सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली दसवीं की छात्राएं अब स्टूडेंट सैटेलाइट व्हीकल मिशन 2023 में रचेगी इतिहास
- By Sheena --
- Thursday, 18 Aug, 2022
Government school student now create history in student satellite vehicle mission 2023
चंडीगढ़: अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के मदद से केवल दो महीने में ही 4 इंच का ड्रोन बनाकर हरियाणा की चार छात्राओं ने अगले साल फरवरी 2023 में होने वाले इवेंट का गोल्डन पास लिया। इन चारों छात्राओं के लिए यह पहला और सुनहरा अवसर होगा जबकि इंडियन स्पेस सेंटर चेन्नई में प्रधानमंत्री के साथ इस स्टूडेंट सैटेलाइट मिशन लांच में भाग लेगी। यह चारों छात्राएं हरियाणा के सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रही है। जिसमें दो पंचकूला के सरकारी स्कूल, एक अंबाला के सरकारी स्कूल और एक कैथल के गांव में सरकारी स्कूल की छात्राऐं है। इन चारों छात्राओं को यह गोल्डन पास बुधवार को कलाग्राम में American Indian Foundation और IBM द्वारा आयोजित पीको सेटेलाइट और ड्रोन के लांच के दौरान दिए। इस दौरान चारों छात्राओं ने अपने अपने बनाए ड्रोन आम लोगों के सामने पेश किए। वहीं अपनी बेटियां की प्रतिभा के कारण मिले सम्मान को लेकर उनके परिजन भी फूले नहीं समा रहे थे।
क्या है अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन ?
अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन और आईबीएम संयुक्त रूप में 13 राज्य में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स क्षेत्र में छात्राओं व महिलाओं की रूचि बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चला रही है। जिसमें अमेरिकन इंडियन फाऊडेशन के कर्मी सरकारी स्कूलों में जा कर छात्राओं को साइंस , टैक्नोलिजी , इंजीनिरिंग और मैथेमेटिक्स विषय के बारे में बताते है। इन चारों क्षेत्र में से छात्रा की जिस विषय में रूचि होती है। यह फाउंडेशन उस क्षेत्र में उसकी अधिक से अधिक मदद करते है।
पंचकूला की है छात्राओ ने किया कमाल
इन चारों में एक छात्रा भूमिका पंचकूला की रहने वाली है। भूमिका सेक्टर-20 के गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति स्कूल की दसवीं कक्षा की छात्रा है। भूमिका आगे जाकर साइंस में पढ़ाई कर एक कामयाब डॉक्टर बनाना चाहती है। हालांकि भूमिका के पिता युद्ध राम पंडित ठेकेदार है और मां एक गृहणी है परंतु वो अपनी बेटी की इच्छा अनुसार उसे मनचाहा करियर चुनने के पुरी मदद कर रहे है। वहीं सेक्टर-20 पंचकूला की रहने वाली दूसरी छात्र हिमांशी भी गवर्नमेंट इंटीग्रेटेड मॉडल संस्कृति स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती है। हिमांशी के पिता डेंटल टेक्नीशियन है। इसलिए उसकी शुरू ही मेडिकल साइंस में बहुत रुचि थी। हिमांशी ने बताया कि पहले तो अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन के टीचर्स की ओर से ऑनलाइन क्लास ली जाती थी, परंतु बाद में जब क्लास ऑफ लाइन शुरू हुई तो उन्हें ड्रोन बनाना सीखना बहुत अच्छा लगा। उन्होंने दो महीने में अपना ड्रोन बनाना सीख लिया।
अंबाला और कैथल के भी छात्र हुए शामिल
हरियाणा अंबाला की डोली शर्मा ने भी बड़े होकर डॉक्टर बनाने का लक्ष्य तय कर रखा है। डोली अंबाला के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दसवीं में पढ़ती है। उसके पिता केमिस्ट शॉप पर काम करते है और मां मेहंदी बनाने की फैक्टरी में काम करती है। उसका सपना है कि वो बड़ी होकर डॉक्टर बने और अपने माता पिता के सपने को साकार करे। डोली ने केवल एक महीने में ही ड्रोन बनाना सीख लिया था। वहीं कैथल की गौरी शर्मा को सांइस में बिलकुल भी रूचि नहीं थी। गौरी को गणित में बहुत रूचि है परंतु जब उसके स्कूल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल कैथल में अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के महेश कुमार फाउंडेशन के कॉन्सेप्ट को लेकर पहुंचे तो गौरी को भी ड्रोन बनाने का मन किया। गौरी ने साइंस में रूचि न होना भी दो महीने में ड्रोन बनाने पुरी तरह सीख गई। हालांकि गौरी अपनी हायर स्टडी विदेश में कॉमर्स की पढ़ाई करना चाहती है, परंतु ड्रोन बनाने के बाद उसकी साइंस और इंजीनियरिंग में भी रुचि बढ़ गई।