Editorial: चंडीगढ़ में ट्रिब्यून फ्लाईओवर को हाईकोर्ट की हरी झंडी
- By Habib --
- Wednesday, 01 May, 2024
High Court gives green signal to Tribune flyover in Chandigarh
High Court gives green signal to Tribune flyover in Chandigarh पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर के निर्माण को हरी झंडी दे दी है, जोकि उचित फैसला है। बढ़ती आबादी और ट्रैफिक की भारी आमद की वजह से चंडीगढ़ में जीरकपुर से ट्रिब्यून फ्लाईओवर तक जाम जैसी स्थिति रहने लगी है। सुबह और दोपहर एवं शाम के समय हालात दिन प्रति दिन बिगड़ते जा रहे हैं। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली समेत दूसरे राज्यों की गाडिय़ों की वजह से शहर में ऐसी स्थिति बन रही है। चंडीगढ़ अपने विशिष्ट भौगोलिक स्वरूप की वजह से दूसरे राज्यों का भार झेल रहा है। यह दो राज्यों की राजधानी है एवं चिकित्सा, शिक्षा एवं संस्कृति का भी केंद्र है।
शहर में रोजाना हजारों की तादाद में लोग हाईकोर्ट, हरियाणा-पंजाब सचिवालय, पीजीआई और शिक्षण संस्थानों में आते हैं, ऐसे में उनके वाहनों की मौजूदगी से शहर की सडक़ें तंग होती जा रही हैं। गौरतलब है कि ट्रिब्यून फ्लाईओवर का शिलान्यास लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले निवर्तमान सांसद किरण खेर ने 3 मार्च 2019 को किया था। इसके बाद से इस रास्ते पर पेड़ों की वजह से यह मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया और जिस पर अब सुनवाई पूरी हुई है। अब माननीय अदालत ने निर्देश दिए हैं कि इस रास्ते पर 700 जिन पेड़ों को काटा जाना है, उनकी कटाई निर्माण से ठीक पहले हो और इनके स्थान पर 5 गुना पौधे लगाए जाएं।
चंडीगढ़ की मुख्य जरूरतें क्या हैं? यह सवाल नया नहीं है और न ही इसका जवाब भी। कभी बाबुओं का शहर माने जाने वाली यह सिटी अब हर वर्ग के लोगों, शिक्षा, चिकित्सा, खेल, उद्योग, तकनीक, आईटी, बिजनेस आदि का केंद्र बन चुकी है। तीन राज्यों से घिरी और तीनों की आवाजाही का मुख्य केंद्र यह सिटी अब एक ऐसी मंजिल है, जहां आकर हर कोई अपने सपनों की दुनिया हासिल कर लेना चाहता है। जाहिर है, शहर के बढ़े दायरे और इसकी अहमियत की वजह से यहां यातायात को व्यवस्थित किए जाने की जरूरत है वहीं आबादी के हिसाब से नये आवास बनाए जाने की भी आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की घोषणा की थी।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ में मेट्रो चलाने की लंबे समय से बात हो रही है, इसे चंडीगढ़ के अलावा पंचकूला और मोहाली तक ले जाने की योजना भी बनती है, लेकिन तमाम रूकावटें सामने आती रही हैं, वहीं सांसद किरण खेर ने चंडीगढ़ में इसकी जरूरत पर सवाल उठाए थे। इसके बाद माना जा रहा था कि वे इसका विरोध कर रही हैं, हालांकि उन्होंने अब साफ किया है कि मेट्रो की जरूरत सिर्फ चंडीगढ़ को नहीं, अपितु पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश को भी है। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा की ओर से भी मेट्रो चलाने पर रजामंदी जताई गई है। दोनों राज्य सरकारों की ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए फंड की हिस्सेदारी भी तय हो चुकी है, लेकिन फिर भी यह प्रोजेक्ट अभी ठंडे बस्ते में है। अब फ्लाईओवर को लेकर अगर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी सहमति दे दी है तो यकीनन नहीं माना जाता कि यह कार्य शुरू हो जाएगा। संभव है, शहर के विशिष्ट स्वरूप को यथावत बनाए रखने की इच्छा रखने वाले लोग इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न पहुंच जाएं। अगर ऐसा हुआ तो यह प्रोजेक्ट और ज्यादा समय लेगा, लेकिन चंडीगढ़ की स्थिति तो ऐसी हो गई है, कोई जादू की छड़ी घूम जाए और यहां ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बदल जाए।
वैसे, यह एक उपयुक्त सुझाव है, चंडीगढ़ एक सीमित प्रदेश है, यहां सडक़ों को जितना चौड़ा किया जा सकता था, वह काम हो चुका है, मेट्रो चलाने के लिए पूरे शहर को उथल-पुथल करना पड़ेगा, हजारों करोड़ रुपये इस पर व्यय होंगे, बजाय इसके ऐसे विकल्प पर विचार होना चाहिए जिससे यातायात भी सुविधाजनक हो जाए और लोगों को जनपरिवहन की सुविधा भी बढ़े। जाहिर है चंडीगढ़ अब सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रहा है, इसके आसपास के शहरों से लाखों लोग रोजाना यहां आते और काम करके लौट जाते हैं। ऐसे में ट्रैफिक जाम का समाधान जरूरी है, लेकिन तब क्या शहर ऐसे ही रहेगा। बेशक, जन सुविधा भी आवश्यक है, लेकिन यह जरूरी है कि दोनों के बीच संतुलन बनाकर चला जाए। यह भी हो सकता है कि चंडीगढ़ के मूल स्वरूप से मेल खाता फ्लाईओवर यहां निर्मित किया जाए। बदलते समय के अनुसार लोगों को चंडीगढ़ में बदलावों को स्वीकार करना होगा।
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