इंफाल में लगातार संकट जारी है, किसके कारण हो रहे हैं दंगे फसाद?
Manipur: अभी हाल ही में मणिपुर में मुख्यमंत्री वीरेन सिंह ने इंफाल में होने वाले लगातार दंगों के लिए एक बैठक बुलाई थी जिसमें एनडीए के चार विधायक शामिल नहीं हुए। बाद में जब विधायकों: से पूछा गया कि उन्होंने उस मीटिंग में अपनी प्रस्तुति क्यों जाहिर नहीं की तो उन्होंने बताया कि उन्हें वीरेंद्र सिंह की मंशा सही नहीं लगती और वे छवि निर्माण का कार्य कर रहे हैं। और इसीलिए राज्य सरrकार विश्वास के संकट से जूझ रही है। तो आईए जानते हैं की क्या सच में इंफाल में होने वाले लगातार संकट के लिए वहां के मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं?
क्यों बुलाई गई थी बैठक?
मणिपुर के मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक का मुख्य एजेंडा था कि राज्य में विकसित हो रही कानून व्यवस्था की समीक्षा करना। इसी पर सत्ता रूढ़ि भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक ने सवाल उठा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को डीजीपी, सुरक्षा सलाहकार, सीआरपीएफ और असम राइफल्स के आईजी और मुख्य सचिव सहित एकीकृत कमान के साथ बैठक बुलानी चाहिए थी विधायकों की बैठक में इससे क्या ही हासिल होने वाला है? भाजपा विधायक ने यह भी कहा कि बैठक में पारित प्रस्ताव का कानून और व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है केवल शांति वापस लाने पर ध्यान केंद्रित क रने की आवश्यकता है।
अभी भी जल रहा है मणिपुर
लगभग दो दर्जन जनजातीय वाले समूह मैतेई और कुकी के बीच चलने वाले लगातार झड़पों ने कम से कम 20 लोगों की जान ले ली है। 7 नवंबर को शुरू हुई हिंसा का चक्र जीराबम के जीरावन गांव में एक भयानक हमले से शुरू हुआ, एक हमार महिला जो एक स्कूल शिक्षिका और तीन छोटे बच्चों की मां थी, के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया उसके पैर में गोली मारी गई उसकी हत्या की गई और फिर अज्ञात हमलावरों ने उसे आग के हवाले कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर 19 घरों को जला दिया। काफी नगदी लूट ली, मोबाइल फोन, एलपीजी सिलेंडर, 6 दो पहिया वाहन चुरा लिए और यहां तक की गांव के कुत्तों को भी मार डाला। कौन है मणिपुर के इस हाल का जिम्मेवार?
कौन है जिम्मेदार?
हिंसा के ताजा लहर पर प्रतिक्रिया राज्य की तरह ही विखंडित रही। 18 नवंबर को मणिपुर में सत्ता रूढ़ि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र से राज्य के कुछ हिस्सों में सशक्त बल विशेष अधिकार अधिनियम को फिर से लागू करने पर विचार करने का आग्रह करना भी शामिल था। उन्होंने जिरिबिम हत्याकांड में कथित रूप से शामिल संदिग्धकि उग्रवादियों को निशाना बनाते हुए 7 दिनों के भीतर बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का आह्वान किया और उन्हें गैर कानूनी संगठन के सदस्यों के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की। वहीं दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री का इस घटना पर कोई खास प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली और ना ही उन्होंने इस घटना की रोकथाम के लिए कोई विकल्प चुना है। ऐसे में भाजपा से लेकर राज्य पार्टी सभी मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह को ही इन सभी घटनाओं का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।