Development of North Eastern states will ensure the future of the country

पूर्वोत्तर राज्यों के विकास से सुनिश्चित होगा देश का भविष्य

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Development of North Eastern states will ensure the future of the country

Development of North Eastern states will ensure the future of the country : नब्बे के दशक में क्या पूर्वोत्तर राज्यों के संबंध में यह कहा जा सकता था कि वहां शांति और विकास के फूल (Flowers of Growth) खिले नजर आएंगे? असम आतंकवाद  (Terrorism) की आग में जल रहा था और बाकी अन्य राज्य शेष भारत से इतनी दूर थे, मानो वहां जाने के लिए वीजा लेना पड़े। यह इन राज्यों की जनता की उत्कंठा का कमाल है कि जहां पूरे देश का माइंडसेट आज इन राज्यों के प्रति बदल गया है वहीं दुनियाभर में पूर्वोत्तर अब ऐसा डेस्टिनेशन है, जहां शांति और खुशहाली है। जहां आकर कुछ ऐसा हासिल किया जा सकता है जोकि पूरी जिंदगी के लिए यादगार बन जाए। केंद्र में मोदी सरकार (Modi Government) के आने के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में और तरक्की हुई है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। खेल, उद्योग, पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति समेत सभी क्षेत्रों में आज पूर्वोत्तर के लोग आगे आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना सर्वथा उचित है कि पूर्वोत्तर के राज्यों ने बीते आठ वर्षों में हिंसा और भ्रष्टाचार को रेड कार्ड दिखाया है। जाहिर है, आजकल फुटबॉल का खुमार (Football Fever) सभी के दिलो दिमाग पर छाया है, ऐसे में रेड कार्ड शब्द का इस्तेमाल समस्याओं और दिक्कतों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाना उपयुक्त है। पूर्वोत्तर के राज्यों ने वाकई में भ्रष्टाचार, भेदभाव, वंशवाद, हिंसा और वोट बैंक की राजनीति से दूरी बनाई है।

अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर राज्यों में वह गहना है, जिसे भारत सहेज कर रखता आया है। इस खूबसूरत राज्य पर चीन की नजरें हैं, लेकिन यह बेतुकी चाह के अलावा कुछ नहीं है। अब प्रधानमंत्री मोदी ने यहां डोनी पोलो हवाई अड्डे का उद्घाटन (Inauguration of Doni Polo Airport) कर यह संदेश दे दिया है कि राज्य में भारत समेत वैश्विक पर्यटन गतिविधियों को और प्रसार मिलने वाला है। मोदी ने यहां 600 मेगावाट कामेंग जलविद्युत स्टेशन (600 MW Kameng Hydro Electric Station) भी राष्ट्र को समर्पित किया है। इस राज्य से ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू आते हैं, उनकी राज्य और केंद्र सरकार में सक्रियता यह बताने को काफी है कि राज्य की अब दिल्ली (Delhi) से दूरी नहीं रही हैं। हवाई अड्डा बनना ऐसा उपक्रम पूरा होना है, जिससे किसी भी समय प्रदेश से क्नेक्टिड रहा जा सकता है। मोदी का यह संबोधन राज्य की जनता के लिए भविष्य की आकांक्षाओं को बढ़ाने वाला है कि हम एक कार्य संस्कृति लेकर आए हैं, जहां जिन परियोजनाओं का हमने शिलान्यास (Foundation Stone) किया है, उनका उद्घाटन करते हैं। अटकाना, लटकाना, भटकाना का युग चला गया है।  वास्तव में यह सच भी है, पूर्व की सरकारों के वक्त पूर्वोत्तर के राज्य विकास को तरसते थे, न जाने वह कौन सी मानसिकता थी कि इन राज्यों को शेष भारत से दूर समझा जाता था। पूर्वोत्तर के लोगों के रंग रूप और जीवन शैली पर प्रहार होते थे, इन राज्यों के संबंध में ऐसे किस्से प्रचलित होते थे, जैसे कि वहां जाना और लौट कर आना एक बड़ी उपलब्धि है। क्या यह इन राज्यों के लोगों के साथ घोर नाइंसाफी नहीं थी। भारत इन राज्यों के बगैर कैसे पूरा हो सकता है, ये राज्य उसकी भुजाएं हैं।

प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) का यह कहना उचित ही है कि अरुणाचल हमें नई उमंग, ऊर्जा और नये उत्साह से भर देता है। अरुणाचल के लोगों के चेहरे पर कभी भी उदासीनता और निराशा नहीं झलकती है, अनुशासन क्या होता है? ये यहां हर व्यक्ति और घर में नजर आता है। आजादी के बाद पूर्वोत्तर एक अलग युग का गवाह बना। दशकों तक क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार में पूर्वोत्तर का चेहरा बदलने के लिए पहली बार प्रयास किया गया। यह पहली सरकार थी, जिसने पूर्वोत्तर के विकास के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया। इसके बाद यहां आखिरी गांव, आखिरी छोर नहीं, बल्कि देश का प्रथम गांव मानकर काम किया गया। आज अरुणाचल के 85 प्रतिशत से ज्यादा गांवों तक प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ (Prime Minister Village Road) बनाई जा चुकी है।

वास्तव में पूर्वोत्तर वह भूमि है, जोकि सदैव से प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य का खजाना (Treasure of Beauty) दबाए हुए है, अब कल्चर हो या एग्रीकल्चर, कॉमर्स हो या कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर को आखिरी नहीं, बल्कि सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। बात ट्रेड की हो या पर्यटन की, टेलीकॉम की हो या टेक्सटाइल्स (Textiles) की, ड्रोन टेक्नोलॉजी से लेकर कृषि उड़ान तक, एयरपोर्ट से लेकर पोर्ट से कनेक्टिविटी तक पूर्वोत्तर अब देश की प्राथमिकताओं में शुमार होना चाहिए। भारत का सबसे लंबा ब्रिज हो या सबसे लंबा रेलरोड ब्रिज हो, रेल लाइन बिछानी हो या रिकॉर्ड तेजी से हाईवे बनाना हो देश के लिए पूर्वोत्तर सबसे पहले है। ऐसी रिपोर्ट है कि केंद्र अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के ढांचागत विकास के लिए 50,000 करोड़ (50,000 crores) रुपये खर्च करेगा। जाहिर है, इस प्रकार की योजनाएं पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्य के विकास के लिए बननी चाहिए। पूर्वोत्तर की तरक्की पूरे देश की तरक्की है, इन राज्यों को ईश्वर ने जो सुंदरता प्रदान की है, वह अगर पूरे देश का चेहरा बन जाए तो फिर देश की अलग ही छटा सामने आएगी।  

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