करोड़ों की GST चोरी करने वाला साइबर अपराधी संजय सिंह यादव गिरफ्तार, जानें- कैसे करता था खेल
करोड़ों की GST चोरी करने वाला साइबर अपराधी संजय सिंह यादव गिरफ्तार, जानें- कैसे करता था खेल
लखनऊ : उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम टीम ने गुरुवार को करीब 215 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी करने वाले मास्टरमाइंड संजय सिंह को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। आरोप है गिरफ्तार संजय सिंह यादव ने कई फर्जी फर्म बनाकर उनके नाम पर बिलिंग करके राजस्व को जमकर चूना लगाया है। मामले में साइबर टीम ने 37 बैंक खातों की जांच के बाद इस बात का खुलासा किया है। बता दें कि 10 अगस्त 2019 को अमीनाबाद में और अक्टूबर 2020 में पीजीआई थाने में फर्जी कंपनियों द्वारा करोड़ों रूपये की जीएसटी (GST) चोरी करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था।
GST चोरी रोकने के लिए E-WAY बिल किया गया अनिवार्य
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से साइबर क्राइम से संबंधित फर्जी व्यवसाय फर्म बनाकर जीएसटी चोरी करने वाले गैंग की सूचना मिल रही थी। इसी सूचना पर साइबर क्राइम टीम गठित की गई। विवेचना के दौरान सूचना तंत्र सक्रिय कर तकनीकी संसाधनों से आरोपी संजय सिंह यादव की संलिप्तता पाई गई। इसके बाद टीम ने घटना में इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया। एसपी ने बताया कि जीएसटी चोरी रोकने के लिए राज्य सरकार ने माल के परिवहन के लिए ई-वे (E-WAY) बिल अनिवार्य किया। इसके जरिये हर खरीद की सूचना विभाग को प्राप्त होती है। लेकिन आरोपियों ने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया और ऐसी योजना बनाई जिसमें ई-वे बिल भी प्राप्त कर लिए जाए और नाम भी सामने न आए।
1700 करोड़ की GST चोरी में भी आया था नाम
आरोपियों ने जीएसटी में पंजीकरण हासिल करने के लिए खुद से ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की। ऑनलाइन प्रक्रिया में ओटीपी प्राप्त करने के लिए एक फोन नंबर व ईमेल आईडी का अनेकों पंजीकरण में ऑनलाइन रजिस्टर्ड किया। इस प्रकार बोगस कंपनी तैयार कर उसमें फर्जी क्रय विक्रय दर्शाकर करोड़ों रुपए की जीएसटी चोरी की गई। साइबर क्राइम की विवेचना में यह भी जानकारी मिली कि इस फर्म/ कंपनी का कोई भी भौतिक अस्तित्व नहीं है।
आरोपी संजय ने अपनी पत्नी के नाम पर इंपोर्टीसेल(IMPORTYSALE) नाम की कंपनी बना रखी है। जिसके दिल्ली में स्टोर हैं। इससे पहले मेरठ में 1700 करोड़ रूपये की आईटीसी (ITC) चोरी के मामले में संजय सिंह यादव और इसके साथी चार्टेड अकाउंटेंट प्रदीप कुमार का नाम प्रकाश में आया था।
रिपोर्ट -संदीप तिवारी