पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच मिट रही है दूरियां, चटगांव बंदरगाह पर दिखा पाकिस्तानी जहाज़
Bangladesh and Pakistan: कहते हैं की दो भाई बिछड़ कर भी कभी नहीं बिछड़ते, कुछ ऐसा ही बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ नजर आ रहा है। पाकिस्तान से अलग होकर जन्में बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर कराची से आए एक माल वाहक जहाज़ को देखा गया और उसके बाद अटकलें बड़ी तेजी से बढ़ने लगी कि शायद पाकिस्तान और बांग्लादेश अपने व्यापारिक और समुद्री संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। लेकिन यह बढ़ती दोस्ती कहीं भारत के लिए किसी नई मुसीबत का संकेत तो लेकर नहीं आई?
पाकिस्तान और बांग्लादेश की बढ़ती दोस्ती
1971 के मुक्ति संग्राम के बाद से यह दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री व्यापार संबंध है। यह पाकिस्तान के लिए संबंधों में से एक बड़ी सफलता है खासकर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनने वाली सरकार के बाद सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ बैठक में द्विपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर अपनी मंजूरी दी थी। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच इस तरह के कदमों पर कहीं ना कहीं भारत पर बहुत बुरा असर होगा।
चटगांव में दिखा पाकिस्तानी जहाज
13 नवंबर को बांग्लादेश के बंदरगाह पर कराची से आए एक जहाज को देखा गया। यह जहाज पाकिस्तान से माल उतारने के तुरंत बाद रवाना हो गया। बंदरगाह अधिकारियों के अनुसार 182 मीटर लंबा यह जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से माल लेकर आया था, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख परिधान उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल थे। बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने कहा कि प्रत्यक्ष शिपिंग मार्ग पूरे क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम है। इस पहल से मौजूदा व्यापार प्रवाह में तेजी आएगी और छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े निर्यातकों तक दोनों पक्षों के व्यवसाययों के लिए नए अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
संबंधों में हो रहे है सुधार
जहाज के डॉकिंग को 1971 के खूनी युद्ध के बाद द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। जिससे दोनों देशों के संबंध खराब कर दिए थे। विशेषज्ञों का कहना है, कि चटगांव और मंगला बांग्लादेश के दो प्रमुख बंदरगाह है और दोनों ही पांच दशकों से पाकिस्तान की पहुंच से बाहर हैं दोनों देशों के बीच व्यापार सिंगापुर या कोलंबो में ट्रांस शिपमेंट के जरिए होता था यह भी कहा गया कि इस कदम से तस्करी का सामान बांग्लादेश भेजे जाने और भारत में उग्रवादी समूह के पास पहुंचने की संभावना बढ़ सकती है।
भारत के लिए चिंता की बात?
2004 में बांग्लादेश के बंदरगाहों से हथियार बारामती के बाद भारतीय अधिकारी चटगांव और मंगला बंदरगाह को जोड़ने वाले समुद्री चैनलों के बारे में अतिरिक्त सतर्क हो चुके थे। पिछले साल भारत ने रणनीतिक जीत हासिल करते हुए पोर्ट पर टर्मिनल के संचालन के अधिकार हासिल किए थे, लेकिन जब पाकिस्तान को चटगांव पोर्ट पर पहुंच मिल गई तो इस घटनाक्रम का क्षेत्र की भू राजनीति पर असर पड़ेगा क्योंकि म्यांमार चटगांव के करीब है। म्यांमार में 2021 में गृह युद्ध चढ़ गया जब म्यांमार में सेना ने सत्ता पलट करके नागरिक सरकार पर कब्जा कर लिया लंबे समय तक चले संघर्ष में अनुमान लगाया गया है, कि 50000 लोग मारे गए और लगभग 30 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। घुसपैठ और नागरिकों के व्यापार को लेकर यह भारत के लिए एक चिंता का विषय रहा इसलिए भारत अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए चिंतित है।