Father-in-Law Denied Bail in Dowry Case Court Cites Serious Allegations and Key Evidence

दहेज प्रताड़ना के आरोप में ससुर की जमानत खारिज; बहू की मौत का राज खोलती ऑडियो क्लिप बनी अहम सबूत!

Father-in-Law Denied Bail in Dowry Case Court Cites Serious Allegations and Key Evidence

Father-in-Law Denied Bail in Dowry Case Court Cites Serious Allegations and Key Evidence

नई दिल्ली, 12 जनवरी: Elder Father-in-Law Denied Bail in Dowry Death Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बुजुर्ग व्यक्ति की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी, जो दहेज प्रताड़ना और बहू की संदिग्ध मौत के मामले में आरोपी है। कोर्ट ने कहा कि मृतका की बच्ची का उसके पति के परिवार के पास होना, आरोपी को लगाए गए गंभीर आरोपों से मुक्त नहीं करता।

ढाई साल में बहू की संदिग्ध मौत

मामला 31 मई 2024 का है, जब पूजा नाम की महिला, जिसकी शादी दिसंबर 2021 में प्रिंस के साथ हुई थी, महज ढाई साल के अंदर असामान्य परिस्थितियों में ससुराल में मृत पाई गई। आरोप है कि पूजा को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली।

आरोपी की दलीलें और अभियोजन का पक्ष

आरोपी राजा राम ने कोर्ट में जमानत मांगते हुए दलील दी कि वह एक वरिष्ठ नागरिक है, कई बीमारियों से पीड़ित है, और एफआईआर में उसके खिलाफ कोई स्पष्ट आरोप नहीं है। उसने यह भी तर्क दिया कि मृतका की बच्ची की देखभाल के लिए उसे जमानत दी जानी चाहिए।
दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने राजा राम को सह-आरोपी बताते हुए कहा कि वह भी बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित करने में बराबर का दोषी है।

मृतका के आखिरी संदेश और जांच के खुलासे

हाई कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि मृतका ने आत्महत्या से पहले अपनी बहन को एक ऑडियो क्लिप भेजी थी, जिसमें उसने अपनी सास पर दहेज प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट के हवाले से बताया कि आरोपी और उसके परिवार ने न तो मृतका की मौत की वास्तविक जानकारी दी और न ही पुलिस को समय पर सूचित किया। इसके बजाय उन्होंने शव को फ्रीजर में छिपा दिया।

कोर्ट का फैसला

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मृतका की बच्ची का ससुराल वालों के पास होना आरोपी को आरोपों से बरी नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि मृतका के परिवार ने बच्ची की कस्टडी के लिए आवेदन दिया है। हाई कोर्ट ने आरोपी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि लगाए गए आरोप गंभीर हैं और मामले की सुनवाई अभी बाकी है।

यह मामला न केवल दहेज प्रताड़ना की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया के महत्व को भी रेखांकित करता है। हाई कोर्ट का यह फैसला दहेज और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के खिलाफ सख्त संदेश है।