SGPC Election: हरजिंदर सिंह धामी ने जीता अध्यक्ष का चुनाव, नहीं काम आई बीबी जागीर कौर की बगावत
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SGPC Election: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव में शिरोमणि अकाली दल से निष्कासित बीबी जागीर कौर को बड़ा झटका लगा है। एसजीपीसी दफ्तर के तेजा सिंह समुद्री हाल में आयोजित कमेटी के चुनाव में हरजिंदर सिंह धामी ने 104 वोट हासिल कर बीबी जागीर कौर को 62 वोटों से पराजित किया। बीबी जागीर कौर को कुल 42 वोट मिले।
बुधवार दोपहर करीब एक बजे तेजा सिंह समुद्री हाल में एसजीपीसी इजलास शुरू हुआ। तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अरदास की। सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने हुक्मनामा लिया। जनरल इजलास के शुरुआत में दिवंगत एसजीपीसी के सदस्यों को श्रद्धांजलि भेंट की गई। शिरोमणि कमेटी के मौजूदा प्रधान के तौर पर हरजिंदर सिंह धामी ने शोक पत्र पढ़ा। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह उपस्थित रहे।
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बीबी जागीर कौर थीं बड़ी चुनौती
जरनल इजलास के बाद एसजीपीसी चुनाव में सुखबीर सिंह बादल के करीबी व कमेटी के मौजूदा प्रधान हरजिंदर सिंह धामी के सामने शिअद की बागी नेता बीबी जागीर कौर बड़ी चुनौती थीं। सुखबीर बादल ने तो उन्हें अंतिम क्षणों तक चुनाव से पीछे हटने की अपील की लेकिन उन्होंने अंतिम क्षणों तक अपनी बात पर अटल रहीं और चुनाव लड़ीं।
एसजीपीसी चुनाव में शाम तक 146 सदस्यों ने वोट डाला। शिअद की बागी नेता बीबी जागीर कौर को सिर्फ 42 वोट ही मिले। जबकि वे 70 के करीब मतदाताओं के साथ होने की बात कह रही थीं। मौजूदा एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी को 104 वोट मिले और उन्हें विजय घोषित किया गया।
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एसजीपीसी के कुल 191 सदस्य
जानकारी मुताबिक पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के 120 हलकों में एसजीपीसी के 191 सदस्य हैं। इनमें से 170 पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हैं। इसके अलावा 15 सदस्य देशभर से मनोनीत होते हैं। बाकी के छह सदस्य तख्तों के जत्थेदार और सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी होते हैं।
संघ ने की थी लॉबिंग, हुई पंथ की बड़ी जीत: धामी
अध्यक्ष का चुनाव जीतने पर हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह पंथ की बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि संघ व अन्य विरोधियों ने लॉबिंग की थी। केंद्र सरकार और भाजपा सिखों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी कर रही है। इस चुनाव में शिअद एक तरफ और देश व प्रदेश की विपक्षी पार्टियां एक तरफ थीं लेकिन एक बार फिर पंथ की बड़ी जीत हुई है।