General budget will give momentum

Editorial: देश के विकास को गति प्रदान करेगा आम बजट

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General budget will give momentum

General budget will give momentum भारत और उसकी अर्थव्यवस्था सूर्योदय के समान हैं। यह समय देश के अमृत काल का भी है, यानी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका देश अब नई संभावनाओं की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में आम बजट से यह उम्मीद हो रही थी कि वह सर्वोन्मुखी और सबका साथ, सबका विकास की अवधारणा के साथ पेश किया जाएगा।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट देश के विकास की नई संभावनाओं को आगे बढ़ाने वाला है। पिछले वर्षों में देश में मुफ्त बांटने की कार्य संस्कृति विकसित हो चुकी है और राजनीतिक दल सत्ता में आने और बने रहने के लिए घोषणाओं और रियायतों की रेवड़ी बांटते हैं। हालांकि मोदी सरकार ने दीर्घकालीन विकास को ध्यान में रखकर काम किया है और आम बजट में इसकी झलक साफ-साफ नजर आती है।

इस वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं अगले वर्ष लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, बावजूद इसके अगर आम बजट लोकलुभावन घोषणाओं की बजाय अनुशासित राह पर चलता दिख रहा है तो यह काबिलेतारीफ है। भारत के समक्ष इस समय यह विकल्प है कि उसे किस राह पर आगे बढऩा है। यानी एक सतत विकास संपन्न या फिर आर्थिक दुश्वारियों से जूझते हुए देश के रूप में। यह तब है, जब दुनिया के तमाम विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो चुकी है, कोरोना काल में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने भी भारी मुश्किलें झेली हैं, हालांकि कमोबेश भारत में हालात नियंत्रित रहे हैं। अब देश अगले 25 वर्षों का खाका खींच कर चल रहा है, ये अगले वर्ष उसकी तकदीर के निर्णायक साबित होने वाले हैं।

जाहिर है, अगले 25 वर्षों में सत्ताधारी भाजपा समेत दूसरे राजनीतिक दलों का अस्तित्व रहेगा लेकिन नेता बदलते जाएंगे। अगर हम अपनी आने वाली पीढिय़ों से इसकी उम्मीद करते हैं कि वे देश के हालात बदलेंगी तो यह बेहद नाइंसाफी होगी। यह काम आज के नेतृत्व को करना है और इसी समय करना है। इस लिहाज से आम बजट उसी भविष्य की तैयारी नजर आता है।

अगर बजट की बारीकियों पर नजर डालें तो खर्च की उच्च गुणवत्ता बेहतरीन राजकोषीय नीति के अहम पहलुओं में से एक है। राजस्व के मोर्चे पर कुछ तंगी के बाद भी सरकार पूंजीगत व्यय की गति बरकरार रखने में कामयाब रही है। बजट में पूंजीगत व्यय को 27.7 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जिसके तहत सरकार सडक़, रेलवे, तेल एवं गैस और बिजली एवं अक्षय ऊर्जा जैसे विकास को गति प्रदान करने वाले क्षेत्रों पर खर्च करना चाहती है। आम बजट में आम आदमी पर इस बार कृपा बरसाने की कोशिश की गई है। सात लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं देने का प्रावधान लुभावना है। वरिष्ठ नागरिकों की बचत स्कीमों के लिए जमा राशि की मौजूदा सीमा दोगुनी करके 30 लाख रुपये की गई है।

बजट में रक्षा, आवास, स्वास्थ्य, महिलाएं, कृषि, उद्योग-एमएसएमई, पर्यावरण, शिक्षा, गांव, पर समुचित ध्यान दिया गया है। बजट में यह बात गौर करने लायक है कि भविष्य में बढ़ती आवास की जरूरतों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बजट को 66 प्रतिशत बढ़ाया गया है। अर्बन हाउसिंग आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। साल 2031 तक देश की आबादी बढक़र 60 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। स्वास्थ्य बजट में भी 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यह उचित है कि खेती-किसानी को नए युग में ले जाने की तैयारी है। भारत में कृषि अभी भी परंपरागत तरीकों से हो रही है, लेकिन समय के साथ इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है। बजट में प्रस्ताव है कि घाटे की खेती को लाभ में लाया जाए। सरकार चाहती है कि कृषि में युवा उद्यमियों को आकर्षित कर इसे लाभकारी बनाया जाए। इसके लिए किसान केंद्रित मार्केट इंटेलीजेंस, एग्रीटेक और स्टार्टअप को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है। बजट में प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देने का प्रावधान है।

इसके लिए पीएम प्रणाम योजना को शुरू करने का प्रस्ताव है। सरकार सप्तऋषि योजनाएं लेकर आई है। इसके तहत श्री अन्न, पंचामृत व गोबरधन से यूनिटी मॉल जैसे प्रावधान हैं। ज्वार, बाजरा, रागी जैसे मोटे अनाज श्री अन्न करार दिए गए हैं। अब इनके उत्पादन, निर्यात और प्रयोग से देश आर्थिक तरक्की का स्वप्न संजो रहा है।

बेशक, इन सभी योजनाओं पर खर्च कैसे जुटेगा, यह जिज्ञासा का विषय है, लेकिन इस बजट को मॉडल कहा जा सकता है। विपक्ष की ओर से सवाल उठाए गए हैं, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि इस समय देश को ऐसे ही अनुशासित कदमों की जरूरत है, जब आर्थिक क्षमता बढ़ेगी तो ही विकास योजनाओं पर खर्च किया जा सकेगा। 

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