विश्वविद्यालयों के निजीकरण की तैयारी में सरकार: सुरजेवाला
Privatization of Universities
सफल नहीं होने देंगे गरीबों को शिक्षा से वंचित करने का षडय़ंत्र
नए कोर्सों को एसएफएस के तहत शुरू कर रही सरकार
चंडीगढ़, 22 जनवरी। Privatization of Universities: कांग्रेस महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा के विश्वविद्यालयों(Universities of Haryana) की पढ़ाई को ‘सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस’(self finance courses) में बदलने की मंशा पर मनोहर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का निजीकरण(privatization of education) कर सरकारी शिक्षा पर ताला(lock on government education) लगाने की गठबंधन सरकार की दुर्भावना उजागर हो गई है। विद्यार्थी वर्ग को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने का यह घिनौना षड्यंत्र है।
रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि हरियाणा के सैंकड़ों सरकारी विद्यालयों पर ताले लगाने के बाद खट्टर सरकार ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भी प्राइवेटाइजेशन का मॉडल लागू करके उच्च शिक्षा को औने-पौने दामों पर बेचने का अभियान छेड़ दिया है।
रणदीप ने कहा कि सरकार जानती है कि यदि साधारण घरों के बच्चे इसी प्रकार आगे बढ़ते रहे तो इनकी झूठ और लूट की राजनीति ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी और इसीलिए सरकार प्रदेश के गरीब-दलित और किसान-कमेरे परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा से वंचित रखकर इनकी ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ के झूठे ज्ञान में उलझाए रखना चाहती है।
सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार जब से सत्ता में आई है तभी से उच्च शिक्षण संस्थानों को दुकानों में बदलने की साजि़श रचने में जुटी है। इसी कड़ी में पिछले वर्ष मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों को वित्तीय अनुदान बंद करके इसके स्थान पर विश्वविद्यालयों को कर्जा देने का आदेश पारित किया था।
रणदीप ने कहा कि पिछले साल प्रदेश के विश्वविद्यालयों के विरोध से अपनी फजीहत करवाने के बाद भी सरकार बाज़ नही आ रही है। पिछले आठ साल से प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में ना नियमित शिक्षकों की भर्तियां की जा रही और न ही आधारभूत ढांचा विकसित किया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आठ साल में प्रदेश के किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय में एक भी कोर्स सरकारी बजटेड व्यवस्था पर शुरू नही किया गया। हर नया कोर्स, हर नई सीट सेल्फ फाइनेंस पर चलेगी। सरकारी अनुदान में कटौती के चलते प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और अपनी फीस में भारी वृद्धि करने को विवश हैं।
अगले शैक्षणिक सत्र के लिए रोहतक का महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अपनी कार्यकारी परिषद में भारी फीस वृद्धि का प्रस्ताव पारित कर चुका है। रजिस्ट्रेशन फीस, माइग्रेशन फीस औऱ एग्जाम फीस में वृद्धि करके महाविद्यालयों के छात्रों को भी नही बख्शा गया है। यही स्थिति आर्थिक संकट से जूझ रहे बाकी विश्वविद्यालयों की भी है।
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