मोदी सरकार vs केजरीवाल सरकार; सुप्रीम कोर्ट में अब दायर हुई यह अपील, पूरा मामला जानिए
Delhi Kejriwal Govt Move To Supreme Court Regarding Center Ordinance
Delhi Kejriwal Govt Move To Supreme Court: दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश केजरीवाल सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। केजरीवाल सरकार की तरफ से केंद के अध्यादेश का तीखे सुर में घोर विरोध किया जा रहा है। केजरीवाल सरकार ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मांगा है। वहीं अब बड़ी खबर यह है कि, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। केजरीवाल सरकार ने केंद्र के अध्यादेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपनी अपील दायर की है। अपील में कहा गया है कि, केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
ध्यान रहे कि, पिछले दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी की महारैली हुई थी। केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ यह महारैली आयोजित की गई थी। महारैली में पंजाब के सीएम भगवंत, कपिल सिब्बल और पार्टी के तमाम मंत्री पहुंचे हुए थे। वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर जमकर हमला बोला था।
केजरीवाल ने कहा था कि, देश के 75 साल के एक इतिहास में पहली बार कोई ऐसा पीएम आया है जो कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता। आज पूरे देश के लोग स्तब्ध हैं। लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि इतना अहंकारी प्रधानमंत्री है। केजरीवाल ने कहा कि, देश में अब जनतंत्र खत्म हो रहा है और इसी को तानाशाही कहते हैं। लेकिन हम तानाशाही को मिटाकर रहेंगे और जनतंत्र को बचाएंगे। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार का लाया अध्यादेश पूरी तरह से ग़ैरकानूनी, ग़ैर संवैधानिक और जनतंत्र के ख़िलाफ़ है।
सुप्रीम कोर्ट, केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के अध्यादेश का पूरा मामला क्या?
दरअसल, दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली की केजरीवाल सरकार के हक में फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने का हक केजरीवाल सरकार को दिया था। लेकिन केंद्र सरकार को यह मंजूर नहीं हुआ और इसके बाद केंद्र द्वारा 19 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक अध्यादेश पारित कर दिया गया। जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला खारिज हो गया।
वहीं अध्यादेश लाने के साथ केंद्र सरकार ने एक कमेटी भी गठित की। जिसमें केजरीवाल (चेयरमैन) और दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसपल होम सेक्रेटरी को रखा गया। कहा गया कि, यह कमेटी अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर फैसला ले सकती है। लेकिन अगर कमेटी में फैसला नहीं हो पाता है या कमेटी के फैसले से उपराज्यपाल को कोई दिक्कत होती है तो फिर आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही होगा। इस तरह से दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई का पूरा हक एक तरह से दिल्ली के उपराज्यपाल को वापस मिल गया।