हरियाणा सरकार का निकायों पर बड़ा फैसला, परिषद प्रधान व ईओ से वित्तीय शक्तियां छिनी
हरियाणा सरकार का निकायों पर बड़ा फैसला, परिषद प्रधान व ईओ से वित्तीय शक्तियां छिनी
अब सीईओ को नए सिरे से पावर देने की तैयारी
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने स्थानीय निकायों में फैले भ्रष्टाचार को देखते हुए प्रदेश की सभी नगर परिषदों में कार्यकारी अधिकारियों तथा परिषद प्रधानों से वित्तीय अधिकार वापस ले लिए हैं। अब सरकार सीईओ को यह अधिकार देने जा रही है। सीईओ एचसीएस या आईएएस अधिकारियों को बनाया जाएगा।
प्रदेश के स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार का मुद्दा लंबे समय से छाया हुआ है। प्रदेश में बहुत से नगर परिषदें ऐसी हैं जहां प्रधान तथा कार्यकारी अधिकारियों की मिलीभुगत के चलते सरकारी परियोजनाओं में गोलमाल की खबरें आती रही हैं। स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने इस बारे में अपने स्तर पर रिपोर्ट भी ली। जिसके बाद नगर परिषदों में कार्यकारी अधिकारियों तथा प्रधान की वित्तीय पावर छीन ली गई है। निकाय विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
हरियाणा रेवाड़ी,भिवानी समेत कई शहरों में इस तरह की शिकायतें आ चुकी थी। पिछले कुछ समय से स्थानीय निकाय विभाग सरकार के टॉप एजेंडे में है। पिछले कुछ दिनों में प्रदेश सरकार द्वारा जारी किया गया यह तीसरी अधिसूचना है। सबसे पहले सरकार ने नगर परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने का अधिसूचना जारी की है। इसके बाद प्रदेश के अधिकांश जिलों की नगर परिषद और नगर पालिका में जिला नगर योजनाकार नियुक्त करने की अधिसूचना और तीसरी अधिसूचना कार्यकारी अधिकारी और प्रधान की पावर वापस लेने का जारी हुई है।
इससे पहले वित्तीय मामले में चैक पर हस्ताक्षर की पावर नगर परिषद में कार्यकारी अधिकारी और प्रधान की होती थी। सूत्रों के अनुसार टेंडर के बाद कथित तौर पर ठेकेदार से तीन से लेकर आठ प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता था, जो फिक्स होता था। इसकी शिकायतें लगातार सरकार तक पहुंच रही थीं। कई जगह तो कमीशन एडवांस में भी मांगा गया। जिसके चलते सरकार ने वित्तीय शक्तियां वापस ली हैं।