हिमाचल में मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा; कांग्रेस की सरकार संकट में, कहा- मैं दबने वाला नहीं, मुझे कमजोर और अपमानित किया
Himachal Politics Vikramaditya Singh Resigns As Minister
Vikramaditya Singh Resigns: हिमाचल में बहुमत रखने के बावजूद कांग्रेस राज्यसभा चुनाव नहीं जीत पाई। कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी और नतीजा यह हुआ कि इससे बीजेपी की जीत हो गई। इस स्थिति के बाद अब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार संकट में आ गई है। कांग्रेस खेमे में विधायक दो फाड़ होते हुए दिख रहे हैं। विधायकों का एक खेमा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ है तो वहीं दूसरा खेमा सुक्खू के खिलाफ।
बताया जा रहा है कि, कुछ विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री पद पर रहने से नाराज हैं और इसीलिए 6 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की. वहीं हिमाचल के 6 बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने सरकार से खुद को दूर करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और सुक्खू सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।
बुधवार सुबह प्रैस वार्ता करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान किया। इस दौरान वह भावुक भी हुए। विक्रमादित्य ने कहा कि मेरे पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर पार्टी द्वारा लोगों से वोट लिए गए। उनका नाम चुनाव में पूरे तरीके से इस्तेमाल किया गया। सभी बैनर, पोस्टरों में उनकी फोटो लगाई गई। लेकिन मैं फिर भी मानता हूं कि सबके योगदान से हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आई। लेकिन अब मेरा इस सरकार में बने रहना ठीक नहीं है।
विक्रमादित्य ने कहा कि, मैंने कांग्रेस पार्टी का हमेशा साथ दिया है लेकिन वर्तमान परिस्थित में मैं इस सरकार में नहीं रह सकता। इसलिए मैंने मंत्री पद से इस्तीफे का फैसला लिया है। आने वाले समय में अपने लोगों से बात करके भविष्य का फैसला किया जाएगा। विक्रमादित्य सिंह 8 जनवरी 2023 से हिमाचल में पीडब्ल्यूडी, युवा सेवा और खेल, शहरी विकास मंत्री का कार्यभार संभाल रहे थे।
कमजोर और अपमानित करने का आरोप
विक्रमादित्य ने यह आरोप भी लगाया है कि उन्हें कमजोर और अपमानित करने का काम किया गया। विक्रमादित्य ने कहा कि, मैंने हमेशा लीडरशिप का सम्मान किया है और सरकार को चलाने में योगदान दिया है। लेकिन मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे एक मंत्री के तौर पर अपमानित करने का काम किया गया है। मैं लोगों के लिए काम करने के इरादे से मंत्री बना था। मगर जिस तरह के संदेश विभाग में भेजे जाते हैं। उस तरीके से मुझे कमजोर करने की कोशिश की गई। लेकिन मैं किसी भी दबाव में आने वाला नहीं हूं।
सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार में एक साल मंत्री के रूप में रहते हुए मुझसे जितना हो सका वो मैंने किया। एक साल के कार्यकाल में मैंने पूरी मजबूती से सरकार का समर्थन किया है। लेकिन इस एक साल में सरकार की कार्यप्रणाली जिस तरीके की रही है। उस पर मैंने आज तक कुछ नहीं कहा। मगर आज सब कुछ स्पष्ट तरीके से कहना मेरी ज़िम्मेदारी है। क्योंकि प्रदेश की जनता ने अपना विश्वास, अपना सहयोग और अपना समर्थन दिया है। उस जनता के प्रति मेरी जवाबदेही है. मैंने हमेशा कहा है कि मेरे लिए पद अहम नहीं है। मेरे लिए मंत्री बनना अहम नहीं हैं। मेरे लिए सबसे जरूरी है हिमाचल की जनता से जुड़ाव।
विक्रमादित्य ने कहा कि पिछले एक साल में सरकार की जिस तरह की व्यवस्था रही है उसमें विधायकों के साथ कहीं न कहीं अनदेखी हुई है, विधायकों की आवाज दबाने की कोशिश की गई है जिसके कारण हम आज इस कगार पर खड़े हैं. विक्रमादित्य ने बताया कि लगातार इन विषयों को पार्टी नेतृत्व के समक्ष भी उठाया गया है, लेकिन पार्टी नेतृत्व को जिस तरह से सरोकार लेना चाहिए था, वो नहीं लिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ऐसी स्थिति में है कि आने वाले समय में क्या होगा, कुछ नहीं कहा जा सकता।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि जो वास्तविक परिस्थितियां है, फिलहाल उसके बारे में मैंने पार्टी हाईकमान को अवगत कराया है। अब गेंद उनके पाले में है, अब उन्हें फैसला लेना है कि उनका कदम क्या होगा। आने वाले समय में जो भी होगा वह पार्टी हाईकमान के साथ विचार-विमर्श करके किया जाएगा। मुझे पूरा विश्वास है कि जो भी फैसला लिया जाएगा वह संगठन, पार्टी और इस राज्य के लोगों के व्यापक हित में लिया जाएगा। विक्रमादित्य सिंह वर्तमान में शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। वहीं विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह, मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।