पूर्व अधिकारियों की दावेदारी को पार्टियों ने नहीं लियी सीरियस: पूर्व अधिकारियों के लिये अंगूर खट्टे

Parties did not take the claims of former officials seriously

Parties did not take the claims of former officials seriously

Parties did not take the claims of former officials seriously- चंडीगढ़, (साजन शर्मा)I हरियाणा विधानसभा चुनावों में टिकट की बॉट जोह रहे कई पूर्व अधिकारियों को निराशा हाथ लगी है। किसी भी बड़ी पार्टी ने इन अधिकारियों की दावेदारी को सीरियसली नहीं लिया। टिकट की  दावेदारी करने वालों में एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत न्यायाधीश, आईएएस, आईपीएस अधिकारी और डॉक्टर इत्यादि शामिल थे।

इनके लिये अंगूर खट्टे हैं वाली कहावत सही साबित हो गई। हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिये वीरवार यानि 12 सितंबर को नामांकन का अंतिम दिन था। भाजपा को इस बार मुख्य रूप से टक्कर दे रही कांग्रेस पार्टी ने बुधवार देर रात अपनी अंतिम सूची जारी की। उसमें भी दो तीन विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी घोषित नहीं किये गये। वीरवार सुबह ही यह लिस्ट जारी की गई।

भाजपा ने भी अपनी अंतिम सूची एक दो दिन पहले ही घोषित की। बहुत से पूर्व अधिकारी जो हरियाणा सरकार में अच्छे ओहदों पर रहे हैं, इस मर्तबा टिकट के इच्छुक थे लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने इन पूर्व कर्मचारियों पर भरोसा नहीं जताया। टिकट के इच्छुकों में सेवानिवृत्त डीजीपी बलजीत संधू, सेवानिवृत्त एडीजीपी कामराजा और श्रीकांत जाघव भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे, वहीं सेवानिवृत्त एडीजीपी सुभाष यादव कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विनय कुमार, वजीर गोयत, जगदीप, विकास यादव कांग्रेस से टिकट चाह रहे थे। केवल चंद्रप्रकाश को कुछ राजनीतिक कारणों व आधार पर आदमपुर से टिकट मिल पाया है।

पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस, रोहतक के पूर्व वीसी डॉ. सांगवान और रोहतक स्थित निजी अस्पताल के मालिक डॉ. आदित्य बत्रा समेत आधा दर्जन मेडिकल प्रोफेशनल भी टिकट नहीं पा सके। डॉ. बत्रा को आरएसएस के मजबूत समर्थन से रोहतक से भाजपा का टिकट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन वे हरियाणा के पूर्व मंत्री मुनीश ग्रोवर के हाईकमान में दबदबे के सामने टिक नहीं पाए, क्योंकि उनकी पूर्व सीएम मनोहर लाल से नजदीकी है। मुनीश ग्रोवर पिछले एक महीने से मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं।

पहले उन्होंने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उनके समर्थक चाहते हैं कि वे चुनाव लड़ें। उन्होंने सत्ता में आने के बाद रोहतक एसपी को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी। रोहतक पीजीआई के बहुत से डॉक्टर भी इस मर्तबा के विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाना चाहते  थे लेकिन उनकी साख कहीं काम नहीं आई। कांग्रेस, भाजपा, इनेलो, जजपा और आम आदमी पार्टी ने उन्हें पूछा तक नहीं। लोग इसको लेकर भी सोशल मीडिया पर तंज कस रहे हैं।

उनका कहना है कि इन सभी पूर्व अधिकारियों को जो चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं मिलकर एक पार्टी बना लेनी चाहिए। इस मर्तबा न सही, अगली बार जो चुनाव होंगे उसमें जहां से चाहें वहां से चुनाव लड़ लें। तब तक अपना आधार बनायें और लोगों की सेवा करें।