पंचतत्व में विलीन हुए ओपी चौटाला, दोनों बेटों ने दी मुखाग्नि, नायब सिंह सैनी ने दी श्रद्धांजलि
Former Haryana CM Om Prakash Chautala immersed in Panchtatva
सिरसा: Former Haryana CM Om Prakash Chautala immersed in Panchtatva: हरियाणा के 5 बार के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला आज शाम को आखिरकार पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके दोनों बेटों अजय चौटाला और अभय चौटाला ने मिलकर अपने पिता को मुखाग्नि दी. वहीं हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने सिरसा पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
पंचतत्व में विलीन ओमप्रकाश चौटाला : आज शाम को करीब 4 बजे हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला का सिरसा के तेजा खेड़ा गांव स्थित फार्म हाउस में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. उनके बड़े बेटे अजय चौटाला और छोटे भाई अभय चौटाला ने साथ मिलकर अपने पिता को मुखाग्नि दी. इससे पहले उनके समर्थकों ने उन पर फूल बरसाएं और ओपी चौटाला अमर रहें के नारे भी लगाएं. ओपी चौटाला के पार्थिव शरीर को तिरंगे में रखा गया था. उन्हें हरी पगड़ी और चुनाव का निशान चश्मा भी लगाया गया था. हरियाणा सरकार ने पहले ही उनके निधन पर 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान कर रखा था. हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
धोती-कुर्ता पहनते थे ओमप्रकाश चौटाला : आपको बता दें कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का 20 दिसंबर को निधन हो गया था. 1968 में सियासत में आने के बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे. एक तरफ जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर हरियाणा की बागडोर संभाली, वहीं उनको जेल भी जाना पड़ा. धोती-कुर्ता पहनने वाले सीएम के तौर पर उनकी पहचान थी. उनके बाद मुख्यमंत्री बने बाकी नेताओं को कभी धोती-कुर्ते में नहीं देखा गया चाहे वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा हो, या फिर मनोहर लाल खट्टर या फिर मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी. गहरे हरे कलर की तुर्रा वाली पगड़ी ओमप्रकाश चौटाला की ख़ास पहचान थी. वे इसी पगड़ी को पहनकर हर जगह दिखाई देते थे.
इनेलो बनाने वाले ओमप्रकाश चौटाला : ओमप्रकाश चौटाला ने सीएम रहते हुए ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने हरियाणा के गांवों का दौरा किया और लोगों की मांगों पर उनके सामने ही कई बड़े फैसले लिए. माना जाता है कि गुरुग्राम को साइबर सिटी बनाने के पीछे भी उनका काफी बड़ा योगदान था. उन्होंने 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से नई पार्टी बनाई थी. 1998 में उन्होंने बसपा से गठबंधन करते हुए हरियाणा की 10 में से 5 लोकसभा सीटें जीती थी. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया था.