Editorial: छात्रों की आत्महत्या रोकने को टास्क फोर्स का गठन सही
- By Habib --
- Tuesday, 25 Mar, 2025

Formation of task force to prevent student suicide is right
Formation of task force to prevent student suicide is right: सुप्रीम कोर्ट की ओर से शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को हल करने और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए नेशनल टास्क फोर्स गठित करने के आदेश देकर सही ही किया है। हालांकि इस तरह के कदम बहुत पहले उठाए जाने चाहिए थे, क्योंकि शिक्षण संस्थानों में आजकल ऐसी घटनाएं बेहद आम हो गई हैं। वैसे, केंद्र एवं राज्य सरकारों की ओर से इस संबंध में प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह मामला बगैर किसी एकल प्रभावी इकाई के अस्तित्व के कमजोर पड़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिक्षण संस्थानों को अभिभावकों की जिम्मेदारी निभानी होगी। गौरतलब है कि राजस्थान का कोटा शहर विद्यार्थियों के आत्महत्या का ऐसा केंद्र बन चुका है, जहां से कभी भी ऐसी दुखद घटना की सूचना सामने आ ही जाती है। बेशक, कोटा में कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। निश्चित रूप से यह समय की मांग है कि युवाओं को किसी भी तरह से आत्मघात करने से रोका जाए। यह टास्क फोर्स चार महीनों में अंतरिम और आठ महीनों में पूर्ण रिपोर्ट सौंपेगी। कुछ आंकड़ों के मुताबिक देश में साल 2019,2020 और 2021 में 35921 छात्रों ने आत्महत्या की हैं। इन छात्रों के हालात अलग-अलग रहे होंगे, लेकिन उन सभी ने बगैर किसी समर्थन और आश्रय के परिस्थिति के सामने घुटने टेक दिए। यह समाज के ऊपर बहुत बड़ा सवाल है, कि आखिर उनके बीच में कोई इस प्रकार घुट रहा था और आखिर उसने अपने जीवन का गला घोंट दिया।
छात्रों के द्वारा आत्महत्या करने के अनेक कारण हैं। अब अगर चंडीगढ़ का ही मामला लें तो यहां एक 11वीं के छात्र ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसका नाम उन छात्रों में आ रहा था, जिन्होंने एक प्रिंसिपल के संबंध में सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिखा है। निश्चित रूप से ऐसी हरकत अनुचित है, क्योंकि विद्यार्थी हो या फिर कोई अन्य उसे अपने बड़ों और हर आयु वर्ग के व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए।
यह मामला पुलिस तक पहुंच गया था और बताते हैं कि पुलिस ने उस छात्र को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया था। इससे वह बच्चा घबरा गया और उसने यह कदम उठा लिया। वास्तव में परिवार एवं अभिभावकों को अपने बच्चों को मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाने की जरूरत है कि वे ऐसी हरकत के बारे में सोचें तक नहीं। क्योंकि जीवन से हारना बहुत बड़ी हार है। परीक्षा तो बार-बार दी जा सकेगी या फिर कोई अनहोनी घटी तो उसका भी सामना किया जा सकता है। लेकिन अगर आत्महत्या को अंतिम उपाय बना लिया तो फिर यह कायरता कही जाएगी।
अगर कोटा की बात करें तो यहां आत्महत्या की इन वारदातों ने समाज को द्रवित कर दिया है। बेशक, इसकी जरूरत बहुत पहले से थी लेकिन अब राजस्थान ने अगर कुछ सक्रियता दिखाई है तो यह उचित ही है। अब कोटा में जहां विद्यार्थी थाना खोला जा रहा है, वहीं रविवार के दिन पूरी तरह से अवकाश रखने और बुधवार को आधे दिन की कक्षाएं ही लगाने का निर्देश जारी किया गया है। यहां हो यह रहा है कि कोचिंग संचालक अपने मुनाफे के लिए दिन-रात कक्षाओं को संचालित कर रहे हैं, निश्चित रूप से मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए युवाओं पर असीम पर भार होता है, लेकिन कोचिंग संस्थान सिर्फ इसकी परवाह करते हैं कि उनके पास फीस आती रहे और वे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाते रहें। इन युवाओं पर उनके माता-पिता एवं समाज के अन्य लोगों का भी दबाव होता है, क्योंकि उनसे भारी उम्मीदें लगाई गई होती हैं और युवा दिन-रात इसी में घुलते रहते हैं कि आखिर किस प्रकार उस परीक्षा में सफलता हासिल करके वे अपने अभिभावकों के सपनों को पूरा करें।
राजस्थान सरकार इसकी तैयारी में है कि कोचिंग संचालकों और निजी हॉस्टलों को लेकर नीति बनाई जाए। इस नीति के बनने तक कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल मालिकों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है। जिला उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक की ओर से इस संबंध में संचालकों से बात की गई है, उन्हें यह भी कहा गया है कि पैसे कमाने की होड़ में विद्यार्थियों पर पढ़ाई का अधिक बोझ नहीं डाला जाए।
संचालकों को यह भी करना होगा कि बुधवार को आधे दिन की क्लास के साथ बाकी आधे दिन छात्र-छात्राओं के लिए खेल अथवा फन एक्टिविटी आयोजित कराई जाएंगी। वास्तव में कोटा हो या फिर देश का कोई भी कॉलेज या विश्वविद्यालय वहां पर ऐसे माहौल को बनाने की जरूरत है, जिसमें प्रत्येक छात्र सहज और व्यवस्थित होकर अपना अध्ययन कर सके। देश की शिक्षा प्रणाली में बहुत सुधार हुए हैं, लेकिन कोई भी पॉलिसी जब तक वह कागजों में है, कोई असर नहीं दिखाएगी। जरूरत इसकी है शिक्षक एवं अभिभावक छात्रों को मानसिक संबल प्रदान करें और आगे बढ़ने में उनकी मदद करें।
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