लोक संपर्क विभाग ने अधिकारी ने भगवान कृष्ण के जीवन पर लिखी ‘कर्मयोगी कृष्ण’
- By Vinod --
- Monday, 04 Nov, 2024
Public Relations Department official wrote 'Karmayogi Krishna' on the life of Lord Krishna
Public Relations Department official wrote 'Karmayogi Krishna' on the life of Lord Krishna- चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज पंचकूला में आयोजित तीसरे पुस्तक मेले के उद्घाटन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की जीवनी पर आधारित पुस्तक ‘कर्मयोगी कृष्ण’ का विमोचन किया। इस पुस्तक का लेखन सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग हरियाणा में कार्यरत जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी कृष्ण कुमार आर्य ने किया है।
मुख्यमंत्री ने इस कार्य के लिए लेखक को बधाई और ऐसी कृति की रचना के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने मेले में सभी पुस्तक स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारी मार्गदर्शक होती है और अच्छी पुस्तकें तो हमारे जीवन की धारा को भी बदल देती है। इसलिए सभी को पुस्तकों का स्वाध्याय नियमित तौर पर करना चाहिए। उनके साथ पुस्तक मेले के आयोजक एसईआईएए के चेयरमैन पी के दास, कालका की विधायक श्रीमती शक्ति रानी शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजद थे।
लेखक कृष्ण कुमार आर्य ने पुस्तक के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इस पुस्तक में श्रीकृष्ण की पूरी जीवनी को लिखा गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जीवन का आधार कर्म है और कर्म की सिद्घि केवल कर्तव्य पालन के मार्ग से होकर ही गुजरती है। कर्महीन और कत्र्तव्य विमुख व्यक्ति कभी धर्मात्मा नहीं हो सकता है। उनके इसी उपदेश को श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित नव संकलित पुस्तक ‘कर्मयोगी कृष्ण’ में सहेजा गया है।
आर्य ने बताया कि पुस्तक में श्रीकृष्ण की जीवनशैली को प्रदर्शित करने के लिए विषय-वस्तु को 244 पृष्ठों पर ग्यारह अध्यायों में विभक्त किया गया है। इसमें लगभग 130 मंत्र, श्लोक एवं सूक्तियां तथा पुस्तक को समझने में सहायक आठ आलेख दिए हैं। पुस्तक का पहला अध्याय ‘श्रीकृष्ण की वशांवली’, दूसरे व तीसरे अध्याय में उनके बाल्यकाल की प्रमुख घटनाएं तथा अध्याय चार में गोपी प्रकरण व कंस वध का विवरण दिया है। पुस्तक के पाँचवें अध्याय में श्रीकृष्ण द्वारा महर्षि सांदीपनी एवं अन्य ऋषि आश्रमों में ग्रहण की गई ‘शिक्षाओं तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों’ का वर्णन किया गया है। यह अध्याय अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान तथा सुदर्शन चक्र, सौमधुक, मौन धुक, सौकिक यान एवं सोमतीति रेखा का अन्वेषण श्रीकृष्ण की महानता का परिचय देता हैं।
उन्होंने बताया कि इसके छठे अध्याय में ‘द्वारका की अवधारणा’ तथा श्रीकृष्ण की दिनचर्या को प्रदर्शित करने वाला सातवां अध्याय ‘दैनंदिनी विमर्श’ दिया है। पुस्तक के आठवें अध्याय में महाराज युधिष्ठिर के ‘राजसूय में कृष्णनीति’ तथा नौवें अध्याय में ‘श्रीकृष्ण का तात्त्विक संप्रेषण’ पर विस्तार से उल्लेख है।