उत्तराखंड में जोड़-तोड़ की राजनीति: मुख्यमंत्री धामी और निशंक से दो निर्दलीय प्रत्याशियों के मिलने की चर्चाओं ने पकड़ा जोर
उत्तराखंड में जोड़-तोड़ की राजनीति: मुख्यमंत्री धामी और निशंक से दो निर्दलीय प्रत्याशियों के मिलने क
विधानसभा चुनाव में भाजपा बेशक पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रही है, लेकिन अंदरखाने उसकी जोड़-तोड़ से सरकार बनाने की भी तैयारी चल रही है। सियासी हलकों में यह चर्चा खासी गर्म है कि जिताऊ माने जाने वाले दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की। एक निर्दलीय प्रत्याशी ने मुलाकात की पुष्टि भी की है।
भाजपा के केंद्रीय और प्रांतीय नेताओं के संपर्क में क्षेत्रीय दल के प्रत्याशी
जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर माने जाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी देहरादून में डेरा जमा लिया है। उनके देहरादून पहुंचने के बाद से कांग्रेस के भीतर खासी खलबली है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर कांग्रेस के अन्य नेताओं ने कैलाश विजयवर्गीय की सक्रियता पर शंकाएं जाहिर की हैं।
सोमवार को कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भाजपा दिग्गजों की कई दौर की बैठकें हुईं। इन बैठकों में क्या हुआ, यह रहस्य है, लेकिन इन गुप्त मंत्रणाओं के बाद ही उन प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू हो गया, जिनके चुनाव में जीतने की संभावनाएं अधिक है। इनमें यमुनोत्री से निर्दलीय चुनाव लड़े संजय डोभाल का नाम सुर्खियों में है। डोभाल पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के संपर्क में बताए जा रहे हैं।
जिताऊ माने जाने वाले प्रत्याशियों से संपर्क साधने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक, डोभाल की एक मुलाकात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी हो चुकी है। डोभाल ने पुष्टि की कि उनकी भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई। इसी तरह एक और निर्दलीय प्रत्याशी की भी सीएम धामी और डॉ. निशंक से मुलाकात की चर्चा है। एक क्षेत्रीय दल के प्रत्याशी भी भाजपा के केंद्रीय और प्रांतीय नेताओं के संपर्क में बताए जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा सरकार बनाने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती। न ही वह 2012 के विधानसभा चुनाव की चूक को दोहराना चाहती है। 2012 में भाजपा को 31 और कांग्रेस को 32 सीटें मिली थी, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जोड़-तोड़ से सरकार बनाने का विकल्प छोड़ दिया था।
पिछले कुछ सालों में कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आखिरी क्षणों तक सरकार बनाने के प्रयास नहीं छोड़े वह कामयाब हुई। इसी कड़ी में भाजपा सरकार बनाने की सभी संभावनाओं और विकल्पों में बेहद गंभीरता के साथ जुटी है और जिताऊ माने जाने वाले प्रत्याशियों से संपर्क साधने की कोशिशों में जुटी है।