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार की ओर से टांडा मेडिकल कालेज और इंदिरा गाधी मेडिकल कालेज शिमला में कार्यरत चिकित्सकों को प्रतिनियुक्ति के आधार पर नए मेडिकल कॉलेजों में तैनात किया जा रहा है। इसके लिए चिकित्सकों से न तो कोई सहमति ली जा रही है और न ही प्रतिनियुक्ति से खाली पड़े पदों को भरा जा रहा है।
इसलिए भेजा जा रहा है डेप्यूटेशन पर
याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि 7 जून 2008 को राज्य सरकार ने टांडा मेडिकल कालेज और इंदिरा गाधी मेडिकल कालेज शिमला के शैक्षणिक कैडर को अलग-अलग किया था। याचिकाकर्ता टांडा मेडिकल कालेज के शैक्षणिक कैडर में समायोजित हो गए। उसके बाद 17 नवंबर 2018 को राज्य सरकार ने चार नए मेडिकल कालेज खोले। सरकार ने इन कालेजों में शैक्षणिक कैडर के पदों को भरने के लिए योजना बनाई कि जब तक इन पदों को नियमित तौर पर नहीं भरा जाता है, तब तक टांडा मेडिकल कालेज और इंदिरा गाधी मेडिकल कालेज शिमला में कार्यरत चिकित्सकों को डेप्यूटेशन पर नए मेडिकल कालेजों में भेजा जाए।