राहुल गांधी ने शैलजा का हाथ पकड़ हुड्डा के हाथ से मिलाया; लोगों के सामने 'ऑल इज वेल' का संदेश, दिखाया- पार्टी में गुटबाजी नहीं

Rahul Gandhi Naraingarh Rally Kumari Selja Vs Bhupinder Hooda Dispute

Rahul Gandhi Naraingarh Rally: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस अपने जीत के पुरजोर दावे कर रही है। जीत के लिए पार्टी का चुनावी प्रचार भी जोरों पर है। राहुल गांधी और प्रियंका ने पार्टी के प्रचार की कमान संभाली हुई है। राहुल गांधी ने आज हरियाणा के नारायणगढ़ से 'विजय संकल्प यात्रा' शुरू की। जहां इस दौरान नारायणगढ़ में राहुल और प्रियंका की एक रैली भी रखी गई। दोनों ने रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी समेत बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा। साथ ही इस दौरान राहुल गांधी ने पार्टी में गुटबाजी की तस्वीर को खारिज करते हुए एकजुटता और 'ऑल इज वेल' का संदेश देने की कोशिश की।

राहुल गांधी ने शैलजा का हाथ पकड़ हुड्डा के हाथ से मिलाया

दरअसल, रैली समापन के बाद जब सभी नेता एक साथ मंच पर आगे आए तो इस बीच कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच खड़े राहुल गांधी ने दोनों के हाथ मिलवा दिये। राहुल गांधी ने शैलजा का हाथ पकड़ हुड्डा के हाथ से मिलाया और पार्टी की तरफ से एकजुटता की तस्वीर पेश की। राहुल गांधी ने यह दिखाया कि, पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं हैं। हरियाणा में कांग्रेस एक और एकजुट है।

 Rahul Gandhi Naraingarh Rally Kumari Selja Vs Bhupinder Hooda Dispute

 

दरअसल, कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच नाराजगी और गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है और समय-समय यह गुटबाजी खुलकर भी सामने आई है।वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा में गुटबाजी उस वक्त और तेज हो गई। जब दिल्ली में ​​​​​​​टिकट बंटवारे के दौरान हुड्डा ने अपनी चलाई और इस दौरान शैलजा की अनदेखी की गई। इसके बाद हुड्डा गुट के लोगों द्वारा अपने खिलाफ जातिसूचक शब्दों से भी शैलजा बेहद आहत हुईं।

जिसका परिणाम यह हुआ कि, शैलजा ने चुनाव प्रचार से बिलकुल दूरी ही बना ली। शैलजा प्रचार में दोबारा तब एक्टिव हुईं। जब हाल ही में राहुल गांधी ने करनाल के असंध में रैली की। तब वह राहुल के साथ मंच पर नजर आईं। फिलहाल, राहुल गांधी के माध्यम से कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा को एक ही मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है।

मतलब जिस तरह से हरियाणा कांग्रेस के भीतर से कलह की खबरें सामने आ रहीं हैं। उनपर विराम लगाने के लिए राहुल ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है। अंदरूनी कलह के कारण कांग्रेस को कोई नुकसान न हो जाए। इसलिए राहुल गांधी प्रचार करने के साथ-साथ गुटबाजी को भी दूर करने में जुट गए हैं। लोगों के सामने एकजुटता दिखाने की कोशिश के साथ ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि पार्टी में ऑल इज वेल है।

शैलजा एक बड़ा दलित चेहरा, करीब 20 सीटों पर प्रभाव

हरियाणा में कुमारी शैलजा एक बड़ा दलित चेहरा और साथ ही कांग्रेस की तरफ से एक बड़ी दलित नेता भी। शैलजा के अपमान से हरियाणा का दलित समाज भी अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है। हरियाणा में करीब 20 फीसदी दलित वोट हैं. हरियाणा में अनुसूचित जातियों के लिए 17 सीटें रिजर्व हैं लेकिन उनका 35 से 37 सीटों पर असर है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए शैलजा काफी अहम हैं। हरियाणा में 20 से ज्यादा सीटें कुमारी शैलजा के प्रभाव वाली मानी जाती हैं.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव-2024 के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग

हरियाणा विधानसभा चुनाव-2024 के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। जबकि वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। यानि 8 अक्टूबर के दिन उम्मीदवारों की तकदीर और बदलती तस्वीर का निर्णय हो जाएगा। साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि हरियाणा की जनता ने अबकी बार किसको सत्ता सौंपी है। गौरतलब है कि, इलेक्शन कमीशन (ECI) ने हाल ही में विधानसभा चुनाव के शेड्यूल में बदलाव किया था। इलेक्शन कमीशन (ECI) की ओर से नया शेड्यूल जारी किया गया. इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी थी और 4 अक्टूबर को रिजल्ट घोषित किया जाना था।

हरियाणा में कितने पोलिंग स्टेशन और कितने वोटर

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जानकारी दी है कि, हरियाणा के 22 जिलों में कुल 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इन 90 सीटों में 73 जनरल, 0 ST और 17 SC सीटें हैं। वहीं हरियाणा में कुल वोटरों की संख्या 2.01 करोड़ है। इन कुल वोटरों में 1.06 करोड़ पुरुष और 0.95 करोड़ महिला वोटर शामिल हैं। वहीं हरियाणा में युवा वोटरों (उम्र-20 से 29) की संख्या 40.95 लाख है। जबकि फ़र्स्ट टाइम वोटरों (उम्र-18 से 19) की संख्या 4.52 लाख है। इसके साथ ही पीडबल्यूएस, बुजुर्ग और थर्ड जेंडर वोटर भी शामिल हैं। इसके अलावा हरियाणा में 10 हजार 495 लोकेशन पर 20 हजार 629 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। जहां लोग वोट डालने के लिए आएंगे।

हरियाणा में इस बार जल्दी विधानसभा चुनाव

हरियाणा में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त होने वाला है। यानि हरियाणा में मौजूदा सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर, 2024 को समाप्त हो जाएगा। हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटों पर पिछला विधानसभा चुनाव साल 2019 में हुआ था। तब चुनाव आयोग ने 27 सितंबर को चुनावी नामांकन के लिए अधिसूचना जारी की थी और 4 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए गए थे। वहीं 7 अक्टूबर नामांकन वापस लेने की तिथि थी। जबकि 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 21 अक्टूबर को हुई थी। जिसके बाद 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव में पड़े वोटों की गिनती की गई और रिजल्ट डिक्लेयर कर दिया गया था।

किसी भी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत

2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ था। हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए किसी पार्टी को अकेले दम पर 46 सीटों की जरूरत होती है। लेकिन रिजल्ट के बाद सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने 40 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 31 सीटें, जेजेपी ने 10 और अन्य ने 9 सीटें हासिल की थी। जिसके बाद बीजेपी और जेजेपी ने आपस में गठबंधन किया और राज्य में सीएम मनोहर लाल के नेतृत्व में गठबंधित सरकार चलाई। इस दौरान जेजेपी प्रधान महासचिव दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम रहे।

लेकिन यह गठबंधित सरकार इस साल लोकसभा चुनाव से पहले बिखर गई। 12 मार्च को बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ लिया और इसके साथ ही मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद उसी दिन नायब सिंह सैनी ने सरकार बनाने के लिए तय विधायकों की संख्या के हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस समय नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा में बीजेपी सरकार है। वहीं इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी कांग्रेस, जेजेपी और आप के बीच चौतरफा मुकाबला होने की संभावना है। उधर इनेलो भी इस बार पूरी दमखम के साथ मैदान में है।

इनेलो और मायावती की बीएसपी पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस बार देखना यह होगा हरियाणा की जनता किस पार्टी को सत्ता में बैठाती है। ज्ञात रहे कि, हरियाणा लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लग चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतीं थीं तो वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। ये सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। जिसे 2019 में एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली थी।