हिंदुत्व की मनगढ़ंत व्याख्या

Editorial

fabricated interpretation of hindutva: कांग्रेस नेताओं के बयान पार्टी की विचारधारा के अनुसार होते हैं या फिर वे अपनी मर्जी से पार्टी के प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके अपनी निजी भावनाओं को जाहिर करते हैं। यह सवाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की उस किताब जिसमें उन्होंने हिंदू और हिंदुत्व की व्याख्या की है और हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन आईएसआईएस या इस्लामिक स्टेट से की है, के बाद पूछा जाना आवश्यक हो गया है।

पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या को उन्होंने स्वतंत्र लेखक के रूप में लिखा है तो फिर यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है, लेकिन इस किताब को लिखने, इसे लांच करने और फिर इसके संबंध में आ रही आपत्तियों का जवाब अगर वे एक कांग्रेस नेता के रूप में दे रहे हैं तो फिर यही माना जाएगा कि यह कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से प्रेरित और प्रभावित होकर ही लिखी गई है। सवाल यह भी है कि आखिर खुर्शीद को हिंदू और हिंदुत्व की व्याख्या करने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई। आज के समय में पूरी दुनिया में धर्मों के बीच संघर्ष और भीषण रूप ले चुका है। इस्लामिक कट्टरपंथी पूरी दुनिया में शांति और सद्भाव को खत्म करने के लिए चालें चल रहे हैं, लेकिन सलमान खुर्शीद को उनसे कोई परेशानी नजर नहीं आती, लेकिन भारत में सत्ताधारी भाजपा और उसका पितृ संगठन आरएसएस अगर हिंदू और हिंदुत्व की बात करते हैं, तो इसकी काट के लिए उन्हें किताब लिखकर यह बताने की आवश्यकता आ पड़ी है कि आखिर हिंदू और हिंदुत्व होना क्या है?
 

किताब सनराइज ओवर अयोध्या में दर्ज पंक्तियों के अनुसार, भारत के साधु-संत सदियों से जिस सनातन धर्म और मूल हिंदुत्व की बात करते आए हैं, आज उसे कट्टर हिंदुत्व के जरिए दरकिनार किया जा रहा है। आज हिंदुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण खड़ा किया जा रहा है, जो इस्लामी जिहादी संगठनों आईएसआईएस और बोको हराम जैसा है।  इन पंक्तियों को पढ़कर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर इस किताब को लिखने का मकसद क्या रहा होगा और हिंदू एवं हिंदुत्व को किससे जोड़ा गया है।

भारत में धार्मिक असहिष्णुता हमेशा संकट में रही है, अगर ऐसा न होता तो आजादी के बाद हुए बंटवारे में हिंदू-मुस्लिम दंगे न हुए होते और आजादी के बाद तमाम ऐसे काले अध्याय हैं, जब धार्मिक संघर्षों की अति हो गई। बेशक, बाबरी मस्जिद को गिराया जाना भी इसमें शुमार किया जा सकता है। लेकिन इस असहिष्णुता की जड़ों में हिंदू और हिंदुत्व की ऐसी व्याख्या राजनीतिक वितंडा कायम करने के अलावा कुछ नजर नहीं आता। सलमान खुर्शीद कह रहे हैं कि आज का हिंदुत्व वैसा ही हो गया है, जैसा इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन आईएसआईएस।

 आखिर सलमान खुर्शीद को कैसे यह लगा है कि आरएसएस और आईएसआईएस एक जैसे हैं। आखिर वे कौन लोग हैं, जोकि उनके शब्दों में कट्टर हिंदुत्व को गढ़ रहे हैं। उन्हें यह भी कैसे लगा है कि सदियों से जिस सनातन धर्म की बात होती आई है, वह अब एकाएक बदल गया है। कानून की अनदेखी करके होने वाले जाति और धर्म के झगड़े अगर सलमान खुर्शीद को कट्टर हिंदुत्व नजर आ रहे हैं, तो उन्हें खुद को दुरुस्त करने की जरूरत है। अपराध किसी भी समाज और धर्म में घट सकता है, लेकिन इसे किसी धर्म की मूल चेतना में बदलाव करने की चेष्टा दिखाकर इसकी आलोचना में किताब लिख देना सही नहीं है। उनके नैनीताल के आवास पर इस विवाद के बाद हुई आगजनी की घटना पर सलमान खुर्शीद ने कहा है कि अगर  किसी को हिंदुत्व देखना है तो मेरा जला हुआ घर देख ले। आखिर कांग्रेस के नेता विवाद को जन्म देकर फिर उसके परिणाम को सबूत के रूप में क्यों पेश करते हैं।
 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सलमान खुर्शीद के कहे पर अपनी मुहर लगाई है, लेकिन उनकी बातों को सुनकर कोई आश्चर्य नहीं होता, क्योंकि आरएसएस को लेकर वे पहले भी तीखे बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ये लोग झूठे हिंदू हैं। ये लोग हिंदू नहीं हैं। ये हिंदू धर्म का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने असली हिंदुत्व महात्मा गांधी के दर्शन को बताया है, जबकि वीर सावरकर की सोच को भाजपा का हिंदुत्व करार दिया है। दरअसल, कांग्रेस नेता दुविधा में हैं कि आखिर वे हिंदुओं को साथ लें या फिर अल्पसंख्यकों के साथ होना ही साबित करते रहें।

मंदिरों की चौखट पर सिर नवाते-नवाते मुस्लिम समाज की अनदेखी होने का डर जब कांग्रेस नेताओं को सताने लगता है तो वे एकाएक धर्मनिरपेक्षता की बात करने लगते हैं और फिर हिंदुत्व में भी उन्हें सनातन संस्कृति का हिंदुत्व और भाजपा-आरएसएस का हिंदुत्व नजर आने लगता है। सलमान खुर्शीद की किताब के विमोचन अवसर पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने वीर सावरकर के संबंध में दावा किया कि वे बीफ यानी गाय का मांस खाए जाने के खिलाफ नहीं थे। वहीं पी. चिदंबरम ने तो उनके आगे बढ़कर राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर ही सवाल खड़ा कर दिया। वे बोले- दोनों पक्षों ने भले ही इस फैसले को स्वीकार कर लिया था, लेकिन यह सही नहीं था।

 हालांकि कांग्रेस के इन नेताओं के बयानों से पार्टी में ही एक राय नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने साफ शब्दों में कहा है कि हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और जेहादी इस्लाम से करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है। ऐसा ही बयान उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी दिया है, जिनके अनुसार उन्हें अपने धर्म पर गर्व है वे सलमान खुर्शीद से सहमत नहीं हैं। इन प्रतिक्रियाओं के बाद सलमान खुर्शीद और कांग्रेस को यह समझ जाना चाहिए कि उनकी यह स्वरचित व्याख्या भाजपा और आरएसएस के प्रति द्वेष के प्रदर्शन के अलावा और कुछ नहीं है। नेता वे चाहे किसी भी पार्टी या संगठन से जुड़े हों, उन्हें ऐसी टिप्पणियों से परहेज करना चाहिए।