दून में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

दून में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

Fake Call Center In Dehradun

Fake Call Center In Dehradun

Fake Call Center In Dehradun: देहरादून के पटेलनगर क्षेत्र में चल रहे एक फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। मौके से दो संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कॉल सेंटर के 15 कर्मचारियों को थाने लाकर पूछताछ की और उन्हें नोटिस देकर रिहा कर दिया। आरोपी खुद को माइक्रोसॉफ्ट का प्रतिनिधि दर्शाकर पहले विदेशी लोगों के कंप्यूटर में वायरस भेजते थे। इसके बाद इसे ठीक करने के नाम पर उनसे क्रिप्टो करेंसी व गिफ्ट कार्ड के रूप में फीस वसूलते थे। इस तरह इन आरोपियों ने विदेशी नागरिकों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एक गोपनीय सूचना के आधार पर श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के पास रिद्धिम टॉवर के एक तल पर छापा मारा गया था। पता चला था कि यहां एक फर्जी कॉल सेंटर चलाकर विदेशी लोगों को ठगा जा रहा है। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि टॉवर के इस तल पर अंदर हॉल में यह कॉल सेंटर चलाया जा रहा है। यहां बैठे युवक और युवती हेडफोन लगाकर विदेशों में बात कर रहे हैं। इन कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि वे यह सब काम विवेक और निकिता के कहने पर कर रहे हैं। ये दोनों अंदर ऑफिस में बैठे हुए हैं। पुलिस जैसे ही अंदर के कमरे में दाखिल हुई तो निकिता और विवेक घबरा गए।

पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि वह खुद को माइक्रोसॉफ्ट ऑनलाइन सपोर्ट कंपनी का प्रतिनिधि बताकर विदेशी लोगों से बात करते हैं। उनके कंप्यूटर में पहले बग या वायरस भेजा जाता है। जब उनका कंप्यूटर हैंग हो जाता है तो उनसे बात कर इस कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस एप से एक्सेस लिया जाता है। इसके बाद इस वायरस को हटाकर उनके कंप्यूटर को पहले जैसा किया जाता है। इन लोगों से आरोपी गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी के रूप में भुगतान लेते हैं।

अब तक आरोपियों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है। इससे इन कर्मचारियों को भी मोटी पगार दी जाती है। इस मामले में विवेक निवासी सेक्टर 44, नोएडा उत्तर प्रदेश और निकिता निवासी विलेज सोनादा, दार्जलिंग पश्चिम बंगाल को गिरफ्तार किया गया है। जबकि, 15 कर्मचारियों को पूछताछ के बाद नोटिस देकर छोड़ा गया है। इनके पास से 14 लैपटॉप, सात मोबाइल बरामद हुए हैं।

सरगना करते हैं विदेशी नंबरों से कॉल

आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि इनके सरगना कुछ और युवक हैं। इन युवकों का न तो उन्हें वास्तविक नाम पता है और न ही मोबाइल नंबर। ये जब भी उनसे बात करते हैं तो इंटरनेट वाले नंबरों का प्रयोग किया जाता है। आरोपियों से इनके नंबर जुटाए गए हैं। जल्द ही पुलिस उन आरोपियों तक भी पहुंच सकती है।