चारों कब्जे वाले क्षेत्रों को रूस में शामिल करने का पुतिन कर सकते हैं एलान, जनमत संग्रह हुआ पूरा

चारों कब्जे वाले क्षेत्रों को रूस में शामिल करने का पुतिन कर सकते हैं एलान, जनमत संग्रह हुआ पूरा

चारों कब्जे वाले क्षेत्रों को रूस में शामिल करने का पुतिन कर सकते हैं एलान

चारों कब्जे वाले क्षेत्रों को रूस में शामिल करने का पुतिन कर सकते हैं एलान, जनमत संग्रह हुआ पूरा

मॉस्को. यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच कब्जाए गए चार राज्यों में संपन्न हुए जनमत संग्रह के नतीजे रूस के पक्ष में दिख रहे हैं. यूक्रेन के चार कब्जे वाले क्षेत्रों में अधिकारियों ने सूचना दी है कि जनमत संग्रह में लोगों ने बढ़ चढ़कर रूस में शामिल होने के लिए वोट दिया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार डोनेट्स्क और लुहान्स्क के पूर्वी क्षेत्रों में और दक्षिण में ज़ापोरिज्जिया और खेरसॉन में पांच दिनों तक चले मतदान में 87% से 99.2% तक लोगों ने रूस में शामिल होने के पक्ष में अपना मत दिया है. यह चार प्रान्त यूक्रेनी क्षेत्र का लगभग 15% हिस्सा हैं.

नतीजों को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका यूनाइटेड नेशंस में रूस के विरुद्ध एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है. इस प्रस्ताव में रूस द्वारा किये गए एकतरफा जनमत संग्रह की निंदा के साथ सभी देशों से इन क्षेत्रों को रूस के हिस्से के रूप में मान्यता ना देनी की बात कही जाएगी. जनमत संग्रह पर UN में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश करेगा, जिसमें सदस्य देशों से यूक्रेन में किसी भी बदलाव को मान्यता नहीं देने और रूस को अपने सैनिकों को वापस लेने के लिए बाध्य करने का आह्वान किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि रूस के दिखावटी जनमत संग्रह को यदि स्वीकार किया जाता है, तो इससे एक पंडोरा बॉक्स खुल जाएगा जिसे हम बंद नहीं कर पाएंगे.

4 अक्टूबर को फैसला लेगी रूसी संसद

रूसी संसद के ऊपरी सदन के प्रमुख ने सरकारी मीडिया को बातचीत में बताया कि इन चार राज्यों के विलय पर देश की संसद 4 अक्टूबर को निर्णय ले सकती है. वहीं रूस के पूर्व राष्ट्रपति और देश की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने चार प्रांतों के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए लोगों का रूस में स्वागत किया.

हालांकि इस निर्णय को यूक्रेन समेत कई देशों ने मान्यता देने से मना कर दिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने देश के नाम एक संबोधन में कहा कि कब्जे वाले क्षेत्रों में हुए इस तमाशे को जनमत संग्रह की नकल भी नहीं कहा जा सकता है.