Corruption allegations need to be investigated

Editorial : भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रभावी जांच जरूरी, फैसले भी जल्द हों

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Effective investigation of corruption allegations is necessary, decisions should also be taken soon

Effective investigation of corruption allegations is necessary, decisions should also be taken soon: क्या देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ ईडी और सीबीआई की जांच गलत है? बेशक आजकल जिस प्रकार राजनीतिक दलों के नेताओं, मंत्रियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है, उसके बाद जैसी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, उन्हें देख, सुन और पढकऱ यही लगता है कि यह सब गलत है। लेकिन जिन एजेंसियों का काम यही है, और देश में न्यायपालिका का विधान भी है। फिर जिन पर आरोप लग रहे हैं, वे इतने विचलित क्यों हो रहे हैं। अक्सर यह बात कही जाती है कि हमें देश की न्यायपालिका पर भरोसा है, अगर ऐसा है तो फिर आरोपियों को घबराना नहीं चाहिए। हालांकि इस सवाल का जवाब उन्हें जरूर देना चाहिए कि अगर उन्होंने कुछ नहीं किया है तो फिर उन पर जांच क्यों बैठ गई। दरअसल, बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं, उनके खिलाफ दूसरे मामलों में भी जांच चल रही है, लेकिन अब जमीन के बदले नौकरी घोटाला भी सामने आ गया है। बिहार की हालत आज पूरा देश जानता है, यह भी सभी को मालूम है कि बिहार की इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है। अब अगर रह-रहकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं तो क्या दोषियों को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

अगर एक आम आदमी बस में या रेलवे में बगैर टिकट पकड़ लिया जाए तो उसे तुरंत पुलिस और फिर अदालत में पेश करके जेल भेज दिया जाता है, लेकिन देश में नेताओं का ऐसा सिस्टम है कि वे चाहे कितने  हजार करोड़ का भ्रष्टाचार कर लें, किसी जांच एजेंसी की हिम्मत नहीं है कि उन्हेें छू तक सके। वे मजे से एक जनप्रतिनिधि होने का रूतबा इस्तेमाल करते रहते हैं और जब उनके संबंध में जांच शुरू होती है तो वे तुरंत इसे सत्ताधारी दल की साजिश करार दे देते हैं। आखिर इस तरह से जनता को गुमराह करके कब तक बचा जा सकता है। बिहार के संदर्भों में देखें तो बीते विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जेल से बाहर आकर पार्टी के लिए प्रचार किया था। इस दौरान उन्होंने बिहार में विकास न होने का भी दुख जताया था। पार्टी को सीटें मिली लेकिन वह सत्ता में नहीं आ सकी। लेकिन कुछ दिन बाद ही पार्टी की यह मंशा पूरी हो गई जब जदयू और भाजपा अलग-अलग हो गए। अब जब बिहार में जदयू और राजद की सरकार चल रही है, तब लालू यादव के परिवार पर ईडी के छापों को इस तरह से पेश किया जा रहा है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है। हालांकि जांच एजेंसियों का दावा है कि जमीन के बदले नौकरी के घोटाले मेें अब तक 600 करोड़ की धांधली का पता चला है। इस राशि में 250 करोड़ का लेन-देन कई बेनामीदारों के लिए हुआ है। बेनामी संपत्ति से संबंधी अनेक दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें कई लालू परिवार से जुड़े हैं। एजेंसी का आरोप है कि राजद सुप्रीमो के परिवार ने पटना में अनेक जगह अवैध तरीके से जमीन ली है। वास्तव में यह सत्ता के जरिये स्वार्थ का ऐसा खुला खेल है, जिसके संबंध में न बिहार की जनता जानती है और न ही देश को कुछ मालूम है। सत्ताधीश जहां गणमान्य होने का सुख भोगते हैं, वहीं वे जनता की कमाई को भी अपने खजानों में भरते हैं। बिहार समेत पूरे देश में ऐसे घोटाले बाजों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।

हालांकि इन आशंकाओं पर भी गौर करने की जरूरत है कि क्या वास्तव में सत्ता अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। बिहार में अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए सभी पार्टियां सक्रिय हैं। बिहार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का बड़ा जरिया है। अगर यहां किसी राजनीतिक दल को जनता का आशीर्वाद मिलता है तो दिल्ली में उसकी पहुंच पुरजोर होती है। ऐसे में बिहार में नए समीकरण बन रहे हैं। ईडी और सीबीआई के एक्शन का सबसे बड़ा प्रभाव बिहार की सियासत पर दिखने लगा है। वैसे इन आरोपों के बीच की जानबूझकर लालू यादव परिवार के खिलाफ जांच एजेंसियों को सक्रिय किया गया है, यह सवाल अहम है कि क्या अदालत में जांच एजेंसियों की ओर से लगाए गए आरोप सही साबित होंगे। देशभर में तमाम ऐसे मामले चल रहे हैं, जिनमें अभी तक जांच शुरू होने से ज्यादा कोई काम नहीं हुआ है। वे कब अदालतों का मुंह देखेंगे यह सोचने वाली बात है। विपक्ष इस समय यही आरोप लगा रहा है कि वे विपक्ष में होने की सजा भुगतते हैं, लेकिन अगर वे पाला बदल लें तो उन पर लगे आरोप ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। वास्तव में ऐसे आरोपों को जवाब मिलना आवश्यक है। जांच एजेंसियों का कार्य बगैर किसी पक्षपात के काम करना होना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि आरोपों की तुरंत जांच हो और दोषी ठहराया जाए। अगर ऐसा होने लगे तो भ्रष्टाचार पर प्रभावी नकेल कसी जा सकेगी। 

 

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