भीतरघात और गुटबाजी से हारी कांग्रेस

Haryana Assembly Election Result 2024

Haryana Assembly Election Result 2024

चुनाव हारने वाले 52 प्रत्याशियों ने कमेटी सदस्यों को बताए हार के कारण
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी से बोले वरिष्ठ नेताओं में नहीं था तालमेल
किसी ने भी ईवीएम को नहीं ठहराया दोषी

चंडीगढ़। Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा में चुनाव हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपनी हार के लिए ईवीएम की बजाय पार्टी की गुटबाजी, भीतरी घात तथा वरिष्ठ नेताओं की आपसी रंजिश को जिम्मेदार ठहराया है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के पक्ष में माहौल होने के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है।

चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडग़े तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने फैक्ट फाइडिंग कमेटी का गठन किया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमतंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में राजस्थान के वरिष्ठ विधायक हरीश चौधरी भी बतौर सदस्य शामिल हैं।

कांग्रेस ने विधानसभा की नब्बे में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भिवानी सीट पर इंडिया गठबंधन के तहत सीपीआई-एम के कामरेड ओमप्रकाश चुनाव लड़े थे। कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की। कमेटी ने चुनाव हारने वाले 52 उम्मीदवारों के साथ जूम के जरिये मीटिंग की और हार के कारणों का पता लगाया। सभी उम्मीदवारों को कमेटी की ओर से  चुनाव हारने की वजह, विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गए दौरों के अलावा स्टार प्रचारकों के दौरे तथा ईवीएम के रोल के बारे में सवाल पूछे गए।

कांग्रेस हाईकमान तथा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के तर्कों को खारिज करते हुए बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने ईवीएम के रोल से साफ इंकार कर दिया। कई उम्मीदवारों ने कहा कि कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी के खुद के नेता ही जिम्मेदार रहे। टिकट नहीं मिलने से बागी हुए नेताओं को मनाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। कई सीटों पर कांग्रेस केवल अपने ही बागियों की वजह से चुनाव हारी।

उम्मीदवारों ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी तालमेल नहीं था। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा की अनदेखी का मुद्दा भी कुछ उम्मीदवारों ने कमेटी के सामने उठाया। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने कहा कि अगर कुमारी सैलजा को उकलाना से चुनाव लड़ाया जाता तो प्रदेश की 10 से 15 सीटों का फायदा उनके चुनाव लड़ने मात्र से हो सकता था। सैलजा की नाराजगी और उनके चुनाव प्रचार से दूरी बनाने की वजह से कुछ वर्गों विशेष रूप से दलित वोट बैंक में सेंध लगी। इस वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा।

कई उम्मीदवारों ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने हार के कारण गिनाते हुए कहा कि जाट वोट के ध्रुवीकरण की वजह से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ। जाट मतदाताओं के मुखर होने की वजह से दूसरी जातियों में गलत संदेश गया। इस वजह से मतदान के एक सप्ताह पहले माहौल बिगडऩा शुरू हो गया और वोटिंग का दिन आते-आते गैर-जाट वोटर भाजपा के लिए लामबंद हो गए। कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि कांग्रेस के ने ही कांग्रेस को हराने का काम किया। कई उम्मीदवारों ने कहा कि स्टार प्रचारकों के दौरों को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से पूर्व में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई। कुछ उम्मीदवारों का तो यहां तक कहना था कि चुनाव के दौरान पार्टी नेतृत्व के नेताओं से बातचीत करना आसान था लेकिन प्रदेश के नेता संपर्क में नहीं आ रहे थे।