जिले के 13 में से मात्र 4 आयुर्वेद औषधालयों में ही पदस्थ हैं डॉक्टर

Ayurveda Dispensaries in the District
(अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )
दंतेवाड़ा : Ayurveda Dispensaries in the District: (छत्तीसगढ़) राज्य के इस क्षेत्र में केंद्र की मोदी सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने तमाम प्रयास करने में लगी है वहीं दुसरी ओर छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की कमी के चलते प्रदेश के कई जिलों में आयुर्वेद औषधालयों में तालाबंदी की नौबत आ गई है। दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा की बात करें तो यहां भी आयुर्वेद विभाग खुद वेंटिलेटर पर है। कहने को तो जिला मुयालय में आयुष पॉलिक्लिनिक है जहां थोड़ी बहुत राहत शहरी मरीजों को मिल पा रही है वहीं दुसरी ओर ग्रामीण अंचलों की आयुर्वेद औषधालयों की बात करें तो रिथति बेहद खराब है। अधिकांश औषधालयों में सालों से डॉक्टर नहीं है। डॉक्टरों की कमी के कारण औषधालय बंद पड़े हैं।
गौरतलब है कि दंतेवाड़ा जिले में आयुर्वेद विभाग अंतर्गत
डॉक्टरों के अभाव में अधिकांश आयुर्वेद औषधालयों में तालाबंदी
* जिला आयुर्वेद अधिकारी
करीब 13 औषधालय हैं इनमें से वर्तमान में केवल 4 औषधालय कुहाररास, फरसपाल, अरनपुर एवं मैलावाड़ा में में ही डॉक्टर पदस्थ हैं वहीं 9 औषधालय कुपेर, पोंदुम, भांसी, टेकनार, मोलसनार, रॉजे, छिंदनार, समेली एवं मोखपाल के अस्पताल डॉक्टरों के अभाव में बंद पड़े हैं। बारसूर व फरसपाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी आयुर्वेद डॉक्टर नहीं हैं। बता दें कि ग्रामीण इलाकों में
आयुर्वेद विभाग का औषधालय होता है जिसमें 1 डॉक्टर, 1 फर्मासिस्ट, 1 औषधालय सेवक तथा 1 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता कुल 4 लोगों की टीम होती है। जबकि जिले के किसी भी औषधालय में 100 फीसदी स्टाफ नहीं है। कहीं सिंगल डॉक्टर डयूटी कर रहे हैं तो किसी औषधालय में फार्मासिस्ट ही डॉक्टर की जिमेदारी निभा रहा है ये हाल है आयुर्वेद विभाग है।
डॉक्टरों की कमी आखिर क्यों है और इसे कैसे पूरा किया जा सकता है ? इसका जवाब तलाशने जब जिला आयुर्वेद अधिकारी बसंत कोसरे से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि 24 मार्च को उन्हें डीएओ बनाया गया है। उन्हें अभी नई जिमेदारी मिले 6 दिन ही हुए हैं। श्री कोसरे ने कहा कि हमसे पूर्व अधिकारी भी शासन को कई बार पत्र लिख चुके हैं। औषधालयों में डॉक्टरों की कमी की पूरी जानकारी शासन स्तर पर लगातार पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया है। अब ये तो शासन स्तर की बात है कि वे कब नए डॉक्टरों की पदस्थापना करते हैं। वैकिल्पक तौर पर हम इस कोशिश में लगे हैं कि जो डॉक्टर हमारे यहां है उन्हें ही अतिरिक्त जिमेदारी देकर उनसे काम लिया जाए। श्री कोसरे से जब यह सवाल किया गया कि जो डॉक्टर
औषधालयों में पदस्थ हैं उनकी भी लगातार ये शिकायत मिलती रही है कि वे नियमित औषधालय नहीं जाते। डयूटी से हमेशा नदारद रहते हैं लेकिन उन्हें सैलरी हर महिने पुरी मिल जाती है। औषधालय नहीं खुलने से ग्रामीण मरीजों को भी इलाज के लिए भटकना पड़ता है। इस सवाल पर श्री कोसरे ने कहा कि निश्चित रूप से ऐसे डॉक्टरों पर विधिवत कारवाई की जाएगी। शासन ने जो जिमेदारी दी है उसे पूरा करना ही होगा। संसाधन का अभाव हो सकता है लेकिन ईलाज सबको समय पर बराबर मिले यह हर आयुर्वेद चिकित्सक की प्राथमिक जिमेदारी बनती है। डॉक्टर जिन भी औषधालयों में पदस्थ हैं वे पूरी ईमानदारी के साथ अपनी डयूटी करे अन्यथा शिकायत मिलने पर जांच उपरांत वैधानिक कारवाई