किसानो की फिर चेतावनी: सरकार की वायदा खिलाफ़ी के विरोध में किसान फिर से करेंगे आंदोल अंबाला में रोकेंगे रेल : गुरनाम चढूनी।
Farmers' Warning Again
• किसान आंदोलन के दौरान हुए रेलवे के मुक़दमे वापिस हो नही तो 24 नवम्बर को रेल जाम :- गुरनाम सिंह चढ़ूनी
• 24 नवम्बर को मोहड़ा अनाज मंडी में (जंहा से किसान आंदोलन की शुरुवात हुई थी) किसान मसीहा सर छोटू राम की जयंती मनाए जाएगी
• जीएम फसलों के माध्यम से बीज पर कंपनियों का कब्जा करवाना चाहती है मोदी सरकार जीएम फसलों का विरोध जारी रहेगा होगा बड़ा आंदोलन :- गुरनाम सिंह चढ़ूनी
• जुमला मुस्तरका मालिकन भूमि के पंजाब सरकार के आदेशो को लेकर पंजाब में विरोध शुरू किया जाएगा :- गुरनाम सिंह चढ़ूनी
2 नवबर(चण्डीगढ़): भारतीय किसान यूनियन चढुनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने चंडीगढ़ प्रैस क्लब में संबोधित करते हुए बताया की दिल्ली में चले 13 महीने 13 दिन चले किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने लिखित में हुए समझोते अनुसार केंद्र सरकार ने सभी प्रकार के केस वापिस लेने किसानों की शर्त को माना था परंतु लगभग एक साल का समय बीत जाने पर भी अभी तक रेलवे के केस वापिस नही किए गए मीडिया प्रभारी राकेश कुमार बैंस द्वारा मांगी सूचना में रेलवे विभाग ने बताया कि हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान 12 केस दर्ज किए गए थे परंतु इस केसो को वापिस लेने का कोई भी आदेश विभाग को नही मिला है इस प्रकार आंदोलन के दौरान हरियाणा सरकार से हुई मुख्यमंत्री से समझोता वार्ता में भी सभी केस वापिस लेने की बात हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मानी थी और सारे पुराने केस वापिस लेने व आंदोलन के सहायक लोगो को किसी भी प्रकार से पीड़ित न करने का वायदा किया था जबकि काइयो के असला लाईसंस व पासपोर्ट आदि का कार्य सरकार ने जानबूझ कर रोका हुआ है इसी प्रकार 30 मुक़दमे पहले से आंदोलनों के पेंडिग है जोकि सरकार को पहले से लिखित में भेजे जा चुके है इन पर कोई कार्यवाही नही हुई है अभी तक कई केस वापिस नही लिए गए जैसे एफ़.आई.आर. 206/2021 व एफ़.आई.आर. 77/2021 अदालतो में चल रहे है ।
24 नवम्बर को मोहड़ा की अनाज मंडी में किसानों का बड़ा जनसमूह सरदार गुरनाम सिंह ने कहा 24 नवम्बर किसानों के लिए अहम दिन है इस दिन तीन काले कानून वापिस के आंदोलन की शुरुवात मोहड़ा अनाज मंडी से हुई थी और 26 नवम्बर को दिल्ली के बार्डरो पर 13 महीने 13 दिन चला था इसी दिन किसान मसीहा सर छोटू राम की जयंती है 24 नवम्बर को मोहड़ा की अनाज मंडी में किसानों का बड़ा जनसमूह होगा और इस दिन की महत्व को मनाया जाएगा
यह पढ़ें: पिछले साल की तुलना में इस बार डेंगू के केस 60 फीसदी कम
जी एम सरसों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का भ्रमजाल :- सरदार गुरनाम सिंह ने वार्ता के दौरान बताया जीएम फसलों का वे पहले दिन से विरोध करते आ रहे है इससे पूर्व भी उन्होने लगभग 15 वर्ष पूर्व भी मोनोसेंटो कंपनी द्वारा लुकछिप कर किए जा रहे धान की फसल व मक्का की फसल के ट्राइल को जलाया था जीएम सरसों से किसानों का नहीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का लाभ होगा और यह बीटी कॉटन में भी साबित हो चुका है।
जी एम सरसों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का भ्रमजाल बताते हुए सरदार गुरनाम सिंह ने कहा कि जीएम सरसों के बारे में उत्पादन और कीट न लगने का जो दावा किया गया है वह बीटी कॉटन में पूरी तरह से झूठ साबित हुआ हैं। साथ ही उसने सरकार को यह भी ध्यान दिलाया कि देश में सबसे अधिक किसानों की आत्महत्याएं बीटी कॉटन के क्षेत्र में हुई हैं। देश में निजी कम्पनियाँ बीज के क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित करना चाहती हैं और कृषि के क्षेत्र में निजी कम्पनियों के अध्ययन एवं दावों पर भरोसा करना उचित नहीं है। देश में अगर यही काम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया जाता तो किसान इसको लेकर विश्वास कर सकता था। चढ़ूनी के मुताबिक जहां एक ओर निजी कम्पनियों की प्रजातियों से धीरे-धीरे किसानों के हाथ से बीज निकल रहा है और निजी कम्पनियाँ बीज बेचकर मालामाल हो रही हैं, वहीँ दूसरी ओर जीएम सरसों के बारे में देश का किसान कोई जानकारी नहीं रखता है।
यह पढ़ें: नाके पर चोरी के बाइक समेत शातिर काबू, दो चोरी की बाइक बरामद
जी एम सरसों से होने वाले प्रभाव के बारे में कोई विस्तृत शोध के अभाव में इसका मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होगा इसका भी कोई तथ्यात्मक अध्ययन नहीं किया गया है। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा देश में डीएमएच 11-1,2,3 सहित अधिक पैदावार वाली प्रजाति पहले से ही उपलब्ध हैं। केवल उत्पादन के दावे के आधार पर जी एम सरसों की अनुमति उचित नहीं हैं। देश में पहले ही फसलों में प्रयोग कीटनाशक के जरिये कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां बढ़ रही हैं। जीएम सरसों से बने खाद्य तेलों या सरसों के साग के साथ कीटनाशक के रूप में देश के नागरिक जहर खाने को मजबूर होंगे। 60 के दशक में देश के पास अपनी जरूरत के खदाय तेल का 97% उत्पादन अपना था “सरकारों की गलत आयात नीतियों के कारण अब लगभग 50 फीसदी से अधिक तेल का आयात करने लगे हैं। गेंहू व सरसों का पैदावार रकबा लगभग बराबर था परंतु गेंहू का रेट 29%बढ़ा है जबकि सरसों का रेट 22.5% बढ़ाया गया है जिस कारण से सरसों का पैदावार रकबा गेंहू में तब्दील हो गया है इससे स्पष्ट है कि किसानों के लिए तिलहन उत्पादन फायदेमंद नहीं रहा। यह केवल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को मायाजाल हैं
जुमला मुस्तरका मालिकन भूमि के पंजाब व हरियाणा सरकार के आदेशो को लेकर विरोध शुरू किया जाएगा :- हरियाणा व पंजाब द्वारा दिए गए आदेश जारी किया गया है कि सभी शामलात देह व जुमला मुस्तरका मालकान भूमि के मालिकाना हक़ काश्तकार किसानो से वापिस लेकर पंचायत व नगरपालिकाओं के नाम किया जाएगा जबकि देह शामलात की ज़मीन पर आज़ादी से पहले भी किसानो का पूरा मालिकाना हक़ था व किसान इन जमीनो को ख़रीद बेच सकते थे व आड़ रहन भी करते थे व गिरदावरी भी कई पीढ़ियों से किसानो के नाम है और जुमला मालकान भूमि ज़मीन इस्तेमाल के समय किसानो की मालकियत ज़मीन में से कट लगाकर किसानों ने अपने साझे काम लिए छोड़ी थी जिसका किसी किसान को कोई भी मुआवज़ा नहीं दिया गया और खुद मालिक है और 1992 में हरियाणा सरकार ने और पंजाब सरकार ने सितम्बर 2022 में punjab village common Land (Regulation) act 1961 में संशोधन कर जुमला-मुस्तरका मालकान ज़मीनो को पंचायती जमीन करार दे दिया था जिसे माननीय पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय (चंडीगढ़) में किसानो द्वारा चुनौती दी गई थी व माननीय उच्च न्यायालय ने फ़ैसला किसानो के पक्ष में दिया था की जुमला-मुस्तरका मालकान ज़मीन हिस्सेदार किसानो की मलकियत है व इसे उनके हिस्सेदारों में तकसीम कर दिया जाए किंतु इसके उपरांत सरकार ने इस फैसले के खिलाफ माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की और अब सरकार ने पहले रेवेन्यू सेट्टेलेमेंट के अनुसार सभी मुस्तरका-मालकान व शामलात-देह की सभी तरह की ज़मीनो को पंचायत-देह में तबदील करने का आदेश दे दिया है जो कि न्याय संगत नहीं है व जिससे उक्त शामलात देह व जुमला मुस्तरका मालकान ज़मीनो पर पीढ़ियों से काश्त कर रहे किसान बेदख़ल हो जाएँगे व उनकी भूमि उनसे छिन जाएगी। जबकि इन जमीनो पर आज़ादी से पहले भी किसान काबिज थे और उक्त ज़मीन के हिस्सेदार के रूप में मालिक भी थे और उक्त ज़मीन बहुत बार आगे ख़रीदी बेची भी जा चुकी है व इस भूमि पर मकान, दुकान, फ़ैक्टरी भी बनाई हुई है इसलिए ये फ़ैसला किसानो व आमजन के हित में नहीं है। हम पंजाब व हरियाणा सरकार के इन आदेशो का पूर ज़ोर विरोध करेगे।
लखीमपुर खीरी :- किसान आंदोलन के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का विरोध करते हुए किसानो को उक्त मंत्री व उसके बेटे द्वारा कार से कुचल दिया गया है था जिसमें 5 किसानो की मौत हो गई थी किंतु अभी तक भी आरोपी मंत्री व उसके पुत्र पर ठोस क़ानूनी करवाई नही हुई है है जबकि सत्ता का दुरुपयोग करते हुए निर्दोष किसानो को जेल में बंद के दिया गया है और आरोपी मंत्री पर मुक़द्दमा तक दर्ज नहीं किया गया। इससे पूरे देश के किसान आमजन में रोष है इसके ख़िलाफ़ भाकियू(चढूनी) बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी।
क़र्ज़ामुक्ति :- किसानो को फसल का उचित मूल्य (MSP) ना मिलने के कारण देश का किसान क़र्ज़ के दलदल में डूबा हुआ है व आत्महत्या कर रहा है इसलिए किसानो को पूर्ण रूप से क़र्ज़ा मुक्त किया जाए जब देश में बड़े बड़े पूँजीपतियों का क़र्ज़ माफ़ किया जा रहा है तो फिर अन्नदाता किसान का क्यों क़र्ज़ माफ नही किया जाता जबकि देश की खाद्य सुरक्षा किसान के कंधो पर टिकी है व देश को अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है।भाकियू(चढूनी) ये माँग करती है कि भाजपा सरकार अपने चुनावी वायदे अनुरूप किसानो को पूर्ण रूप से क़र्ज़ मुक्त करें।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी). :- केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी किसानों को मंजूर नही क्योकि केंद्र सरकार जिन किसानों को सदस्य बनाया गया उनका आंदोलन से कोई वस्ता न था वे लोग पहले से ही तीनों कानूनों के समर्थन में थे।
प्रेस से बातचीत के दौरान इस मोके पर हरियाणा के कार्यकरणी प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह माथना, मीडिया प्रभारी राकेश कुमार बैंस व पंजाब के प्रदेशाध्यक्ष सरदार दिलबाग सिंह गिल, पंजाब हिमाचल प्रभारी मंजोत ग्रेवाल, प्रवक्ता प्रिंस वडैच मोजूद थे