बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल ने दी हरी झंडी

बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल ने दी हरी झंडी

बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल ने दी हरी झंडी

बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल ने दी हरी झंडी

नगरपालिका कानून की दो धाराओं में मुख्य रूप से किया गया है संशोधन

पटना (बिहार) : बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने ये मंजूरी दे दी है। नगरपालिका कानून की दो धाराओं में मुख्य रूप से संशोधन किया गया है। इसके साथ ही कुछ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं। धारा 23 (1) और धारा 25 को बदल दिया गया है. धारा 23 (1) में अभी तक यह प्रावधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में, बहुमत से महापौर और उपमहापौर को चुन सकेंगे। लेकिन अब इस नए  संशोधन के बाद, नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सीधे मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को खुद से चुनेंगे। जाहिर सी बात है कि राज्यपाल के अनुमोदन के बाद बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश 2022 के लागू हो जाने बाद से राज्य में नगरीय विकास के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी। नए प्रावधान के अनुसार नगरपालिका में प्रत्याशी किसी भी दल के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इतना ही नहीं, चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी भी दल के झंडा बैनर या प्रतीक चिन्ह के उपयोग की अनुमति नहीं होगी। नगरपालिका कानून की दो धाराओं में मुख्य रूप से संशोधन किया गया है। इसके साथ ही, कुछ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं। धारा 23 (1) और धारा 25 को बदल दिया गया है। धारा 23 (1) में अभी तक यह प्रावधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में, बहुमत से महापौर और उपमहापौर को चुन सकेंगे। लेकिन अब संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सीधे मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को खुद से चुनेंगे। वहीं धारा 25 में महापौर और उपमहापौर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद को अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था लेकिन अब संशोधन के बाद यह प्रावधान खत्म हो गया है। नगरपालिका कानून 2007 में हुए इस नए संशोधन के बाद, वार्ड पार्षदों की खरीद-फरोख्त नहीं हो पायेगी। गौरतलब है कि वार्ड पार्षदों की मनमानी भी अब नहीं चलेगी। बेहद गहरी बात यह है कि महापौर से लेकर उपमहापौर, दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम का तो खेल चलता ही था, साथ ही बड़ी रणनीति भी बनाई जाती थी। यही नहीं, इस प्रक्रिया में साम-दाम-दंड-भेद सभी चीजों का इस्तेमाल किया जाता था। दिलचस्प बात यह है कि मेयर और डिप्टी मेयर के बड़े पद के लिए बीच कार्यकाल में ही, अविश्वास प्रस्ताव लाकर विकास कार्य को वार्ड पार्षदों और निगम पार्षदों द्वारा बाधित किया जाता था। लेकिन अब यह मुमकिन नहीं है। बिहार के उपमुख्यमंत्री और नगर विकास विभाग के प्रभारी मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश के लागू हो जाने का स्वागत किया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि इस अध्यादेश के लागू हो जाने के बाद राज्य के शहरी निकायों में नगरिया विकास और शहरों के विस्तार के साथ ही, सौन्दरीकरणके लिए संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी। उपमुख्यमंत्री की मानें, तो अब शहरी निकाय के जनप्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष रुप से मतदाताओं द्वारा चुने जाने से जनता के प्रति उनकी जवाबदेही और भी सुनिश्चित की जा सकेगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों के विकास के लिए चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजना और परियोजनाओं में इस अध्यादेश के लागू हो जाने के बाद और भी गति मिल सकेगी। हर तरफ से यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस अध्यादेश के बाद, विकास धरातल पर ना केवल उतरेगा बल्कि साफ-साफ दिखेगा भी।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह