महाकुंभ में सब विपरीत रिपोर्टों पर भारी पड़ी आस्था

महाकुंभ में सब विपरीत रिपोर्टों पर भारी पड़ी आस्था

Faith prevailed over all contrary reports in Maha Kumbh

Faith prevailed over all contrary reports in Maha Kumbh

धार्मिक रूप से जागृत लोगों ने नकारी हर रिपोर्ट

चंडीगढ़, 20 फरवरी: Faith prevailed over all contrary reports in Maha Kumbh: आस्था का ऐसा सैलाब महाकुंभ नगरी प्रयागराज में उमड़ रहा है जो रोके नहीं रुक रहा है। महाकुंभ पहुंचने वाले लोगों ने यह साबित कर दिया कि धर्म का अर्थ है जोखिम उठाने वालों की भीड़। आस्था का ही नशा था कि लोगों ने दिखाया कि वह सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एनजीटी को सौंपी त्रिवेणी के पानी की विपरीत रिपोर्ट से नहीं डरती। भीड़ ने दर्शाया कि जितनी ज्यादा भीड़, उतना धर्म मजबूत। महाकुंभ की भीड़ ने आस्था का नया रिकार्ड बना डाला। कहा जा रहा है कि यह धर्म के प्रति जागरुकता का अनुपम उदाहरण है। एक बार अगर लोग धार्मिक रूप से जागृत हो गये तो भगदड़, आग, टाइफाइड, उल्टी-दस्त, खुजली जैसी विपरीत परिस्थितियों की परवाह करे बगैर जीवन मरण के चक्र से भी आगे निकलने को अड़ गए। जल कैसा है, इस पर लोगों का ध्यान कम जबकि आस्था पर ज्यादा फोकस हो गया। महाकुंभ ने यह साबित कर दिया है कि धर्म सबको खुशियां बांटता है लिहाजा धर्म दुनिया की सबसे महानतम खोजों में एक है।

यहां बता दें कि महाकुंभ के सभी शाही स्नान पूरे हो चुके हैं और यहां पहुंचे विभिन्न अखाड़े व साधु-संत भी अपने मूल स्थानों को प्रस्थान कर चुके हैं लेकिन बावजूद इसके 144 साल बाद बने महाकुंभ के संयोग में भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही। ऐसा अनुमान है कि हिंदुस्तान की आधी आबादी आस्था के इस कुंभ में महाशिवारात्रि यानि 26 फरवरी तक त्रिवेणी के पवित्र संगम पर डुबकी लगा चुकी होगी। कहते हैं कि आस्था हर चीज पर भारी है। कुछ ऐसा ही उदाहरण प्रयागराज के महाकुंभ में देखने को मिल रहा  है। प्रयागराज में दुर्घटना भी हुई, अलग अलग तरीकों से आस्था पर कुठाराघात भी हुए लेकिन बावजूद इसके प्रयागराज महाकुंभ में जाने वालों का रेला रुका नहीं। महाकुंभ में आखिरी सप्ताह तक भी करोड़ों लोगों के स्नान करने की खबरें मिल रही हैं। प्रयागराज में 4 फरवरी को महाकुंभ में स्नान करने वालों ने जिस जल में स्नान किया, उसके बारे में सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी गई। लोगों ने आस्था को सबसे उच्च मानते हुए ऐसी सब रिपोर्टों को दरकिनार कर दिया।

एनजीटी को यह सौंपी गई थी रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार 4 फरवरी को लिए त्रिवेणी संगम के पास जल सैंपल में शास्त्री पुल के पास इंसानी मल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया फोकल कोलीफॉर्म का स्तर 11000 पीएन/100 एमएल था। इसी तरह संगम पर यह 7900एमपीएन/100द्वद्य तथा ओल्ड नैनी ब्रिज पर 4900 पीएन/100 एमएल था। कहा जाता है कि पानी में इस बैक्टीरिया का स्तर 2500 एनपीएन/100 एमएल से ज्यादा होने पर उससे टाइफाइड, गेस्ट्रोएंटेराइटिस, उल्टी-दस्त तथा चमड़ी रोगों का खतरा बनता है। लैक्टोस एलर्जी और गैस की समस्या भी इसी बैक्टीरिया से होती है।