हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल
- By Vinod --
- Tuesday, 16 Jul, 2024
Haryana government raised questions on the High Court's decision in the petition filed in the Suprem
Haryana government raised questions on the High Court's decision in the petition filed in the Supreme Court- चंडीगढ़। हरियाणा सरकार शंभू बार्डर नहीं खोलना चाहती है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। मंगलवार को हरियाणा सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट ने धरातल की सच्चाई जाने बगैर ही फैसला दिया है। बार्डर खोलने से पहले किसानों को भी वहां से उठने के लिए कहा जाता तो बेहतर होता।
हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई के अपने आदेश में हरियाणा सरकार को एक सप्ताह के भीतर शंभू बार्डर खोलने के लिए कहा था। बुधवार को हाई कोर्ट के आदेश को एक सप्ताह पूरा होगा। अभी तक राज्य सरकार की ओर से शंभू बार्डर खोलने के लिए किसी तरह की हरकत दिखाई नहीं पड़ रही है। वहां आठ लेयर की सिक्योरिटी है, ताकि पंजाब के किसान दिल्ली की तरफ कूच ना कर सकें। किसान एमएसपी की गारंटी समेत करीब आधा दर्जन मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
हरियाणा सरकार के कानूनी विशेषज्ञों की टीम लगातार इस केस पर मंथन कर रही है। मंगलवार को सरकारी सूत्रों ने बताया कि हाईकोर्ट ने फैसला देते समय कई पहलूओं की अनदेखी की है।
हाई कोर्ट के बार्डर खोलने के आदेश के बाद पंजाब की किसान जत्थेबंदियां शंभू बार्डर पर फिर से जुटने लगी थी। उनकी तैयारी दिल्ली कूच की है, ताकि वहां अपने मोडिफाई वाहनों के माध्यम से पहुंचकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। प्रदेश सरकार का मानना है कि यदि किसान दिल्ली जाने में कामयाब हो गए तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। ऐसे में उसे फिर से शंभू बार्डर को बंद करना पड़ेगा, इसलिए शंभू बार्डर खोलने के आदेश का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका में हरियाणा सरकार ने कहा है कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकारों से परे जाकर यह आदेश पारित किया है।
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने यह याचिका मेंशनिंग की थी, जिस पर पीठ ने सुनवाई के लिए 22 जुलाई तय की है। अब पूरे प्रदेश की निगाह की इस याचिका पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है।
हरियाणा सरकार के अनुसार, हाई कोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को समझे बिना ही निर्देश पारित कर दिए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की इस दलील को भी नहीं माना कि किसान यूनियन बहुत आक्रामक थी और कानून का उल्लंघन नहीं करने की बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद भी उसके आक्रामक रुख में कोई कमी नहीं आ रही थी। हाई कोर्ट को किसान संगठनों को शंभू सीमा से धरना हटाने का निर्देश देना चाहिए था, जबकि उसने हरियाणा सरकार को ही शंभू बार्डर खोलने का आदेश दे दिया।
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जमीनी हकीकत बार्डर पर खतरे की आशंका है, शांति भंग होने की संभावना और कानून के उल्लंघन का आकलन करना पूरी तरह से राज्य की जिम्मेदारी है। सरकार के पास और भी कई ऐसे इनपुट हैं, जिनसे शांति भंग की पूरी तरह से आशंका बनी हुई है। ऐसे में शंभू सीमा को अवरुद्ध करना अथवा उसे खोलने का निर्णय करना राज्य का काम है।
राज्य ने अपनी दलील में यह भी कहा है कि 400-500 ट्रालियां और 50-60 अन्य वाहन लगभग 500 आंदोलनकारियों के साथ अभी भी शंभू सीमा पर मौजूद हैं। हालांकि, इन अवैध रूप से आंदोलन कर रहे समूहों को राजमार्ग खाली करने, असुविधा पैदा करने और कानून अव्यवस्था के मुद्दे पैदा करने से रोकने के लिए कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने शंभू सीमा पर डटे इन आंदोलनकारियों द्वारा किए जाने वाले आंदोलन की अनदेखी की है।
विशेष अनुमति याचिका में दावा किया है कि इस क्षेत्र में खतरे की आशंका बनी हुई है और किसी भी अप्रिय घटना की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।