आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई समय की मांग
Decisive fight against terrorism is need of the hour
Decisive fight against terrorism is need of the hour : आतंकवाद (Terrorism) भारत समेत आज दुनिया के अनेक देशों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है। भारत आजादी के बाद से ही पाकिस्तान की ओर से आतंकी हमले (Terrorist attack from pakistan) झेल रहा है, वहीं पश्चिमी देशों को भी मुस्लिम देशों में संरक्षित आतंकियों से आंच झेलनी पड़ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का यह कहना सर्वथा उचित है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए इसके समर्थक देशों को दंडित किया जाना जरूरी है। नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन में मोदी का यह संबोधन देश की उन भावनाओं के अनुरूप है, जिसमें आतंकवाद के समूल नाश की जरूरत (The need for total destruction of terrorism) समझी जाती है। भारत के समक्ष इस समय पाकिस्तान और चीन की ओर से आतंक की चुनौती पेश की जा रही है, अनेक अवसरों पर यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान, भारत के जम्मू और कश्मीर व अन्य राज्यों में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह संकल्प सराहनीय है कि आतंकवाद को पूरी तरह नष्ट किए बगैर चैन से नहीं बैठेंंगे। आतंकवाद की वजह से ही जम्मू एवं कश्मीर के लोगों ने अपनों को खोया है, राज्य की खुशहाली और शांति नष्ट हुई और देश ने भी अथाह धन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में लगाया है, अगर यह सब नहीं होता तो यही धन विकास कार्यों पर खर्च हो रहा होता।
प्रधानमंत्री मोदी अनेक बार वैश्विक मंच (Global forum) पर इसकी जरूरत पर बल दे चुके हैं कि दुनिया के देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अपनी मुलाकातों में इसका संकल्प दोहराते हैं कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और इसमें दूसरे देशों को भी साथ आना चाहिए। बीते वर्षों में दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है तो इसका आधार भी भारत ने ही तैयार किया है। अमेरिका में 9/11 की वारदात (9/11 incident in America) के बाद जिस प्रकार से पश्चिमी देशों ने आतंक के खिलाफ बोलना शुरू किया है, वह इसका परिचायक है कि खुद को चोट लगने के बाद ही विश्व के शक्तिशाली देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। इससे पहले विश्व के बड़े देशों के लिए भारतीय संदर्भ में आतंकवाद मामूली बात ही समझी जाती थी। यह भी सच है कि पाकिस्तान को उकसाने और उसका सामर्थ्य बढ़ाने में अमेरिका का ही योगदान रहा है। पाकिस्तान के परमाणु ताकत हासिल करने में भी अमेरिका ने ही अहम भूमिका निभाई है और यह वह दौर था, जब अमेरिका को भारत से ज्यादा पाकिस्तान से सहानुभूति (America sympathizes with Pakistan) थी। शीत युद्ध के दौर में जब दुनिया दो हिस्सों में बंटी थी, तब रूस से दोस्ती की कीमत भारत को इस रूप में चुकानी पड़ रही थी। अगर अमेरिका जैसे देश उसी समय इसका अंदाजा लगा लेते कि पाकिस्तान को मदद का मतलब आतंकवाद को बढ़ावा देना है तो संभव है आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को पाकिस्तान को दुनिया का सबसे ज्यादा खतरनाक देश बताने की जरूरत नहीं रहती।
प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) का यह कथन सही है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सिर्फ आतंकियों को मारकर नहीं जीता जा सकता, आतंकी सिर्फ एक व्यक्ति है, लेकिन आतंकवाद कई व्यक्तियों और संगठनों का नेटवर्क। वास्तव में जिहाद के नाम पर आज भारत समेत तमाम देशों में आतंकी गतिविधियां संचालित (Terrorist activities conducted) हो रही हैं। इसके पीछे पूरा नेटवर्क काम कर रहा होता है, भारत में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी के बाद मुस्लिम देशों से जैसी प्रतिक्रिया आई और पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों ने जिस प्रकार से अपने आतंकी नेटवर्क को लोगों की हत्या करने के लिए उकसाया, वह इसी का उदाहरण है। देश में सिम्मी, पीएफआई जैसे तमाम आतंकी संगठन इसी नेटवर्क का हिस्सा बनते हैं। यह कैसी विडम्बना है कि इन संगठनों से जुड़े लोगों को न अपनी चिंता होती है और न ही परिवार की। उनका वास्ता शिक्षा, रोजगार, समाज से भी नहीं होता, वे केवल अपने धर्म और एक कट्टरपंथी विचारधारा से बंधे होकर मासूमों की हत्या करने की करतूतों में ही जीवन खपा देते हैं।
निश्चित रूप से मौजूदा केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ बेहद सख्त रुख (tough stand against terrorism) दिखाया है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का खात्मा करके सरकार ने जहां आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाले एक अनुचित कानून की कमर तोड़ी वहीं विश्व में भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई (India's fight against terrorism) व निर्णायक सोच को भी सामने रखा है। मोदी का यह कहना सार्थक होना चाहिए कि आतंकियों को अपनी चौखट तक पहुंचने का इंतजार करने के बजाय उन्हें पनपने से पहले ही खत्म करना होगा। यही आज की सबसे बड़ी मांग भी है, इस लड़ाई में पूरा देश एकजुट है और आतंकवाद का समूल नाश चाहता है। आतंकवाद के खात्मे (End of terrorism) से देश को जो आत्मबल प्राप्त होगा वह उसे सभी क्षेत्रों में अग्रणी बना देगा।
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