Delhi Police Opposes Umar Khalid's Bail Plea Accusing Him of Plotting 2020 Delhi Riots

2020 Delhi Riots: दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का किया विरोध; 2020 दिल्ली दंगों की साजिश का आरोप!

Delhi Police Opposes Umar Khalid's Bail Plea Accusing Him of Plotting 2020 Delhi Riots

Delhi Police Opposes Umar Khalid's Bail Plea Accusing Him of Plotting 2020 Delhi Riots

नई दिल्ली, 10 जनवरी: Delhi Police Opposes Umar Khalid's Bail Plea in 2020 Delhi Riots Case: दिल्ली पुलिस ने JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उमर खालिद के पास 2020 के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगों के दौरान शहर से बाहर रहने की एक 'ठोस योजना' थी, ताकि वह गिरफ्तारी से बच सकें। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर (SPP) अमित प्रसाद ने जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की बेंच के सामने यह दलील दी।

खालिद की योजनाओं पर पुलिस का आरोप

प्रसाद ने कहा, "हमारे पास यह सबूत हैं कि उमर खालिद ने खुद को बिहार में दिखाया और वह भाषण देने गए थे। वह फंसे नहीं, इसके लिए दिल्ली से बाहर रहने की ठोस योजना बनाई थी।" उन्होंने बताया कि दंगों की साजिश में उमर खालिद की अहम भूमिका थी और उनके खिलाफ कई गवाहों के बयान भी हैं।

गवाहों के बयान और खालिद की भूमिका

प्रसाद ने एक गवाह के बयान का हवाला देते हुए बताया कि उमर खालिद को जहांगीरपुरी से जंतर-मंतर तक लोगों को ले जाने के लिए कहा गया था, और फिर उन्हें शाहीन बाग और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन तक भेजा गया, जहां महिलाओं का इस्तेमाल पथराव के लिए किया गया था।

जमानत मामलों में मिसाल न बनाने की अपील

अदालत से यह भी कहा गया कि जमानत देने के फैसले को मिसाल नहीं बनाया जाना चाहिए, जैसा कि आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के मामले में हुआ था। उन्होंने कहा कि दंगों के पहले और दूसरे चरण में आसिफ इकबाल तन्हा और मीरान हैदर की बड़ी भूमिका थी। इन दोनों ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए एक ही पैटर्न का पालन किया।

आगजनी और सरकारी सूचनाओं का हवाला

प्रसाद ने दिल्ली फायर सर्विसेज के आगजनी से संबंधित कॉल्स और अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई सूचनाओं का भी उल्लेख किया, जो दंगों के दौरान हुई व्यापक हिंसा को दर्शाती हैं। उन्होंने बताया कि इन विरोध प्रदर्शनों की निगरानी और प्रबंधन जामिया के छात्रों द्वारा किया गया था और व्हाट्सएप ग्रुप- जेएसीटी और जेसीसी उमर खालिद के निर्देश पर बनाए गए थे।

अदालत की प्रतिक्रिया और आगामी सुनवाई

अदालत ने अभियोजन के वकील से कहा कि यह कोई मुकदमा नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी दलीलों को संक्षेप में रखने के लिए कहा। अदालत ने यह भी कहा कि वे केवल यह जानना चाहते हैं कि उनके पास उमर खालिद के खिलाफ क्या सबूत हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी। इस मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद, अतहर खान, खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही है।