होने जा रहा है होलाष्टक का प्रारंभ, 9 दिन न करें 5 मांगलिक कार्य वरना होगा ये नुकसान
- By Sheena --
- Thursday, 23 Feb, 2023
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Dont do these things in holashtak inauspicious 9 days.
भारत: होलाष्टक को अशुभ दिनों में माना जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। होलाष्टक का प्रारंभ इस साल 27 फरवरी से हो रहा है। आपको बतादें कि होली से पहले के 8 दिन होलाष्टक कहलाते हैं। होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है और फिर उस दिन से शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
इस बार 9 दिन चलेगा होलाष्टक
इस साल 27 फरवरी से लेकर 07 मार्च तक होलाष्टक है। तिथि के आधार पर यदि गणना करते हैं तो फाल्गुन अष्टमी से पूर्णिमा तक 8 तिथियां अशुभ मानी गई हैं, लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों के आधार पर देखा जाए तो इस साल होलाष्टक 09 दिन का है। इन 9 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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होलाष्टक प्रारंभ और समापन
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 27 फरवरी को 12:58AM से लेकर 28 फरवरी को 02:21AM तक है। 27 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन सुबह 06:49AM से 01:35PM तक भद्रा है। फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 06 मार्च को शाम 04:17 PM से 07 मार्च को शाम 06:09PM तक है। फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को होगी। ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा को होलाष्टक समाप्त हो जाएगा।
भूल कर भी न करें ये काम
1. होलाष्टक में विवाह कार्य पूर्णतया वर्जित होता है।
2. होलाष्टक के समय में बहू या बेटी की बिदाई नहीं करते हैं। होलाष्टक के बाद ही यह कार्यक्रम करना चाहिए।
3. होली से पूर्व की 8 तिथियों में शादी का रिश्ता पक्का नहीं करते हैं, सगाई जैसे कार्यक्रम नहीं होते हैं।
4. होलाष्टक में गृह प्रवेश, मुंडन या कोई भी शुभ संस्कार नहीं करते हैं।
5. होलाष्टक के समय में आपको कोई भी नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए।
क्या करना है जरूरी ?
1. इस समय में रंगभरी एकादशी, आमलकी एकादशी, प्रदोष व्रत हैं, आप व्रत रखें और पूजन करें।
2. फाल्गुन पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करें।
3. फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान और दान करके पुण्य लाभ प्राप्त करें।
4. होलाष्टक में ग्रह उग्र होते हैं, उनकी शांति के उपाय कर सकते हैं। उनके मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
होलाष्टक क्यों है अशुभ?
होली से पहले की 8 तिथियां यानि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को अशुभ माना जाता है क्योंकि इसमें भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कइ्र प्रकार की यातनाएं दी गई थीं। दूसरा कारण यह भी मानते हैं कि शिव जी के क्रोध से कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति ने इन 8 तिथियों में पश्चाताप किया था।