70 दिनों की महासाधना के बाद मानवता के कल्याणार्थ बेंगलूरु की धरा पर..
70 days of Mahasadhana
श्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव के दिव्य दर्शन–महाआशीर्वाद 18 को बेंगलूरु में
पैलेस ग्राउंड के रॉयल सीनेट में देश और दुनिया भर से शामिल होंगे गुरुभक्त
बेंगलूरु। 70 days of Mahasadhana: अष्ट सिद्धि, नव निधि के धारक महायोगी श्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव(Shri Siddheshwar Brahmarshi Gurudev) के दिव्य दर्शन एवं महा आशीर्वाद का भव्यातिभव्य कार्यक्रम(grand event) 18 दिसंबर को बेंगलूरु की धरा पर होगा। तिरुपति स्थित श्री सिद्धेश्वर तीर्थ, श्री ब्रह्मर्षि आश्रम के संस्थापक(Founder of Shri Brahmarshi Ashram) पूज्य गुरुदेव यहां बेंगलूरु के बेल्लारी रोड स्थित पैलेस ग्राउंड के गेट नंबर 6 रॉयल सीनेट में आगामी रविवार को प्रातः 10 बजे से अपनी अतिदिव्य कृपा प्रदान करेंगे। यह जानकारी परम् गुरुभक्त, आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सांखला ने दी। उन्होंने बताया कि पांच तत्वों (अग्नि, जल, वायु, आकाश एवं पृथ्वी) की संपूर्ण शक्तियों को समेटकर समस्त सिद्धित दैवीय शक्तियों के साथ मानवता के कल्याण हेतु 70 दिनों की महासाधना उपरांत पूज्यश्री ब्रह्मर्षि गुरुदेव व्यक्ति के जीवन के तीन आयामों लर्निंग, अर्निंग एंड रिटर्निंग पर विस्तृत एवं दिव्य कृपामयी आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
देश और दुनिया भर के गुरुभक्त शामिल होंगे
विश्व धर्म चेतना मंच बेंगलूरु चैप्टर द्वारा आयोजित शक्ति साधना के महाआशीर्वाद रूपी इस अलौकिक कार्यक्रम में देश और दुनिया भर के गुरुभक्त शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि पूज्य गुरुदेव बताते हैं जीवन दो तरह का होता है। पहला जीवन पाने के लिए होता है, दूसरा जो जीवन में हमने सब कुछ पा लिया उसके लिए जीया जाता है। पूज्य गुरुदेव बताते हैं उनका जीवन अब पाने के लिए नहीं, क्योंकि सब कुछ पा लिया है अब उन प्राप्त समस्त सिद्धियों, परमात्म शक्तियों को सभी को प्रदान करना है अर्थात् सभी के कष्ट, बाधाओं, परेशानियों के निवारणार्थ अलौकिक अनुभूतियों के रुप में व्यापक स्तर पर सुख, समृद्धि प्रदायक आनन्द प्रदान करना है। परम एवं गहन शक्ति साधना से लाभान्वित करने वाले इस कार्यक्रम में पूज्यश्री ब्रह्मर्षि गुरुदेव कहते हैं कि निराशा के आगे झुके बिना हमें अपने हृदयों को सदैव आशा के दीप से प्रकाशित रखना चाहिए। श्रीब्रह्मर्षि गुरुदेव के ब्रह्मसूत्र के मुताबिक जब भाग्य सारे रास्ते बंद कर देता है तो हमारा दृढ़ विश्वास नए रास्ते खोल देता है, क्योंकि जहां विशुद्ध प्रेम होता है वहीं परमात्मा का वास भी होता है।
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