सीएम केजरीवाल को मिला तमिलनाडु सीएम स्टालिन का भी साथ, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली का साथ देगी डीएमके
Delhi Ordinance
- सीएम एमके स्टालिन से मिला आश्वासन, डीएमके दिल्ली की जनता के साथ, राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ वोट करेगी- अरविंद केजरीवाल
- दिल्लीवालों को आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला, लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार ने आठ दिन में ही अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया- अरविंद केजरीवाल
- भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, यदि सभी गैर-भाजपा दल एक साथ आते हैं, तो हम बिल को यहां हरा सकते हैं- अरविंद केजरीवाल
- अगर ये बिल राज्यसभा में गिर जाता है तो पूरे देश में संदेश जाएगा कि विपक्ष एकजुट है और अब मोदी सरकार वापस नहीं आएगी- अरविंद केजरीवाल
- दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार के लाए गए अध्यादेश का डीएमके राज्यसभा में पुरजोर विरोध करेगी- एमके स्टालिन
- सभी विपक्षी दलों से अपील करता हूं कि वे भी केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल का समर्थन करें- एमके स्टालिन
- यह लड़ाई लोकतंत्र बचाने की है, दिल्ली की तरह तमिलनाडु और पंजाब सरकार को भी राज्यपालों के जरिए परेशान किया जा रहा है- भगवंत मान
चंडीगढ़/नई दिल्ली/चेन्नई, 01 जुन 2023: Delhi Ordinance: केंद्र द्वारा एक अध्यादेश के जरिए दिल्ली की चुनी हुई सरकार से छीने गए अधिकारों को वापस दिलाने के लिए अब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) भी दिल्लीवालों के साथ है। गुरुवार को चेन्नई में ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुलाकात के बाद डीएमके के अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र का अध्यादेश लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है। गत 11 मई को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया था, जिसे मात्र आठ दिन में ही एक अध्यादेश लाकर केंद्र ने पलट दिया है। अगर सभी गैर भाजपा दल एक साथ आते हैं, तो केंद्र का यह बिल राज्यसभा में गिरा सकते हैं। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि हम दिल्ली की जनता के साथ हैं और राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश का पुरजोर विरोध करेंगे। मैं सभी विपक्षी दलों से अपील करता हूं कि वे भी केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल का समर्थन करें।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को तमिलनाडु के सीएम एवं डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से उनके आवास पर मुलाकात की। चेन्नई में हुई मुलाकात के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ डीएमके का समर्थन मांगा। इस दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह व राघव चड्ढा और दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने बड़ी गर्मजोशी के साथ सीएम अरविंद केजरीवाल व अन्य गणमान्यों का स्वागत किया। इसके बाद उनके बीच केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने और देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर गंभीर चर्चा हुई। इस दौरान तमिलनाडु के सीएम ने कंेद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का समर्थन करने की घोषणा की।
इस दौरान संयुक्त प्रेसवार्ता कर सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन का धन्यवाद किया और कहा कि आज हमने केंद्र के अध्यादेश को लेकर बैठक कर चर्चा की। आठ साल के लंबे संघर्ष के बाद दिल्ली के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में इस लड़ाई को जीता था। 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की जनता के पक्ष में अपना आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रचंड बहुमत के साथ चुनी हुई सरकार है। इसलिए चुनी हुई सरकार के पास ही सरकार चलाने के सभी अधिकार होने चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि अगर चुनी हुई सरकार का सेवाओं और नौकरशाहों पर कोई नियंत्रण नहीं होगा तो सरकार चलाना संभव नहीं है। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दिल्ली की सर्विसेज पर चुनी हुई सरकार का ही पूरा नियंत्रण होगा और इसकी सभी शक्तियां निर्वाचित सरकार के पास होंगी।
उन्होंने कहा कि यह आदेश 11 मई 2023 को आया और 19 मई 2023 को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट छुट्टी पर गया, उसी रात 10ः00 बजे केंद्र की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर किया। भारत में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को इस तरह अध्यादेश लाकर रद्द कर दिया गया और फिर से दिल्ली की चुनी हुई सरकार से सभी शक्तियां वापस छीन ली। एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अपमान किया गया। अब चुनी हुई सरकार का नौकरशाही और सेवाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है। केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। हमारे पास एक संविधान है और संविधान कहता है कि चुनाव होगा और लोग अपनी मर्जी से खुद की सरकार चुनेंगे। जनता द्वारा चुनी गई सरकार के पास प्रशासन चलाने की सभी शक्तियां होंगी।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब यह अध्यादेश संभवतः मानसून सत्र के दौरान जुलाई के आखिरी सप्ताह में संसद में लाया जाएगा। बीजेपी के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसके पास 238 में से सिर्फ 93 सांसद ही है।. अगर सभी गैर-बीजेपी पार्टियां एक साथ आ जाएं तो हम राज्यसभा में इस बिल को हरा सकते हैं। मैं इस बिल के खिलाफ सीएम एमके स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके का समर्थन लेने के लिए तमिलनाडु आया हूं कि जब यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक अध्यादेश बिल के रूप में राज्यसभा में पेश किया जाए तो हम सभी एकजुट होकर इसे हराने का काम करेंगे।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को समर्थन देने के लिए तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन का धन्यवाद किया और कहा कि हमें आश्वासन मिला है कि डीएमके दिल्ली के लोगों और चुनी हुई सरकार के साथ खड़ी रहेगी। संसद में डीएमके के सांसद इस बिल के खिलाफ अपना मतदान करेंगे और इसे गिराने में हमारी मदद करेंगे। मैं अन्य सभी पार्टियों से भी इस अध्यादेश के खिलाफ एकजुट होने की अपील करता हूं। पिछले कुछ हफ्तों से हम देश भर में जा रहे हैं और गैर बीजेपी पार्टियों से मिल रहे हैं। हमें सभी गैर भाजपा दलों की तरफ से पूरा समर्थन मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि हम राज्यसभा में इस बिल को हरा देंगे। ये एक तरह से 2024 के चुनाव का सेमी फाइनल होगा। अगर ये बिल राज्यसभा में गिर जाता है तो पूरे देश में बहुत कड़ा संदेश जाएगा कि पूरा विपक्ष एकजुट है और मोदी सरकार अब वापस नहीं आने वाली है।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से मुलाकात के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं दिल्ली की जनता की तरफ से एमके स्टालिन को उनके समर्थन के लिए तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। डीएमके संसद में दिल्ली की जनता को अपना पूरा समर्थन देगी।’’
वहीं, पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘आप’’ प्रतिनिधिमंडल यहां केवल दिल्ली के लोगों की समस्याओं को उजागर करने नहीं आया है, बल्कि लोकतंत्र को बचाने के लिए यहां आया है। भाजपा या तो असंवैधानिक अध्यादेश जारी करके या राज्यपाल के जरिए देश में गैर-भाजपा राज्य सरकारों को परेशान कर रही है। तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बिलों पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। इसी तरह, पंजाब में राज्यपाल ने विधानसभा का बजट सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी तो हमें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
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