देशभर के कर्मचारियों ने यूपीएस की प्रतियां जला जताया विरोध: ओपीएस को लेकर हरियाणा में फिर जोरदार विरोध-प्रदर्शन
- By Vinod --
- Thursday, 30 Jan, 2025
Employees across the country burnt copies of UPS and expressed their protest
Employees across the country burnt copies of UPS and expressed their protest- हरियाणा सहित देश के कई कर्मचारी संगठनों ने एक मर्तबा फिर ओल्ड पेंशन स्कीम यानि (ओपीएस) के लिये मोर्चा खोल दिया है। ओपीएस के लिये लड़ रही संघर्ष समिति का कहना है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में तो कर्मचारियों का एनपीएस से भी ज्यादा का नुकसान है।
कई सालों से प्रदेश और देश में ओपीएस बहाली की मांग होती आई है इसके लिए कर्मचारियों द्वारा लगातार धरने, प्रदर्शन और रैलियां की जाती रही हैं। इसी संघर्ष को देखते हुए राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में ओपीएस बहाल की जा चुकी है। हरियाणा में भी 20 फरवरी 2023 में राज्य सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था जिसके साथ पेंशन बहाली संघर्ष समिति की 3 मार्च को एक मीटिंग भी हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी इसका कोई समाधान नहीं हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा पिछले बजट में यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा की गई थी जिसका 24 जनवरी को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि यूपीएस नोटिफिकेशन में पेंशन पर अंतिम वेतन की 50 फीसदी गारंटी के साथ सरकार द्वारा बहुत सारी शर्तें लगा दी गई हैं जिससे कर्मचारियों को लाभ होने की बजाए उल्टा हानि ज्यादा होगी। इसको लेकर देश भर के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।
देशभर के कर्मचारियों ने यूपीएस की प्रतियां जला जताया विरोध
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के आह्वान पर प्रदेश भर के सभी केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों ने अपने-अपने विभागों में यूपीएस का बहिष्कार करते हुए इसकी प्रतियां जलाई। कर्मचारियों का कहना है कि हम ओपीएस बहाली की मांग करते आए हैं। किसी भी कर्मचारी और संगठन द्वारा यूपीएस की मांग नहीं कि गई थी। केंद्र सरकार द्वारा बिना कर्मचारियों और संगठनों से चर्चा किए एकतरफा फैसला लेते हुए यूपीएस लागू कर दी गई।
यूपीएस में कर्मचारियों को एनपीएस से भी ज्यादा नुकसान
कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस और यूपीएस किसी भी तरफ से ओपीएस का विकल्प नहीं हो सकती। एनपीएस में कर्मचारियों के वेतन का 10 फीसदी शेयर और सरकार का 14 फीसदी शेयर लगाया जाता है। इसके पूरे कॉर्पस का 60 फीसदी कर्मचारी को उसकी सेवानिवृत्ति होने पर लौटा दिया जाता है और बाकी 40 फीसदी अमाउंट से एन्युइटी खरीदी जाती है। एनपीएस में नामात्र पेंशन बनने से कर्मचारियों में इसके प्रति भारी रोष था। लेकिन अब यूपीएस में कर्मचारियों के 10 फीसदी शेयर और सरकार के 10 फीसदी प्लस 8.5 फीसदी शेयर के टोटल कॉर्पस को पेंशन के लिए रखा जाएगा। कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर उनका शेयर नहीं लौटाया जाएगा। इसके अलावा यूपीएस में कर्मचारियों पर 25 साल की सर्विस की कंडीशन लगाई गई है, जिस कारण ज्यादातर कर्मचारियों को यूपीएस का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस का तुलनात्मक अध्ययन करने पर केवल ओपीएस ही कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य का आधार हो सकता है।
संघर्ष समिति ने ओपीएस बहाली व यूपीएस पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री से मांगा समय
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय मुख्य संगठन सचिव और पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र धारीवाल ने कहा कि उनकी मांग ओपीएस बहाली की रही है और ओपीएस की बहाली तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी से मांग करते हैं कि कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य के लिए प्रदेश में ओपीएस बहाल करें। इसके लिए संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल को समय दिया जाए और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के साथ वार्ता का दौर फिर से शुरू किया जाए। जल्द संघर्ष समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी जिसमें आगामी रणनीति बना सरकार के सामने ओपीएस बहाली की मांग की जाएगी।