मिथ्या या सच: क्या पीरियड्स के दौरान छूने से खराब हो जाता है अचार? एक्सपर्ट से जानें कितनी सच्चाई है इसमें

मिथ्या या सच: क्या पीरियड्स के दौरान छूने से खराब हो जाता है अचार? एक्सपर्ट से जानें कितनी सच्चाई है इसमें

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मिथ्या या सच: क्या पीरियड्स के दौरान छूने से खराब हो जाता है अचार? एक्सपर्ट से जानें कितनी सच्चाई है

नई दिल्ली। आपको बचपन के वो दिन याद होंगे जब आपकी दादी या नानी आपको पीरियड्स के दौरान आचार की बर्नी को छूने से मना किया करती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान आचार के डिब्बे को अगर छू लें तो वो खराब हो जाता है। यह सिर्फ आपकी कहानी नहीं है, बल्कि भारत में ज़्यादातर महिलाओं को इस तरह के व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान खान को छूने से खाना अशुद्ध हो जाता है।

यह परंपरा भले ही सदियों पुरानी हो लेकिन आज भी कई जगहें हैं, जहां माना जाता है कि अचार या तीखी चटनी के कंटेनर को छूने से यह अशुद्ध हो जाता है, आइए इस परंपरा के पीछे की वास्तविकता का पता लगाएं।

क्या पीरियड्स के दौरान आचार या खाने को छूने से वह खराब हो जाता है?

सदियों पुरानी मान्यताओं के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को रसोई में प्रवेश करने या अचार को छूने की अनुमति नहीं थी, ऐसा माना जाता था कि वे इस दौरान अशुद्ध हो जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि भोजन को पवित्र माना जाता था और कोई भी अशुद्ध चीज़ उसकी अच्छाई को नष्ट कर सकती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के विभिन्न हिस्सों में आज भी कई महिलाएं उन दिनों खाना पकाने या रसोई में प्रवेश करने से परहेज़ करती हैं, और 4-5 दिन अकेले में बिताती हैं, लेकिन क्या वास्तव में पीरियड्स भोजन को प्रभावित करता है या इसे अशुद्ध बनाता है? तो आइए जानें कि विज्ञान इस बारे में क्या कहता है?

क्या यह सच है या सिर्फ एक मिथक?

मासिक धर्म के दौरान शरीर से अशुद्ध रक्त बहता है, जिस दौरान संक्रमण और बीमारियों से बचने के लिए बेहतर स्वच्छता की आवश्यकता होती है। पहले, महिलाएं उन दिनों में स्वच्छता का प्रबंधन करने के लिए कपड़े का इस्तेमाल करती थीं, लेकिन समय के साथ स्वस्थ स्वच्छता बनाए रखने और संक्रमण की संभावना को कम करने के कई तरीके मौजूद हैं।

एक विचारधारा के अनुसार, यह माना जाता था कि ये नियम गंदगी से बचने के लिए स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए बनाए गए थे, वहीं कुछ का मानना ​​​​है कि यह महिलाओं को आराम देने के लिए किया गया था, ताकि उन्हें अचार बनाने की मशक्कत में शामिल न होना पड़े, उस समय में ज्यादातर घरों में अचार डालना एक बड़ा इवेंट माना जाता था।