जब सरकारी सहायता की रेबड़ी बांटनी थी.... तो उस समय पंजाब कला परिषद को भी केवल अपने ही नज़र आए
- By Kartika --
- Tuesday, 29 Nov, 2022
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जानेमाने लेखक कर रिटायर्ड ज़िला अटार्नी मित्रसेन मीत ने किए सनसनी खेज़ रहस्योदघाटन
यहां तहज़ीब बिकती है यहां फरमान बिकते हैं!
ज़रा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं! (अज्ञात )
पंजाब आर्ट्स काउंसिल (Punjab Arts Council) नाम से जानी जाती राजकीय संस्था (Govt. Organization) वास्तव में कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए बनी थी। इस संस्थान (Institution) ने आरम्भ में बहुत से अच्छे काम भी किए लेकिन कुछ देर बाद इसकी गरिमा कम होती चली गई। इस पर सियासत के साथ साथ भाई-भतीजावाद का प्रभाव भी शुरू हो गया। डा. एम एस रंधावा (Dr. M. S. Randhawa), करतार सिंह दुग्गल (Kartar Singh Duggal), सरदार अंजुम (Sardar Anjum), कुलवंत सिंह विर्क (Kulwant Singh Virk) जैसी नामी और समर्पित शख्सियतों (Personalities) ने इस संस्थान को अपने कार्यकाल के दौरान बुलंदियों तक भी पहुंचाया। उस समय इसे लेकर देखे गए सपनों की उड़ान भी ऊंची थी। प्रमुख के तौर पर रहे ग्रामी लोग स्वयं भी बेहद गरिमायुक्त थे। स्वार्थ उनके नज़दीक भी नहीं था। केवल कला की बुलंदी ही उनका सपना रहती रही।
सतिंदर सत्ती की नियुक्ति पर हुआ था तीखा विरोध
लेकिन जब अकाली शासन काल (SAD Govt.) में श्रोताओं को कील लेने वाली जानी मानी एंकर और टीवी आर्टिस्ट सतिंदर सत्ती (Satinder Satti) को पंजाब कला परिषद का चेयरपर्सन (Chairperson) बनाया गया तो उसकी नियुक्ति (Appointment) को लेकर पहले से ही चल रहा विवाद और तीखा हो गया। यह नियुक्ति सितंबर 2016 में हुई थी। सत्ती एक बहुत अच्छी कलाकार थी। मंच संचालन में उसका कोई जवाब भी नहीं था लेकिन डा. एम एस रंधावा, कुलवंत सिंह विर्क और सरदार अंजुम जैसी शख्सियतों के मुकाबले वह बहुत छोटे कद की थी।
उसकी नियुक्ति चेयरमैन के तौर पर हुई तो जानीमानी लेखिका मंजीत इंदिरा (Manjit Indira) भी खुल कर इस नियुक्ति के खिलाफ आई। मंजीत इंदिरा ने मीडिया के सामने भी अपना विरोध मुखर किया। यह विरोध और विवाद इतना बढ़ा कि अगस्त 2017 में सांस्कृतिक मंत्री (Minister of Cultural Affairs) नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने सत्ती को हटा कर सुरजीत पातर (Surjit Patar) को चेयरपर्सन नियुक्त कर दिया। अकैडमिक तौर पर श्री पातर का दर्जा काफी ऊंचा है। उनकी शायरी भी लोगों के दिलों पर दस्तक देती है। इसलिए उनसे अपेक्षाएं भी बहुत ज़्यादा की लगीं। लेकिन बदलाव उन अपेक्षाओं के मुताबिक नहीं आ पाया। जाने माने पत्रकार लखविंदर जौहल (Lakhwinder Johal) महासचिव (General Secretary) के तौर पर उनके सक्रिय सहयोगी भी बने लेकिन भाई-भतीजावाद की सिफारिशी नीतियों में कोई खास बदलाव वह भी न ला सके। बात सुलगने लगी तो धुंआ दूर तक पहुंचने लगा। इस क्षेत्र में भी जाने माने लेखक मित्र सैन मीत (Mitter Sain Meet) खुल कर आगे आए।
विशेष टीम के साथ RTI का भी लिया सहारा
गौरतलब है कि अपनी आजीविका (Livelihood) के मामले में लम्बे समय तक लुधियाना (Ludhiana) में ज़िला अटार्नी (District Attorney) रहे श्री मित्रसेन गोयल (Mitter Sain Goyal) ने जब इस मामले में भी खोजबीन (Research) शुरू की तो परिणाम निराशाजनक ही सामने आए। ऐसा मामला ढूंढ़ने पर भी सामने नहीं आया जिसमें कला परिषद ने अपने तौर पर पता लगाया हो कि कोई प्रतिभाशाली कलमकार पैसे की कमी के कारण दम तो नहीं तोड़ रहा? खुदकुशियों (Suicides) के विकराल दौर में भी पंजाब आर्ट्स काउन्सिल ज़रूरतमंद कलमकारों का पता न लगा सकी।
यह सब देख कर श्री मीत ने अपने साथी सहयोगियों की एक टीम बनाई जिसमें महिंद्र सिंह सेखों (Mahinder Singh Sekhon), दविंदर सिंह सेखा (Davinder Singh Sekha), बुध सिंह नीलों (Budh Singh Nelon) और आर पी सिंह (R. P. Singh) के नाम तो उजागर भी किए लेकिन बहुत से सदस्यों को गुप्त भी रखा। आखिर यह एक बहुत बड़ी जंग जैसी स्थिति ही थी। पूरी सत्ता के खिलाफ खड़े होना आसान नहीं था। अपनी विशेष टीम बनाने के साथ ही उन्होंने आर टी आई का सहारा भी लिया।
उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले उनके मुताबिक जो-जो सामने आया उससे ज़ाहिर था, कि भ्रष्ट तंत्र यहां कला के क्षेत्र में भी भी पांव पसारने लगा है। उन्होंने पहली जनवरी 2017 से 30 जून 2022 तक का थोड़ा सा विवरण दिया। इस कार्यकाल में 20 लाख रुपयों से अधिक की आर्थिक सहायता बांटी गई।
जिन संस्थाओं को एक लाख रुपयों से अधिक की सहायता मिली उनका कुछ विवरण इस प्रकार है।
1. वर्ल्ड पंजाबी कांफ्रेंस-(एक बार) -------------- चार लाख 91 हज़ार 584 रूपये
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला (तीन बार)-----------कुल 4 लाख 50 हज़ार रुपए
(क) विश्व पंजाबी साहित्य सम्मेलन के लिए ------दो लाख रुपए
(ख) रजिस्ट्रार पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ------ एक लाख 50 हज़ार रुपए
(ग) रजिस्ट्रार पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला------- एक लाख रुपए
विशेष:--पंजाबी यूनिवर्सिटी की पंजाबी साहित्य सभा को (पांच बार) तीन लाख 30 हज़ार रुपए अलग से दिए गए।
3. मालवा हैरिटेज एवं कल्चरल फाउंडेशन बठिंडा (दो बार):----कुल छह लाख रुपए
(क) पहली बार: ----------------------------------------------- पांच लाख रुपए
(ख) दूसरी बार ---------------------------------------------------एक लाख रुपए
4. पंजाबी जागृति मंच जालंधर (दो बार) -----------------------एक लाख 50 हज़ार रुपए
(क) पहली बार ---------------------------------------------------50 हज़ार रुपए
(ख) ---------------------------------------------------------------दूसरी बार एक लाख रुपए
5. मिलिटरी फेस्टिवल चंडीगढ़ ---------------------------------एक लाख 29 हज़ार रुपए
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कुल खर्चा -----------------------------------------------------------20 लाख रुपए
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हमारे पास ऐसे और विवरण भी हैं जिन्हें हम समय समय पर आपके सामने रखते रहेंगे।