क्या आप जानते है कि हनुमान जी के इन 12 नामों का गहरा अर्थ और इससे दूर हो सकती है आपकी समस्याएं

क्या आप जानते है कि हनुमान जी के इन 12 नामों का गहरा अर्थ और इससे दूर हो सकती है आपकी समस्याएं

 Do you know the 12 name of Hanuman ji

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हिन्दू धर्म में हनुमान जी को बहुत मानते है। उन्हें राम भक्त भी कहा जाता है। इतना ही नहीं संकट के समय और बुरे साए के होने पर हनुमान चालीसा भी लोग पड़ते है। ऐसा मन जाता है कि हनुमान चालीसा पड़ने से बुरी शक्तिया, भूत-प्रेत दूर हो जाते है। हनुमान जी को बहुत काम लोग उनके और नामो से जानते है आपको बता दे कि हनुमान जी के 12 नाम हिन्दू पुरातन शास्त्र में दिए गए है जिनका अर्थ बहुत गहरा है। हिन्दू ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स के अनुसार, तुलसीदास जी द्वारा लिखित हनुमान चालीसा में हनुमान जी के 12 नामों का वर्णन मिलता है। इन 12 नामों की न सिर्फ एक रोचक कथा है बल्कि हर नाम से जुड़ा एक मंत्र भी है। 

पहला नाम :हनुमान 
मंत्र: ॐ श्री हनुमते नमः
नाम का अर्थ :एक बार जब हनुमान जी बाल अवस्था में सूर्य देव को फल समझकर खाने के लिए उनकी तरफ बढ़ने लगे तब इंद्र देव ने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से उन पर प्रहार किया था जिसके बाद व्रज के प्रहार से उनकी ठुड्डी टेड़ी हो गई थी। ठुड्डी को हनु कहा जाता है। तभी से उनका नाम हनुमान पड़ गया। 

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दूसरा नाम :अंजनीसुत 
मंत्र: ॐ अञ्जनी सुताय नमः
नाम का अर्थ
: हनुमान जी ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रदोषकाल में जन्म लिया था। इसी कारण से वह अंजनीसुत कहलाए।

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तीसरा नाम :वायुपुत्र 
मंत्र: ॐ वायुपुत्राय नमः
नाम का अर्थ:
बजरंगबली का जन्म वायु देव के आशीर्वाद से हुआ था और पवन देव उनके मानस पुत्र भी हैं। इसलिए हनुमान जी का एक नाम वायुपुत्र या पवन पुत्र भी है। 

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चौथा नाम : महाबल 
मंत्र: ॐ महाबलाय नमः
नाम का अर्थ:
हनुमान जी अत्यंत बलशाली हैं। ऐसा माना जाता है कि बालि, रावण (रावण ने क्यों रचा अपनी मृत्यु का षड्यंत्र), भीम, एरावत, इंद्र आदि सभी का बल मिलकर भी हनुमान जी के बल से इनकी तुलना संभव नहीं। हनुमान जी के बल के कारण ही स्वर्ण लंका क्षण भर में राख का ढेर बन गई थी। इसी कारण से हनुमान जी को महाबली भी कहा जाता है। 

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पांचवा नाम : रामेष्ट 
मंत्र: ॐ रामेष्ठाय नमः
नाम का अर्थ:
हनुमान जी भगवान श्री राम के प्रिय माने जाते हैं। उनके रोम रोम में राम बसे हैं। राम काज में हनुमान जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इसी कारण से उनका एक नाम रामेष्ट भी पड़ा। 

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छठा नाम : फाल्गुनसखा 
मंत्र: ॐ फाल्गुण सखाय नमः
नाम का अर्थ:
हनुमान जी को अर्जुन का मित्र माना जाता है। इसके पीछे का तर्क यह है कि फाल्गुन का अर्थ होता है अर्जुन और सखा का अर्थ होता है मित्र। यानी कि वो जो अर्जुन के मित्र हैं। इसके अलावा, महाभारत और भगवद गीता दोनों ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर स्थापित होकर उनकी रक्षा की थी। 

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सातवां नाम: पिंगाक्ष 
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः  
नाम का अर्थ:
पिंगाक्ष का अर्थ होता है आंखों में हल्के लाल और पीले रंग की परत बनना। हनुमान जी के नेत्रों में भी ऐसी परत बनने का उल्लेख रामायण ग्रंथ में मिलता है। इसी कारण से हनुमान जी का एक नाम पिंगाक्ष भी है। 

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आठवां नाम: अमितविक्रम 
मंत्र: ॐ अमितविक्रमाय नमः 
नाम का अर्थ:
हनुमान जी का एक नाम अमितविक्रम भी है। अमित का अर्थ है अधिक और विक्रम का अर्थ होता है पराक्रमी। हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। ऐसे में उनके अंदर अथाह बल होना स्वाभाविक है। हनुमान जी ने अपने बल से ऐसे अचंभित कर देने वाले कार्य किये हैं जो देवताओं के बल के भी बाहर है।

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नौवां नाम : उदधिक्रमण 
मंत्र: ॐ उदधिक्रमणाय नमः। 
नाम का अर्थ:
उदधिक्रमण का मतलब होता है समुद्र को लांघने वाला। हनुमान जी ने सीता माता की खोज में समुद्र को लांघा था इसलिए उनका एक नाम उदधिक्रमण भी है। 

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दसवां नाम: सीताशोकविनाशन 
मंत्र: ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः। 
नाम का अर्थ:
इस नाम की रोचक कथा यह है कि जब समुद्र को लांघ हनुमान जी माता सीता (माता सीता की बहनों की रोचक कथा) के पास पहुंचे थे तब उन्होंने छोटा सा आकार धर पेड़ की आड़ में खुद को छिपा लिया था। उन्होंने माता सीता को श्री राम से बिछड़ने के शोक में द्रवित देखा। जब माता सीता के समीप कोई भी रावण के रक्षाओं में से नहीं था तब समय का लाभ उठाते हुए उन्होंने माता सीता को अपना परिचय देते हुए खुद को राम दूत बताया जिसके बाद माता सीता का सारा शोक दूर हो गया। इसी वजह से हनुमान जी सीताशोकविनाशन कहलाए। 

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ग्यारवां नाम:  लक्ष्मण प्राणदाता 
मंत्र: ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः
नाम का अर्थ:
रामायण के एक खंड में इस घटना का वर्णन मिलता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के युद्ध में जब मेघनाथ ने छल से लक्ष्मण जी को आहत कर मूर्छित कर दिया था तब हनुमान जी उनकी रक्षा हेतु संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिससे लक्ष्मण जी की जान बचना संभव हो सकता था। इसलिए हनुमान जी को लक्ष्मण प्राणदाता के नाम से भी जाना जाता है। 

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बरवां नाम: दशग्रीवदर्पहा 
मंत्र: ॐ दशग्रीवस्य दर्पाय नमः     
नाम का अर्थ:
दशग्रीव का मतलब होता है रावण और दर्पहा का अर्थ है घमंड तोड़ने वाला। ये तो समूचा जगत जानता है कि महाबली हनुमान ने किस प्रकार अनेकों बार रावण का अहंकार चूर चूर किया था। इसी कारण से उनका एक नाम दशग्रीवदर्पहा पड़ा। 

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