Haryana : अच्छे चिकित्सक का समाज और विद्यार्थियों दोनों पर रहता है प्रभाव : डॉ. बलदेव कुमार
good doctor has influence on society
Good Doctor has influence on society : कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय (Sri Krishna Ayush University) के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय द्वारा आयोजित छ: दिवसीय सीएमई कार्यशाला का शनिवार को समापन हो गया। समापन अवसर पर मुख्य अतिथि आयुष विवि के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने की।
प्रो. डॉ. दिप्ति पराशर ने अतिथियों का स्वागत किया
रोग निदान एवं विकृति विज्ञान की प्रो. डॉ. दिप्ति पराशर (Pro. Dr. Dipti Parashar) ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ के साथ स्वागत किया। कुलपति डॉ. बलदेव कुमार (Vice Chancellor Dr. Baldev Kumar) ने समापन अवसर पर देशभर से आए शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस छ: दिवसीय कार्यशाला में सभी ने बहुत कुछ सिखा और आपस में ज्ञान का आदान प्रदान किया होगा। मगर आयुर्वेद को समझना है, तो संहिताओं को जरूर पढऩा चाहिए, उसके बाद ही अन्य पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ ही आयुर्वेद के सभी चौदह विषयों के डॉक्टरों को चिकित्सा से जरूर जुड़े रहना होगा। इससे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की सार्थकता सिद्ध होगी। अच्छा चिकित्सक का समाज और विद्यार्थियों दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
पीएम ने दिया एक देश एक चिकित्सा पद्धति का नारा
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा एक देश और एक चिकित्सा पद्धति का नारा दिया गया है। इसलिए आयुष के स्तर पर सभी पद्धतियों का एकीकरण करने की आवश्यकता है। इससे सभी चिकित्सा पद्धतियों को लाभ मिलेगा। श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन बहुत जरूरी है। इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनो के ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। ज्ञान बांटने से बढ़ता है और ये कार्यशालाएं ज्ञान के विकेंद्रीकरण का माध्यम हैं। वहीं अन्तिम दिन कार्यशाला के प्रथम सत्र को जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के प्रो. डॉ. सुरेंद्र कुमार ने संबोधित किया, उन्होंने मानसिक रोगों के बारे में प्रशिक्षुओं को सम्बोधित किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व बनता है, जो विषय उनके द्वारा पढ़ाया जाता है, विद्यार्थी उसे आत्मसात जरूर करें। उससे पहले शिक्षकों का स्वयं का अध्ययन बहुत जरूरी है। इसके साथ ही विद्यार्थियों को सिखाने के लिए मॉडर्न तकनीक का प्रयोग भी किया जा सकता है।
प्रो. डॉ. जाई किन्नी का रहा दूसरा व्याख्यान
दूसरा व्याख्यान मुंबई वाईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलजे की प्रो. डॉ. जाई किन्नी (Pro. Dr. Jai Kinney) का रहा। वहीं दिन के तीसरे सत्र को मुंबई आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्रो. डॉ. अरुण दुधमल ने संबोधित किया। जिसमें उनके द्वारा संप्राप्ति अवधारणा, प्रकार, व्याख्या और उपयोग बताए। कार्यक्रम के अन्त में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर डॉ. आशीष मेहता, डॉ. रणधीर सिंह, डॉ. सुनिल गोदारा, एवं पीजी स्कॉलर मौजूद रहे।
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