Electricity Board's project got the last extension
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बिजली बोर्ड के प्रोजेक्ट को मिली आखिरी मोहलत-15 जून तक DPR नहीं भेजी, तो 3700 करोड़ गए

Electricity Board's project got the last extension

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बिजली बोर्ड में 3700 करोड़ रुपए के टेंडर की आखिरी तारीख तय हो गई है और इस तय तारीख के बाद बजट लैप्स हो जाएगा। बोर्ड को 15 जून तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर दोबारा से आवेदन करने के निर्देश मिले हैं। बड़ी बात यह है कि बोर्ड में टेंडर हासिल करने को लेकर डीपीआर पहले ही तैयार हो चुकी है, लेकिन कर्मचारी संगठनों के विरोध और अब प्रबंध निदेशक के बदलाव की वजह से पुरानी प्रक्रिया पर अमल किया जाएगा या नए सिरे से डीपीआर तैयार होगी, इस पर संशय बना हुआ है। कर्मचारियों ने 3700 करोड़ रुपए की इस टेंडर प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने टेंडर रद्द करने का फैसला किया। 

हालांकि उस समय बिजली बोर्ड प्रबंधन ने यह दावा किया था कि टेंडर के लिए बनाई गई डीपीआर में कुछ खामियां पाई गई हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने टेंडर दोबारा से करवाने की बात कही है। गौरतलब है कि हिमाचल में स्मार्ट मीटर का अभियान शुरू होना था। धर्मशाला और शिमला के बाद प्रदेश के दूसरे शहरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाने की प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार ने 1900 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी, जबकि 1800 करोड़ रुपए बिजली बोर्ड में जरूरी सुधार और रखरखाव पर खर्च होने थे। यह कुल बजट 3700 करोड़ रुपए का है। इसमें 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार को खर्च करना है, जबकि महज 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार का होगा।

केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना में राज्य को यह बजट मिलना है। इस प्रक्रिया में 24 लाख उपभोक्ताओं के मीटर बदले जाने का लक्ष्य बिजली बोर्ड ने तय किया था, लेकिन ऐन मौके पर टेंडर प्रक्रिया रद्द करने से यह प्रोजेक्ट अटक गया है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी। इसमें स्मार्ट मीटर योजना पर सवाल उठाए गए थे।

दरअसल प्रदेश भर में 125 यूनिट बिजली मुफ्त दी जा रही है। जिन उपभोक्ताओं को यह बिजली मुफ्त मिल रही है, उन्हें मीटर रेंट भी अदा नहीं करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने अपनी गारंटी में इस सुविधा को 300 यूनिट तक ले जाने की बात कही है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने तर्क दिया था कि मुफ्त बिजली के एवज में स्मार्ट मीटर लगाने से बोर्ड को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इस प्रोजेक्ट का कोई भी लाभ बिजली बोर्ड को नहीं मिलेगा। इस मुलाकात के ठीक बाद टेंडर को रद्द करने का फैसला ले लिया गया।

फिजूलखर्ची हरगिज नहीं करने देंगे

बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड में फिजूलखर्ची को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा था। इसके विरोध में कर्मियों ने सीएम से शिकायत की थी। स्मार्ट मीटर का भारी-भरकम खर्च करने के बाद सरकार मुफ्त बिजली देगी तो ऐसे मीटर लगाने का कोई फायदा नहीं होगा। बिजली बोर्ड पहले ही घाटे में है इस कदम से बुरा असर बोर्ड की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की व्यथा को समझा है। इसका परिणाम टेंडर रद्द होने के रूप में सामने आया है।

जल्द उठाए जाएंगे कदम

बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा ने बताया कि बोर्ड के सभी मुद्दों पर जल्द ही विचार विमर्श किया जाएगा। तय समय पर फैसले लेने के साथ ही बोर्ड के हित में जो कदम होंगे उन्हें उठाया जाएगा। बिजली बोर्ड में बोर्ड के बेहतर हितों के लिए कदम उठाए जाएंगे। जल्द ही इस संबंध में बोर्ड प्रबंधन कदम उठाने जा रहा है।

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