नूंह, सिरसा, झज्जर, रोहतक व फतेहाबाद में भाजपा को एक सीट नहीं

BJP does not have a single seat in Nuh, Sirsa, Jhajjar, Rohtak and Fatehabad

BJP does not have a single seat in Nuh, Sirsa, Jhajjar, Rohtak and Fatehabad

BJP does not have a single seat in Nuh, Sirsa, Jhajjar, Rohtak and Fatehabad- चंडीगढ़। हरियाणा में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को पांच जिलों में एक सीट पर भी जीत नहीं मिली है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने 48 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की है। जिला स्तर पर अगर आंकलन किया जाए तो हरियाणा में नूंह, सिरसा, झज्जर, रोहतक और फतेहाबाद जिले ऐसे हैं जहां भारतीय जनता पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई है। अगर बेल्ट के हिसाब से देखें तो ये जिले बागड़, देसवाल और मेवात बेल्ट में आते हैं। इन जिलों में कुल 19 विधानसभा सीटें हैं।

कांग्रेस ने जाटलैंड और बागड़ बेल्ट को जीता है। बागड़ ऐसी बेल्ट है, जहां कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार से बेहतर रहा है। इस बेल्ट में जाट मतदाता सबसे ज्यादा हैं।  पार्टी को बागड़ बेल्ट से अतिरिक्त 6 सीटों का फायदा हुआ है।  इस बार बागड़ बेल्ट में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 10, इनेलो ने 2 और निर्दलीय ने 1 सीट जीती। वहीं, 2019 में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 4, जेजेपी ने 5, इनेलो ने 1 और निर्दलीय ने 2 सीटें यहां से जीती थीं।

सिरसा और फतेहाबाद की सभी 8 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर इन जिलों में देखने को मिला। यहां नशाखोरी का मुद्दा भी चुनाव में छाया रहा। नशाखोरी रोकने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी नजर आए। दोनों जिलों की पंजाबी बेल्ट में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

सिरसा और फतेहाबाद में भाजपा विधायकों और नेताओं की कार्यशैली को लेकर भी लोगों में नाराजगी रही। सिरसा में भाजपा ने गोपाल कांडा पर भरोसा जताया। फतेहाबाद में लोग दुड़ाराम की कार्यशैली से नाखुश थे। टोहाना में बराला-बबली की टिकट से नाखुश थे और ऐलनाबाद, रानियां व डबवाली में कमजोर उम्मीदवार उतारे गए थे।

रोहतक व झज्जर जिलों की 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। यहां भाजपा दूसरे या तीसरे स्थान पर रही। इसकी वजह यह रही कि लोगों में यह संदेश गया कि कांग्रेस की सरकार आ रही है और हुड्डा सीएम बन रहे हैं। इस वजह से यहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला।

मेवात की तीनों सीटों पर भाजपा कोई कमाल नहीं कर पाई। यहां नूंह दंगों का असर देखने को मिला। यहां के लोगों में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी है। लोगों ने बीजेपी सरकार पर क्षेत्र में विकास न होने और भेदभाव का आरोप लगाया था। बीजेपी इन मुस्लिम बहुल इलाकों में अपना खाता भी नहीं खोल पाई।