क्या है दिवाली पड़वा

क्या है दिवाली पड़वा? महाराष्ट्र में है इस त्यौहार का ख़ास महत्त्व

 यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में काफी प्रचलित है।

Diwali Padwa 2024: आज यानी 2 नवंबर को दिवाली पड़वा का त्यौहार मनाया जा रहा है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में काफी प्रचलित है। व्यापारियों के द्वारा इस त्यौहार को एक नए साल की तरह मनाया जाता है। दिवाली में पढ़वाया साढ़े तीन शुभ मुहूर्त में से एक है। इस त्यौहार को हम बलि प्रतिपदा के नाम से भी जानते हैं। तो चलिए पूरे विस्तार से जानते हैं, कि आखिर दिवाली पर वह क्या है।

क्या है बलिप्रतिपदा की कहानी

बलि प्रतिपदा हिंदू त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, क्योंकि हमारी संस्कृति में बलि बहुत अधिक महत्व है। बलिप्रतिपदा की कहानी कुछ इस प्रकार है, दैत्य राजबली एक बलशाली राजा थे, लेकिन वह काफी दयालु होने के साथ-साथ महान भी थे। उन्हें अपनी प्रजा से काफी प्यार था और हमेशा अपनी प्रजा के कल्याण के लिए सजग रहते थे। दैत्यराज, विष्णु जी के महान भक्त प्रहलाद का पोता था। मान्यता के अनुसार दैत्य ने तपस्या कर स्वर्ग पर विजय प्राप्त कर ली। धीरे-धीरे दैत्य का स्वर्ग पर कब्जा होने लगा जैसे ही बलि ने स्वर्ग पर विजय प्राप्त की देवता भयभीत हो गए और अपना रूप बदलकर स्वर्ग से दूर चले गए क्योंकि वह काफी शक्तिशाली था।

जब बलि ने अपने जीवन का आखिरी अश्वमेध किया तो इंद्र देवता ने उस अवसर का लाभ उठाया और विष्णु से जाकर स्वर्ग को बलि के प्रकोप से बचाने का अनुरोध किया। क्योंकि यदि यह यज्ञ पूरा हो जाता तो बलिराज को उस यज्ञ के पुण्य से इंद्र पद प्राप्त होता और देवता उसके राज्य में असुरक्षित महसूस करते। इसलिए भगवान वामनावतार में एक बौने का रूप धारण कर पीड़ित बनकर बलि के पास गए। बलि दान, दक्षिणा के लिए काफी प्रसिद्ध था, इसलिए बौने की इच्छा पर सहमत हो गया। जब विष्णु भगवान ने भव्य रूप धारण किया तो उनके भव्य रूप से पूरा त्रिभुवन ढक गया और बलि के प्रकोप से सभी पीड़ितों को उन्होंने बचा लिया। विष्णु जी ने यह भी कहा की बलि की भक्ति और दानशीलता बलिप्रतिपदा के नाम से जानी जाएगी।

उपहार देने की है परंपरा

जब विष्णु भगवान ने बलि से स्वर्ग को मुक्त करवाया तब देवी लक्ष्मी यह देखकर खूब प्रसन्न हुई। खुशी से देवी लक्ष्मी ने विष्णु भगवान को प्रणाम किया तो विष्णु जी ने उन्हें उपहार स्वरूप धन का आशीर्वाद दिया। ऐसा कहा जाता है कि इस आशीर्वाद के कारण जिसके पास लक्ष्मी होती है, उसे धन संपत्ति का वरदान मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जैसे विष्णु लक्ष्मी की जोड़ी एक दूसरे का सम्मान करती है, वैसे ही प्रत्येक पति-पत्नी को भी एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। इसलिए इस दिन ऐसी मान्यता है कि पति-पत्नी को एक दूसरे को उपहार देना चाहिए।