भाजपा व रालोद में सीधी टक्कर, नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी

भाजपा व रालोद में सीधी टक्कर, नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी

भाजपा व रालोद में सीधी टक्कर

भाजपा व रालोद में सीधी टक्कर, नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी

बागपत। आज गुरुवार को मतगणना से केवल उम्मीदवारों की किस्मत का ही फैसला नहीं होगा बल्कि धुरंधरों का का वजूद भी तय होगा। रालोद और भाजपा के लिए तो यह चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। मतगणना से तय होगा कि रालोद खोई सियासी जमीन पाने में कामयाब रहेगी या फिर भाजपा का करिश्मा जारी रहेगा।

यह भी जानिए

चौ. अजित सिंह की मृत्‍यु के बाद रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के नेतृत्व में यह पहला चुनाव है। यूं भी रालोद को बागपत से लोक सभा चुनाव 2014 और 2019 में हार मिली। विधानसभा चुनाव 2012 तथा 2017 के चुनाव में विधानसभा क्षेत्र बागपत और बड़ौत से रालोद को हार देखनी पड़ी थी। इसलिए गुरुवार को बागपत की तीनों सीटों की मतगणना परिणाम से पता चल जाएगा कि जयंत चौधरी का कितना जादू चला और रालोद अपनी खोई सियासी जमीन पाने में कितनी कामयाब रही।

भाजपा के लिए भी अहम

भाजपा के लिए भी यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। साल 2014 लोकसभा चुनाव से भाजपा बागपत में एक के बाद एक चुनाव में सफल होती गई है। अब भाजपा के छपरौली से विधायक सहेंद्र सिंह रमाला, बड़ौत से विधायक केपी मलिक और बागपत से विधायक योगेश धामा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। मतगणना से विधायकों की किस्मत ही तय नहीं होगी बल्कि यह भी तय होगा कि किसान आंदोलन का भाजपा के चुनाव पर कोई असर पड़ा अथवा नहीं।

हवेली की सियासत

गुरुवार को मतगणना से बागपत के नवाब की हवेली की सियासत तय होगी। दरअसल पूर्व केबिनेट मंत्री स्व.कोकब हमीद के बेटे अहमद हमीद रालोद प्रत्यायशी की हैसियसत से बागपत सीट से चुनाव लड़ा। वह साल 2017 में बसपा के टिकट पर भाजपा के योगेश धामा से हारे थे। अब फिर उनका सीधा मुकाबला भाजपा के योगेश धामा से है। इसलिए अब हर किसी की नजर इस सीट के परिणाम पर लगी है।