Day 1 of Gursharan Singh Naat Utsav

पहले दिन सार्त्र के नाटक 'कौन जाने साडी पीड़' का पंजाबी रूपांतरण पेश हुआ

Day 1

चंडीगढ़, 3 दिसंबर 2022: Commencement of Gursharan Singh Naat Utsav

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का आगाज़
पंजाब कला भवन (Punjab Kala Bhawan) के रंधावा ऑडिटोरियम (Randhawa Auditorium) में 19वें गुरशरण सिंह नाट उत्सव (Gursharan Singh Naat Utsav) की शुरुआत पॉल सार्त्र (Paul Satre) के एक फ्रांसीसी नाटक से हुई, जिसका पंजाबी रूपान्तर  'कौन जाने साडी पीड' के शब्दीश (Shabdeesh) रूप में किया। यह नाटक पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) और संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Academy) के सहयोग से किया गया। इस नाटक की मूल पटकथा नस्लवाद से संबंधित है, जिसे एडॉप्टर ने भारतीय संदर्भ में जातिवाद के मुद्दे के संबंध में प्रस्तुत किया है। यह नाटक की पिथ्भूमि रेल में घटित घटना है, जिसमें उच्च जाति के पुरुष अपनी ही जाति की वेश्या (Prostitute) से छेड़छाड़ करते है। नाटक की कहानी के अनुसार ट्रेन के उस डिब्बे में दो दलित भी बैठे थे, जिन्हें पुरुषों का व्यवहार पसंद नहीं है। उनमें से एक गुंडों का विरोध करता है और उनके द्वारा गोली मार दी जाती है, जबकि दूसरा ट्रेन से कूदकर भाग जाता है। वह हत्या के मामले का एकमात्र गवाह है, लेकिन हत्यारों ने उस पर ही झूठा आरोप लगाकर पूरे शहर को भड़का कर भीड़ द्वारा उसे मार डाला गया।
यह नाटक रोचक परिस्थितियों में घटित होता है। एक ओर दलित अपनी जान बचाने के लिए वेश्या के सामने गुहार लगाने आ रहा है, दूसरी ओर हत्यारे (Murderer) का कज़न रंजीत गरीब आदमी को अदालत में दोषी ठहराने के लिए झूठे बयान पर हस्ताक्षर करने का सौदा करना चाहता है। जब लवलीन दबाव में झूठे बयान पर हस्ताक्षर करने की अनैतिकता को स्वीकार नहीं करती है, तो रंजीत के मेयर पिता देश के विकास और इसके सबसे बड़े नेता का रूप अपना कर अपने चमत्कारी प्रभाव के तहत हस्ताक्षर प्राप्त कर लेता है। उनका कहना है कि हत्या का आरोपी हरमीत दुनिया के कॉरपोरेट प्रमुखों को टक्कर दे सकता है, हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं. यह देशहित में उठाया गया कदम होगा। लवलीन को गलती का एहसास होता है, लेकिन खेल हाथ से निकल जाता है।  
इस नाटक की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि प्रमुख भूमिका निभाने वाले सभी अभिनेताओं ने मनुष्य के आंतरिक चेहरे (Inner Face) को प्रकट करने की पूरी कोशिश की। पूजा कठवाल (Pooja Kathwal) द्वारा अभिनीत इस नाटक की नायिका लवलीन एक वेश्या है, न्याय के प्रति संवेदनशील है और जातिवादी भावनाओं की मार हेठ भी है। इसी तरह रंजीत, जिसे अंशुल द्वारा अभिनीत किया,  वोह जिस्म का भूखा है, अपने कज़न  को बचाने के लिए बड़ी रकम देने को तैयार है; अनुपाओर ना मानने की स्थिति में शारीरिक रूप से धक्का मुक्की भी कर सकता है। इसी तरह हरजाप की तर्फ सेअदा किआ मेअर का चित्रण है, जिसके पास भोली लवलीन के दिमाग को मोड़ने के लिए एक जादुई जुबान है। इस नाटक के केंद्र में दलित की संक्षिप्त, लेकिन सशक्त भूमिका है। वह अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा है, लेकिन बड़े लोगों पर फायर नहीं कर सकता, क्योंकि वह सोचता है कि परलोक में शास्त्रों से काम नहीं चलेगा, वहां तो ग्रन्थ ही सहारा बन सकते हैं। यह भूमिका भरत शर्मा ने निभाई थी।
नाटक का चरमोत्कर्ष लवलीन का बदला है। वह पछतावे की आग में जलती है, जब गुस्साई भीड़ गरीब आदमी की हत्या कर देती है। नाटक का निर्देशन अनीता शबदीश ने किया।


4 दिसंबर को होगी 'नटी बिनोदिनी' 

गुरशरण सिंह नाट उत्सव के दूसरे दिन 'नटी बिनोदिनी' की प्रस्तुति भी सुचेतक रंगमंच की होगी। यह नाटक बंगाली रंगमंच की जीवित शहीद 'नटी बिनोदिनी' की आत्मकथा पर आधारित होगा। वह कैसे नाटक की दुनिया में शामिल हुईं और किन परिस्थितियों में उसने हमेशा के लिए मंच छोड़ दिया; यह ही होगी नाटक की कहानी।