पूर्व IAS मोहिंदर सिंह के घर ED रेड, 5 करोड़ का हीरा, सोने के गहने और अरबों की संपत्ति के मिले सबूत
ED raid at former IAS Mohinder Singh's house
लखनऊ। ED raid at former IAS Mohinder Singh's house: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह व हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एचपीपीएल) के निदेशकों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 42.56 करोड़ रुपये के हीरे, जेवरात व नकदी जब्त करने के साथ ही बड़ी संख्या में संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए हैं। इसमें 85 लाख रुपये की नकदी शामिल है।
कंपनी निदेशकों के छह बैंक लॉकरों की जानकारी भी मिली है। मंगलवार व बुधवार को मेरठ, दिल्ली, चंडीगढ़ व गोवा स्थित 12 ठिकानों पर की गई छानबीन के बाद शुक्रवार को जब्त की गई संपत्ति की जानकारी साझा की।
1978 बैच के आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास से 5.26 करोड़ रुपये कीमत का एक हीरा बरामद हुआ है। बेनामी संपत्तियों से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं।
नोएडा अथॉरिटी के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रहे मोहिंदर सिंह की गिनती बसपा शासनकाल के प्रभावशाली अधिकारियों में थी। वह 31 जुलाई, 2012 को सेवानिवृत्त हुए थे।
नोएडा में जमीन उपलब्ध कराने में बड़ा खेल
ईडी की जांच में एचपीपीएल संचालकों को नोएडा में जमीन उपलब्ध कराने में बड़ा खेल किया था। नियमों को दरकिनार कर कंपनी संचालकों को लाभ पहुंचाया था। छानबीन में भूमिका सामने आने पर पूर्व आईएएस अधिकारी के चंडीगढ़ स्थित आवास को खंगाला गया।
सूत्रों के अनुसार, उनके आवास से हीरों के 35 सर्टिफिकेट भी बरामद हुए हैं। जांच एजेंसी को संदेह है कि करोड़ों रुपये के यह हीरे लेकर उनकी पत्नी बीते दिनों अमेरिका चली गईं। सभी हीरे दिल्ली के पीसी ज्वैलर्स से खरीदे गए थे।
ईडी ने मेरठ के शारदा एक्सपोर्ट्स के संचालक आशीष गुप्ता के घर से 7.1 करोड़ रुपये के हीरे के जेवर व आदित्य गुप्ता के घर से लगभग 25 करोड़ रुपये के हीरे व सोने के जेवर बरामद किए हैं।
दस्तावेजों के आधार पर छानबीन
ईडी के अनुसार, एचपीपीएल, क्लाउड नाइन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह, आदित्य गुप्ता, आशीष गुप्ता, पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह व अन्य के ठिकानों पर छानबीन की गई। सभी धन शोधन के अपराध में शामिल पाए गए।
बरामद संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर आगे की छानबीन की जा रही है। एचपीपीएल से जुड़ी कुछ अन्य सहयोगी कंपनियों की छानबीन भी की जा रही है। एचपीपीएल ने नोएडा में लोटस-300 फ्लैट बनाने के लिए निवेशकों से 636 करोड़ रुपये जुटाए थे।
मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज है केस
रिहायशी परियोजना के लिए नोएडा अथॉरिटी ने वर्ष 2010-11 में सेक्टर 107 में भूमि आवंटित की थी। भूमि की लीज निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी व विदुर भारद्वाज के नाम हुई थी। कंपनी संचालकों ने निवेशकों से जुटाई गई रकम से 190 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों में डायवर्ट कर हड़प लिए थे।
जमीन का एक हिस्सा दूसरे बिल्डर को बेचा गया था और इसके लिए नोएडा अथॉरिटी को मामूली रकम का ही भुगतान किया गया था। ऐसा करके 236 करोड़ रुपये का घपला किया गया था। ईडी एचपीपीएल के निदेशकों, प्रमोटर व अन्य के विरुद्ध निवेशकों के 426 करोड़ हड़पने के मामले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच कर रहा है।
निवेशकों ने संचालकों ने अन्य परियोजनाओं के नाम पर भी निवेशकों, नोएडा अथॉरिटी व बैंकों से ठगी की है। निवेशकों की रकम हड़पने के बाद संचालक कंपनी से इस्तीफा दे देते थे। ईडी इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर ठगी के इस मामले की जांच शुरू की थी।
यह हुई बरामदगी
- 85 लाख रुपये नकद
- 29.35 करोड़ रुपये के हीरे व सोने के जेवर
- 5.26 करोड़ रुपये का एक हीरा
- 7.1 करोड़ रुपये के हीरे के जेवर
काली कमाई से जुटाई कई बेशकीमती संपत्तियां
पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह ने काली कमाई से चमचमाते हीर ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, दिल्ली, नोएडा व अन्य बड़े शहरों में कई बेशकीमती संपत्तियां भी जुटा रखी हैं। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में पूर्व आईएएस ने चंडीगढ़ में कृषि भूमि, दुकानें, व्यवसायिक भवन, फ्लैट व अन्य संपत्तियां होने की बात स्वीकार है।
इसके अलावा, दिल्ली व अन्य स्थानों पर खरीदी गई संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। छापेमारी के दौरान सभी ठिकानों से बरामद संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों के आधार पर आगे की पड़ताल की जा रही है। ईडी सोमवार से कुछ अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की कार्रवाई शुरू कर सकता है। ईडी जल्द छह बैंक लॉकरों को भी खुलवा कर देखेगा।
स्मारक घोटाले की भी खुलेंगी परतें
बसपा शासनकाल में हुए बहुचर्चित स्मारक घोटाले में भी मोहिंदर सिंह की भूमिका की परतें जल्द खुल सकती हैं। वह आवास विकास विभाग के मुखिया भी रहे थे। ईडी का शिकंजा कसने के बाद विजिलेंस भी उनके विरुद्ध जांच को आगे बढ़ाएगा। स्मारक घोटाले की जांच में विजिलेंस ने लगभग दो वर्ष पहले मोहिंदर सिंह को नोटिस देकर तलब किया था पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में होने की जानकारी दी थी और सामने नहीं आए थे।
यह भी पढ़ें:
प्रयागराज में एम्स क्यों नहीं बन सकता? हाई कोर्ट ने UP के मुख्य सचिव से पूछा
अब अलीगढ़ में भेड़िये के दस्तक का दावा; दो ग्रामीणों पर हमला कर किया घायल