Deal with Covid together

कोविड से निपटो मिलकर सारे, नहीं बिगड़ने देंगे हालात

Editorial

Deal with Covid together


Virus called covid is spreading rapidly साल 2020 के शुरुआती दिनों को याद कीजिए जब इसकी खबरें आने लगी थी चीन समेत दूसरे देशों में कोविड नामक एक वायरस तेजी के साथ फैल रहा है, इससे जानें जा रही हैं। और फिर फरवरी का महीना आते-आते यह वायरस भारत में भी दस्तक दे चुका था। उस समय भारत समेत पूरी दुनिया Whole world including India को इसका अहसास नहीं था कि कोविड क्या बला है, लेकिन 2020 और फिर 2021 में कोविड ने देश में जो हालात किए वह मानवता को कंपा देने के लिए काफी थे।

दरअसल, अब फिर जब देश में कोविड के मामलों के बढ़ने की आशंका है तो केंद्र एवं राज्य सरकारों की इससे निपटने की तैयारियां काबिले तारीफ हैं। कोरोना अभी गया नहीं है, वह हमारे आसपास ही घूम रहा है और कभी भी फिर से घातक रूप ले सकता है। हालांकि अब केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मॉक ड्रिल mok dril के जरिए अपनी तैयारियों को परखा है और यह साबित हुआ है कि हमारी तैयारियां पुख्ता और एडवांस दर्जे की हैं। यह तब है, जब चीन जैसा आर्थिक रूप से सक्षम देश कोरोना के मोर्चे पर पस्त होता दिख रहा है।

देशभर के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों health centers में मंगलवार को मॉक ड्रिल के जरिए यह देखा गया कि हमारा स्वास्थ्य तंत्र कोरोना की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए किस हद तक तैयार है। देश में कर्नाटक पहला राज्य है जहां सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना फिर से अनिवार्य कर दिया गया है। विशेषज्ञों के पैनल ने सरकार से कहा है कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए वैक्सीन की चौथी डोज की व्यवस्था की जानी चाहिए। वैक्सीन की उपलब्धता और नई दवाओं के परीक्षण की स्थितियों पर भी नए सिरे से नजर डाली जा रही है।

इन सबके बीच यह स्पष्ट करते चलना भी जरूरी है कि कम से कम अपने देश में हालात फिलहाल चिंताजनक बिलकुल नहीं हैं। नए केसों की संख्या में पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह 11 फीसदी की बढ़ोतरी जरूर दर्ज की गई है, लेकिन फिर भी यह संख्या सबसे निचले स्तर के आसपास ही है। मेडिकल विशेषज्ञ दोहरा रहे हैं कि अपने देश में टीकाकरण vaccination मुहिम के व्यापक दायरे और प्राकृतिक इम्यूनिटी की बेहतर स्थिति के कारण हालात बिगड़ने का डर वैसे भी कम है। अगर किसी वजह से संक्रमण तेज होता है तो भी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम ही लोगों को आएगी। लेकिन चीन में भी कोरोना के मामले एक समय में पूरी तरह नियंत्रित दिख ही रहे थे।

जापान, अमेरिका Japan, America और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी हालात काफी बेहतर होने के बाद बिगड़े हैं। कोरोना वायरस ने अपनी जो विशेषता बार-बार दिखाई है वह यह कि उसका कुछ भरोसा नहीं। वह कब किस रूप में और किन लक्षणों के साथ लौट आए, नहीं कहा जा सकता। और, एक बार इसने पैर पसार लिए तो सारी भविष्यवाणियों को बेकार कर सकता है। लेकिन अपने देश में आम लोगों की बात करें तो सब जैसे कोरोना को अतीत की बात मान चुके हैं।

आजकल बाजारों में भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी शायद ही कोई मास्क लगाए नजर आता है, दूरी बनाए रखने की भी किसी को नहीं सूझती। आजकल हरियाणा विधानसभा Haryana vidhansabha का शीत सत्र चल रहा है, इस सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोविड प्रोटोकॉल के तहत सत्र आयोजित करने की बात कही गई थी, हालांकि सदन में एक या दो सदस्यों के अलावा किसी को भी मास्क लगाए नहीं देखा जा रहा है।

यही हाल जनसामान्य का है, बेशक अभी सरकारों की ओर से इसे लाजमी नहीं बनाया गया है लेकिन मास्क आज की जरूरत बन गया है। यह न केवल धूल और धुएं से बचा रहा है अपितु कोविड Covid  जैसी घातक महामारी से भी रक्षण कर रहा है। अब नए साल के जश्न का मौका भी आ रहा है। न्यू ईयर पार्टी करते हुए शायद ही कोई कोरोना के बारे में सोचे या किसी तरह की सावधानी बरतना जरूरी समझे। हालांकि यह जरूरी है कि भीड़ से बचा जाए।

 चंडीगढ़, पंजाब Chandigarh, Punjab और हरियाणा में कोविड के नए वैरिएंट से निपटने की तैयारियों का हाल समझें तो उचित ही है कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने प्रत्येक सरकारी अस्पताल में जाकर वहां तैयारियों का जायजा लिया है। पीजीआई में तो एक-एक हजार लीटर प्रति मिनट के दो ऑक्सीजन प्लांट चलते पाए गए। वहीं जीएमसीएच-32 में एक हजार लीटर प्रति मिनट का एक प्लांट और दूसरा 800 एलपीएम का प्लांट चलता मिला।

पंचकूला Panchkula में हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज Anil Vij ने तैयारियों का जायजा लिया है, यहां भी हालात सामान्य पाए गए। विज ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भी राज्य सरकार की तैयारियों से वाकिफ कराया है। इसी तरह से पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ने भी मोहाली सिविल  अस्पताल का निरीक्षण किया। यह सभी तैयारियों उचित और भविष्य में बनने वाले किन्हीं भी हालात से निपटने के लिए समयानुकूल हैं।

बीती कोरोना Corona लहरों के दौरान आम समस्या यही थी कि सरकारों को मालूम नहीं था कि इन हालात से कैसे निपटा जाए। एक नागरिक के पास सरकार की छतरी ही होती है, जोकि उसे रास्ता बताती है और उसकी रक्षा भी करती है। कोविड जैसी महामारी से सामूहिक रूप से सशक्त होकर ही निपटा जा सकता है। हालांकि सरकारों को वैक्सीन प्रदान करने के कार्य में तेजी लानी होगी, वहीं जनसामान्य को भी इस जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा। हमें चीन या किसी भी अन्य देश की तरह अपने यहां के हालात नहीं बिगड़ने देने हैं। 

यह भी पढ़ें: