नाबालिक बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार, कही यह खास बात
नाबालिक बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार, कही यह खास बात
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म न केवल पीड़िता के विरुद्ध अपराध है अपितु यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध है। जीवन के मूल अधिकारों का हनन है। यदि एक्शन नहीं लिया गया तो लोगों का न्याय तंत्र से भरोसा उठ जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि 12 वर्ष से छोटी बच्ची से दुष्कर्म में 20 वर्ष की कारावास बढ़कर उम्रकैद हो सकती है। साथ ही जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे में ट्रायल से पहले आरोपित को निर्दोष नहीं माना जा सकता। इस तल्ख टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आठ साल की नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित को जमानत पर रिहा करने से इन्कार कर दिया है और जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि भारत में बच्चियों की पूजा की जाती है। इसके बावजूद बच्चियों से छेड़छाड़ दुष्कर्म के अपराध में बढ़ोतरी हो रही है। लड़कियां मानसिकता उत्पीड़न व डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं। कुछ अपना जीवन समाप्त कर ले रही हैं। कई मामलों में परिवार की इज्जत बचाने के लिए ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने गोरखपुर, बांसगांव निवासी आरोपित चंद्र प्रकाश शर्मा की अर्जी पर दिया है। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इससे असहाय बच्ची की आत्मा को ठेस पहुंचती है। ट्रायल पूरा होने से पहले आरोपित की निर्दोषिता का निर्णय नहीं किया जा सकता। आठ साल की बच्ची दुष्कर्म और उसके दुष्परिणाम नहीं जानती।
अभियोजन के मुताबिक 16जुलाई 2021 को पीडि़ता अमरूद तोड़ने घर के बगल में गई थी, जहां याची ने छेड़छाड़ के बाद दुष्कर्म किया। पीड़िता ने घर में बताया तो मेडिकल जांच के बाद एफआइआर दर्ज कराई गई। 17 जुलाई से आरोपित जेल में बंद है। सत्र अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
इसके बाद आरोपित ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए यह अर्जी दाखिल की थी। बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि मेडिकल जांच में ब्लीडिंग नहीं पाई गई। बयान में भी पीड़िता ने दुष्कर्म नहीं कहा है, किंतु कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इन्कार कर दिया।