शहीदों की याद में दौड़ रही 15 साल की सानिया, 121 दिन में कन्याकुमारी पहुंचने का लक्ष्य
- By Vinod --
- Friday, 03 Jan, 2025
15 year old Sania is running in memory of the martyrs
15 year old Sania is running in memory of the martyrs- करनाल। हरियाणा के सोनीपत के रुखी गांव की रहने वाली सानिया पांचाल 15 साल की उम्र में एक ऐतिहासिक यात्रा पर निकली हैं। सानिया ने 13 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित लाल चौक से अपनी मैराथन यात्रा की शुरुआत की थी। उनका लक्ष्य कन्याकुमारी तक 4000 किलोमीटर की दूरी को 121 दिन में तय करने का है।
सानिया का उद्देश्य है देश भर में लड़कियों को जागरूक करना और शहीदों की याद में यह दौड़ आयोजित करना है। सानिया की इस यात्रा में उसकी मां, पिता और छोटा भाई भी उसके साथ चल रहे हैं। इसके अलावा, एक एंबुलेंस भी सानिया के साथ चल रही है, जिसमें स्कूल का स्टाफ है, ताकि अगर सानिया को किसी तरह की चिकित्सा या अन्य सहायता की आवश्यकता हो तो उसे तुरंत मिल सके।
सानिया की यह यात्रा शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और देशभर की लड़कियों को यह संदेश देने के लिए है कि वे भी किसी से कम नहीं हैं। सानिया का कहना है, "मैं चाहती हूं कि देश की हर लड़की अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करे और खुद पर विश्वास रखे। सानिया रोजाना 35 से 45 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है। अब तक वह कई राज्यों से गुजर चुकी है और हर जगह उसका भव्य स्वागत हुआ है।
सानिया ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि मैंने अपनी मैराथन यात्रा की शुरुआत श्रीनगर के लाल चौक से की है। वह इस यात्रा को कन्याकुमारी तक पूरी करने का लक्ष्य लेकर चल रही हूं। इस यात्रा के माध्यम से उनका उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना और उन्हें अपनी मेहनत और हुनर पर विश्वास रखने के लिए प्रेरित करना है।
सानिया ने कहा कि मैं लड़कियों को यह संदेश देना चाहती हूं कि वह कभी अपने हुनर को न भूलें, उसे अपने साथ लेकर चलें और अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास रखें। यात्रा के रिस्पॉन्स के बारे में पूछे जाने पर सानिया ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर में थे, लेकिन वहां उतना समर्थन नहीं मिला। लेकिन, जैसे ही हम चंडीगढ़ पहुंचे, बहुत अच्छे से मेरा स्वागत किया गया।। वहां के लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया। करनाल पहुंचने पर भी बहुत अच्छे से स्वागत हुआ और मेरे गुरुओं ने भी हमें पूरा समर्थन दिया।
सानिया ने आगे कहा कि अगर बड़े लोग कुछ कर सकते हैं, तो छोटे क्यों नहीं कर सकते? मेरी उम्र 15 साल है और मैंने ठान लिया है कि मैं यह यात्रा पूरी करूंगी। मैं युवाओं से यही कहना चाहती हूं कि वह अपनी मेहनत पर विश्वास रखें और अपने हुनर को पहचानें। अपने सफर के बारे में बात करते हुए सानिया ने बताया कि उनका यह लक्ष्य 121 दिनों का है और उन्होंने 13 दिसंबर को अपनी यात्रा शुरू की थी। मैं पूरी कोशिश करूंगी कि अपनी इस यात्रा को समय पर पूरा करूं। सानिया ने कहा कि मैंने यह यात्रा इस उद्देश्य से शुरू की कि मैं भारत को एक नया संदेश दूं।
सानिया की मां उषा ने कहा कि 15 साल की सानिया ने 13 दिसंबर को इस यात्रा की शुरुआत की थी। आज 20-21 दिन हो गए हैं। जब सानिया ने इस यात्रा का निर्णय लिया, तो मुझे लगता था कि वह समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती है। उसका उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना है। वह देखती है कि आजकल बहुत सी लड़कियां अपने समय का सही उपयोग नहीं कर रही हैं और फोन पर या दूसरी जगहों पर व्यस्त हैं। सानिया ने यह यात्रा शुरू करके यह संदेश देने की कोशिश की है कि लड़कियां किसी से कम नहीं हैं और अगर छोटी सी बच्ची यह सब कर सकती है, तो हर लड़की को अपने लक्ष्य के लिए मेहनत करनी चाहिए।
उषा ने आगे बताया कि सर्दी के मौसम में यह यात्रा काफी कठिन है। लेकिन, सानिया ने हार नहीं मानी और यह यात्रा जारी रखी। हर जगह लोगों ने हमारा अच्छे से स्वागत किया। हमें हमारे समाज और 36 बिरादरी से पूरा समर्थन मिला है। मैं अपने समाज का धन्यवाद करती हूं जो सानिया का उत्साह बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा सानिया की मेहनत और उसकी दृढ़ता को दिखाती है। मुझे गर्व है कि मेरी बेटी इस दिशा में कुछ कर रही है। मैं चाहती हूं कि हर लड़की अपनी क्षमता को पहचानें और आगे बढ़े।
सानिया के पिता सुरेश पांचाल ने कहा कि हमने 13 दिसंबर को श्रीनगर के लाल चौक से इस यात्रा की शुरुआत की थी। इस यात्रा का समापन कन्याकुमारी में होगा। यह लगभग 4000 किलोमीटर का सफर है। सानिया रोजाना 35 से 40 किलोमीटर चलती हैं और अब हम चंडीगढ़ से आ रहे हैं। हमारे समाज, खासकर हमारी 36 बिरादरी के लोग हमारा बहुत अच्छे से स्वागत कर रहे हैं। आज हम कुरुक्षेत्र से चलकर यहां तक आए हैं, लगभग 35 किलोमीटर का सफर तय किया है।
सुरेश पांचाल ने कहा कि यह यात्रा एक उद्देश्य के लिए है, हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए और लड़कियों को यह संदेश देने के लिए कि वे किसी से कम नहीं हैं। हमारे हरियाणा की लड़कियां 'मारी छोरी, छोरे से कम नहीं' वाली कहावत को सही साबित करती हैं। यह यात्रा हमारे तिरंगे की शान और हमारे किसान भाईयों के संघर्ष को सम्मानित करने के लिए है।
पांचाल ने आगे कहा कि इस यात्रा में सानिया के साथ मैं खुद हूं, उसकी मम्मी और उसका तीन साल का छोटा भाई भी साथ है। हरियाणा से, खासकर हमारे 36 बिरादरी से हमें पूरा समर्थन मिल रहा है। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे अपनी बेटी की यात्रा में साथ देने का मौका मिला। मैं यह चाहता हूं कि हर घर में एक बेटी ऐसी हो, जो अपने देश और समाज के लिए कुछ बड़ा कर सके।