केबल तारों में उलझी निगम सदन की बैठक, प्रस्तावों पर चर्चा से पहले ही बैठक स्थगित
- By Krishna --
- Tuesday, 29 Nov, 2022
Corporation House meeting entangled in cable wires
अर्थ प्रकाश/वीरेंद्र सिंह
Corporation House meeting entangled in cable wires : चंडीगढ़। नगर निगम चंडीगढ़ की इस माह की होने वाली 318वीं सदन बैठक (318th House Meeting) आज केबल और इंटरनेट की तारों (Cable and internet wiring) के बीच उलझ कर रह गई। मंगलवार को सुबह 11 बजे बंदे मातरम से आरंभ होकर बिना किसी प्रस्ताव पर चर्चा किये बैठक पोस्टपोन हो गई। बैठक में निगम सचिव की तरफ से मुख्य प्रस्ताव में उल्लिखित विगत मास की बैठक की कार्रवाई कन्फर्म करने का प्रस्ताव पढ़ा गया। उसके तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के पार्षद एवं निगम सदन के नेता प्रतिपक्ष योगेश ढींगरा (Leader of Opposition Yogesh Dhingra) ने मेयर को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी तरफ से दो टेबल्ड एजेंडा है, उन्हें आज की बैठक में शामिल किया गया है, कि नहीं। जवाब में मेयर का कहना था कि आप का टेबल्ड एजेंडा (App tabled agenda) आज की बैठक में विचारार्थ शामिल कर लिया गया है, उस पर बाद में चर्चा करा ली जायेगी।
इसके बाद तकरार बढ़ती चली गई। योगेश का कहना था कि प्रस्तावों पर चर्चा से पूर्व शहर के अधिकांश भागों में सडक़ों-घरों के किनारे केबल और इंटरनेट की तारें (Cable and internet wires along the roads and houses) बिना किसी केबल आपरेटर को सूचित किये काट क्यों दी गईं (Informed the cable operator, why were the disconnections done?)। इससे नगर निगम की तानाशाही की बू आती है। यह तो डिक्टेटरशिप वाली बात हो गई। इससे यही जाहिर होता है कि नगर निगम केवल कुछ खास केबल आपरेटरों को इसका ठेका देकर उन्हें अनुग्रहीत करना चाहता है। क्यों न किसी अन्य आपरेटर को इसका ठेका दिया जा रहा है।
कमिश्नर का पलटवार / Commissioner's Counterattack
जवाब में निगम कमिश्नर एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती अनिंदिता मित्रा (Corporation Commissioner and Senior Administrative Officer Mrs. Anindita Mitra) ने पलटवार करते हुए कहा कि यह केबल की तारें निगम नहीं अपितु नगर प्रशासन की तरफ से काटी गई हैं। किंतु इसकी रिपोर्ट नगर निगम द्वारा ही की गई है। कमिश्नर ने कहा कि इन केबल आपरेटर्स को निगम की तरफ से चार-पांच माह पूर्व ही अपने गड्ढे आदि भरने के लिए नोटिस दिया गया था। इसके साथ उन्हें यह भी हिदायतें दी गई थीं कि पहले इसकी एवज में देय जुर्माना निगम के खाते में जमा करायें, फिर उसके बाद उन्हें एक निश्चित समयावधि देकर बुलाया जायेगा। पूरी जानकारी लेकर फिर कुछ समय के बाद सारी औपचारिकताएं (formalities) पूरी करने के बाद उन्हें ठेका या केबल आपरेट करने का काम अलाट कर दिया जायेगा।
राजनीतिक रंग / Political Color
इसके बावजूद उनकी तरफ से तो कोई प्रत्युत्तर नहीं आया, बल्कि उन्होंने अपने कागजात आदि पूरे करके निगम कार्यालय में जमा करवाना भी आरंभ कर दिया है। किंतु बाद में इन्हें राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के कंवरजीत राणा (BJP's Kanwarjit Rana) ने कहा कि एक माह बाद स्कूली बच्चों के पेपर शुरू होने वाले हैं, इसलिए इंटरनेट और केबल की तारें नहीं काटनी चाहिए (Internet and cable wires should not be cut) थीं। पेपरों के बाद इन्हें नोटिस आदि देकर कार्रवाई करनी चाहिए थी।
कोई धक्के शाही नहीं : गुरप्रीत / No Dhakke Shahi : Gurpreet
कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह गाबी ने कहा कि नगर निगम ने केवल आपरेटरों के साथ कोई धक्केशाही नहीं की (Did not haggle with the operators) है। निगम की तरफ से तो काफी समय पूर्व इन्हें सूचना दी जा चुकी थी कि अपने गड्ढे आदि भरके इन तारों के जाल को हटाओ। इनके चलते निकट भविष्य में कोई दुर्घटना भी हो सकती है। इनके खंभों के साथ टेली फोन की तारें भी जुड़ी (Telephone wires were also attached to the poles) हैं। यदि कोई दुर्घटना हो जाये तो संबंधित विभाग में फोन भी नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस ही ही गुरबख्श रावत ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि स्कूली बच्चों के पेपरों तक इन्हें छूट दे दी जानी चाहिए, बाद में जो भी एक्शन बनता हो करना चाहिए। भाजपा की हरप्रीत बबला (Harpreet Babla) और भाजपा के कुछ अन्य पार्षदों ने भी कमिश्नर की हां में हां मिलाई। फिर ‘आप’ की तरफ से निगम सदन की शक्तियों की परिभाषा पूछी गई। सदन सर्वोच्च या निगम। इसके बाद निगम सचिव ने निगम के एक्ट पढक़र सुनाया कि निगम सदन सर्वोच्च है। किंतु नगर निगम की शक्तियां असीमित (Municipal Corporation's powers unlimited) हैं। निगम किसी प्रस्ताव को पारित करा सकता है। किंतु उसे प्रशासन को भेजना न भेजना निगम कमिश्नर के हाथ में है। इसलिए उनकी शक्तियों को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
ढाई लाख का खर्चा! / Expenditure of two and a half lakhs!
बताना जरूरी है कि बिना किसी खास कारण के निगम सदन की बैठक में व्यवधान डालकर उसे स्थगित कराने तक कितनी क्षति या नुकसान हुआ। सरसरी तौर पर एक दिन की सदन बैठक में खाने-पीने पर ही लगभग डेढ़-दो लाख रुपये का खर्च आ जाता है। इसके अलावा पार्षदों और मेयर को मिलने वाले टी.ए. आदि के खर्चे भी हैं, जिन्हें मिलाकर लगभग ढाई लाख का खर्चा (Cost of two and a half million) बनता है। समय की बर्बादी की कोई कीमत ही नहीं। अगली सदन बैठक दिसंबर के अंत में (Next House meeting end of December) हो सकती है। उसमें जनवरी में होने वाले नये मेयर चुनाव पर सबको फोकस (Everyone's focus on new mayor election) रहेगा। यह प्रस्ताव उस बैठक में पारित हो जाते हैं या नहीं, इस पर भी संशय के बादल मंडराते रहेंगे।
कमिश्नर की भूमिका नहीं /No role of commissioner
बाद में कमिश्नर ने कहा कि वह किसी भी काम का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं। उनका कहना था कि निगम सदन की पुरानी बैठक में ही तत्संबंधी प्रस्ताव पारित कर सदन के पार्षदों की तरफ से ही परवानगी दी गई थी। फिर इसमें कमिश्नर की भूमिका कहां से आ गई। उनका कहना था कि एम.सी. के किसी भी पार्क या जमीन पर कोई केबल अलाउड नहीं (No Cable Allowed to Park or Land) है। चूंकि जमीन नगर निगम की है, इसलिए केबल या तारें डालने की एवज में निगम पैसे वसूलेगा (Corporation will charge money for laying cables or wires)। इसके लिए निगम के एक्ट में सभी बातों का पूरा उल्लेख किया गया है। चूंकि निगम को वित्तीय क्षति पहुंच रही थी, इसलिए ऐसा कदम उठाने पर बाध्य होना पड़ा। उन्होंने निगम सदन के किसी भी फैसले की अवहेलना नहीं की है। निगम का नुकसान हो रहा था। इसलिए उन तारों को काटने आ आदेश दिया गया। बाद में चर्चा के दौरान इतनी गर्माहट बढ़ गई कि मेयर के आसन के पास पक्ष-विपक्ष के अधिकांश पार्षद पहुंच गए और जोर-शोर के साथ अपनी-अपनी बात रखने लगे। किंतु इस शोरशराबा के चलते किसी की बात स्पष्ट रूप से सुनाई नहीं दे रही थी। बाद में कमिश्नर और मेयर के कहने पर उक्त पार्षद अपनी-अपनी सीटों पर आकर बैठक गये। इसके बाद भी शोरशराबा रुकने का नाम नहीं ले रहा था। फिर कमिश्नर ने इसमें दखल देते हुए कहा कि मेयर साहिबा की बेटी की तबीयत खराब (Mayor's daughter's health deteriorated) हो गई है। इसलिए वह आज की बैठक में पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे पा रही है। इसलिए आज की सदन बैठक फोस्टपोन की जाती है। कमिश्नर की इस घोषणा के बाद ही राष्ट्रगान के साथ बैठक स्थगित कर दी गई।
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